पटना-बिहार के आरा कोर्ट परिसर में शुक्रवार को बम विस्फोट करने वाली महिला की पहचान बलिया के बसेरी निवासी रीना गौड के रूप में की गई है, विशेष जांच पडताल के लिए आरा से पुलिस टीम बलिया के लिए रवाना कर दी गई है। धमाका पाइप बम से किया गया।
पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश शनिवार को कोर्ट का निरीक्षण करेंगे । बम की मारक क्षमता 15 से 20 फीट के दायरे में थी। जिस तरह के पाइप बम का इस्तेमाल हुआ है, उसे नक्सली या आतंकी ही ज्यादा प्रयोग में लाते हैं। कयास इस बात का भी है कि बम लेकर पहुंची महिला की मंशा कुछ और ही रही हो, लेकिन पुलिस इसे कैदियों को भगाने की साजिश ही मानकर चल रही है।
पुलिस के अनुसार, फरार लंबू शर्मा ने इसके पहले 2009 में कोर्ट परिसर में हुए बम विस्फोट के बाद भागने का प्रयास किया था। महिला का पहनावा बता रहा था कि वह ग्रामीण परिवेश की नहीं है, बल्कि आधुनिक तौर-तरीके से रहने वाली थी। तन पर ब्रांडेड व मैचिंग कपड़े थे, जो यह साबित करते हैं कि वह तंगी की हालत में नहीं थी। सवाल उठता है कि इतना शक्तिशाली विस्फोटक लेकर महिला केवल कैदी को ही भगाने के लिए पहुंची थी? क्या वह उसकी क्षमता से अंजान थी?
अगर वाकिफ थी तो खुद मौत का सामान लेकर क्यों निश्चिंत बैठी थी? कहीं ऐसा तो नहीं कि निशाना कुछ और ही हो? क्या महिला आत्मघाती कदम उठाने के लिए मानसिक तौर पर तैयार होकर आई थी या भेजी गई थी? सूत्रों का दावा है कि लंबू एमसीसी का सदस्य था और फरार होने के बाद आपराधिक वारदातों को अंजाम देने लगा था। महिला के पास से मिले मोबाइल के सीडीआर में कुछ नंबर ऐसे हैं, जिनका लोकेशन आरा जेल का है। -एजेंसी ब्यूरो