नई दिल्ली: राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या मामले पर कहा है कि वह सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने के लिए बाध्य होंगे। भागवत ने मंगलवार को 50 देशों के राजदूतों और राजनयिकों से मुलाकात की थी।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, भागवत से जब इस कार्यक्रम में सवाल किया गया कि क्या आने वाले लोकसभा चुनाव तक राम मंदिर का मसला सुलझ जाएगा ? इसके जवाब में भागवत ने कहा कि यह मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है और सुप्रीम कोर्ट का इसपर जो भी फैसला आएगा, उन्हें स्वीकार्य होगा।’’
वहीं, इस कार्यक्रम में उन्होंने एक सवाल के जवाब में यह भी बताया, ‘’उनका संगठन बीजेपी को नियंत्रित नहीं करता और न ही बीजेपी उनके संगठन को नियंत्रित करती है। हम स्वतंत्र रहकर एक स्वंयसेवक के तौर पर उनसे संपर्क करते हैं और विचारों का आदान-प्रदान करते हैं।”
सूत्रों के मुताबिक, कार्यक्रम के दौरान मोहन भागवत ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनके अच्छे रिश्ते हैं। उन्होंने बताया कि पीएम मोदी से कई मसलों पर उनकी अच्छी चर्चा होती है। एक थिंकटैंक की ओर से आयोजित जलपान सत्र के दौरान भागवत ने कहा कि संघ इंटरनेट पर ट्रोलिंग का समर्थन नहीं करता है और बिना किसी भेदभाव के देश की एकता के लिए काम करता है।
इंडिया फाउंडेशन की ओर से आयोजित सत्र के दौरान भागवत ने आरएसएस के काम के बारे में प्रश्न का जवाब दिया। बीजेपी महासचिव राम माधव और प्रसार भारती के अध्यक्ष ए.सूर्य प्रकाश ने ट्वीट कर इस बैठक की जानकारी दी।