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Monday, April 29, 2024
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आदिवासीयों ने शुरू किया पर्यावरण के हल का अनोखा अभियान

 

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बैतूल  [ TNN ]८ अगस्त, इस समय पूरी दुनिया पर्यावरण के बिगड़ते हालत, रोजगार और भुखमरी कि समस्या से झूज रही हैं. साल दर साल मौसम जिस तरहसे करवट बदल रहा है; उससे से साफ़ जाहिर है, हमें रोजगार के ऐसे तरीके ढूढने होंगे जो पर्यावरण का बिगाड़ करने कि बजाए उसका सुधार करे. और इस काम को अंजाम देने का बीड़ा बैतूल जिले के आदिवासियों ने उठाया है. अपने ‘हरियाली अभियान’ के तहत, इस साल आदिवासीयों ने बैतूल जिले में ५० हजार फलदार पौधे लगाने का संकल्प लिया है. इस हरियाली अभियान में बैत्तूल जिले कि आम-जनता और जिला प्रशासन के सहयोग को लेकर उन्होंने आज बैतूल में कावण में फलदार पौधे लेकर ‘हरियाली यात्रा’ निकली. उनका कहना था, फलदार पौधे लगाने को लेकर जिला प्रशासन उन पर केस लगाने और जेल में डालने कि बजाए, उन्हें मदद करे तो वो जिले कि सूरत बदल सकते है.

वो मानते है, बड़ी से बड़ी समस्या के हल, छोटे से प्रयास से हो सकते है इस बात को वो समझते है. १९७० के दशक में अपनी पुस्तक ‘स्माल इज ब्यूटिफूल’ में अमेरिका के प्रसिध्द अर्थसस्त्री ‘ ई. एफ. शूमाकर’ ने भी यह दिशा दिखाई थी. उन्होंने कहा था, बिना किसी विदेशी कर्जे या मदद के भारत कि बेरोजगारी का ईलाज गांधीजी के बताए रास्ते पर चलकर अरबों कि संख्या में पौधे लगाने में है, ना कि अंधे औधोगीकरण में . उनके इस सुझाव को चरितार्थ करने का काम बैतूल जिले के आदिवासीयों कर रहे है. उनका नारा है “ फलदार पौधे लगाएंगे – हरियाली लाएंगे और भुखमरी भगायेंगे”. आदिवासीयों के सबसे बड़े और नए मौसम के पहले त्यौहार – हरि-जिरोतीजो जुलाई माह में आता है- को आदिवासी एक महीने के “हरियाली अभियान के रूप में मना रहे है.

इस अभियान को सफल बनाने के लिए, आदिवासीयों ने, श्रमिक आदिवासी संगठन और समाजवादी जन परिषद के बैनर तले, दो हफ्ते पहले बैतूल कलेक्टर को ज्ञापन दे आम, जाम, जामुन, आंवला, सीताफल आदि के ५० फलदार पौधे मुफ्त देने कि मांग की थी. उनका कहना था कि, उनका हर सदस्य इन पोधों को खेत- बाडी और गाँव में बेकार होती सार्वजानिक भूमी पर लगाएगा. इस अभियान में लोग खुद मेहनत करते है, इसलिए कोई सरकारी बजट कि जरूरत नहीं है. इस अभियान में अगर सबका सहयोग मिले तो देखते ही देखते कुछ सालों में जिले के हर गाँव में फलदार पौधों का बगीचा हो सकता है; जिसमे करोड़ों कि संख्यां में फलदार पौधे हो सकते है. इससे से आगे चलकर न सिर्फ एक बार फिर जिले कि नदी में पानी बढेगा, बल्कि लोगों को सस्ते फल मिलने से लोगों का पोषण का स्तर सुधरेगा. आने वाले समय में जिले में इन फलों के पल्प, रस आदि निकालने कि फेक्ट्री भी लगाई जा सकती है.

समाजवादी जन परिषद (सजप) के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र गढ़वाल ने कहा कि, १९९९ के पर्यावरण और वन मंत्रालय के आंकड़े बताते है कि ३ करोड़ हेक्टर से उपर जंगल जमीन पर समाजिक वनीकरण के तहत प्लान्टेशन किया जा चूका था. लेकिन, आज हमें देश में कही भी इसकी सफलता नहीं दिखती. श्रमिक आदिवासी संगठन के ग्राम मरकाढाना के सुमरलाल ने कहा कि वन विकास निगम ने उनके ईलाके पिछले ३० सालों में लाखों कि सख्यां में प्राकृतिक रूप से लगे महुए, आचार और तेंदु आदि फलदार पेड़ों को जड़ से साफकर सागौन के पेड़ लगा रहा है . इन पेड़ों से ना तो पर्यावरण सुधरता है, ना उस ईलाके के लोगों को कोई फायदा होता है. उनके गाँव वालों ने अपने पैसे और मेहनत से गाँव में नर्सरी बना, उसमें पांच हजार फलदार पौधे तैयार किए है.पिछले साल भी उन्हें ने गाँव के पास कि जमीन पर इतने ही पोधे लगाए है, और इसकी देखभाल भी कर रहे है. चिचोली ब्लाक के बोड ग्राम के मुन्ना ने बताया कि उनके गाँव में भी वो ऐसा कर रहे है. दोनों गाँव के दर्जनों आदिवासी पर इस बात को लेकर वन विभाग ने अपराधिक प्रकरण दर्ज किए है.

सजप के राष्ट्रीय सचिव अनुराग मोदी ने कहा कि देश में जहाँ तरफ ५०% आदिवासी कुपोषित है, वहीं शहर में बड़े पैमाने पर कुपोषण है. दूसरी तरफ बड़े पैमाने पर वन और राजस्व विभाग कि जमीन पड़त पडी है. अनेकों जगह तो राजस्व जमीन पर गाँव के रसूखदार लोगों के अवैध कब्जे है. उन्होंने आगे कहा कि अगर उनकी पार्टी के अभियान को सरकार का सहयोग मिले, तो आने वाले पांच साल में देश के पर्यावरण, रोजगार और कुपोषण के हालात काफी हद तक सुधर सकते है.


सोशल साइट्स यूजर्स सावधान ?

facebook-whatsappखंडवा [ TNN ] फेसबुक और वॉट्सएप जैसी कईं सोशल साइट्स को आतंकियों ने नए हथियार की तरह उपयोग करना शुरू कर दिया है। सोशल साईड को हैक कर आपत्तिजनक पोस्ट डाले जा रहे है, जो साम्प्रदायिक सदभाव बिगाड़ रहे है , खंडवा की घटना इस बात का जीवंत उदाहरण है , जहाँ एक जनप्रतिनिधि की सोशल साईड को हैक करके उस पर आपत्तिजनक पोस्ट किया गया था , जिससे शहर के हालात इतने बिगड़े की कर्फ्यू लगाना पड़ा।

मध्यप्रदेश में इन दिनों सोशल साइट्स के माध्यम से सामाजिक ताने-बाने को ध्वस्त कर रहे है। प्रदेश के कई जिलो में इस तरह की घटना हो चुकी है। खंडवा शहर में एक धार्मिक स्थल का आपत्तिजनक पोस्ट अपलोड करने के बाद तनाव फैला और एक युवक की हत्या कर दी गई। इसे बाद बिगड़े हालात को काबू करने के लिए पूरे शहर में कफ्र्यू लगाना पड़ा। मनोज शर्मा एसपी खंडवा ने बताया की पुलिस जाँच में यह बात सामने आई की जनप्रतिनिधि की सोशल साईड को हैक करके उस पर आपत्तिजनक पोस्ट किया गया था , हैकर तक पहुँचने के लिए सोशल साईड के हेड आफिस केलोफोर्निया और सिंगापुर से मदद ली जा रही है।

संचार तकनीक को आतंकियों ने अपना हथियार बनाते हुए , उन्माद फैलाना शुरू कर दिया है , असामाजिक तत्वों ने अब इंटरनेट यूजर्स को अपना हथियार बनाना शुरू कर दिया । आये दिन फेसबुक, वॉट्सएप जैसी सोशल साइडो के जरिये कोई ना कोई बवाल खड़ा हो रहा है।आमतौर पर सोशल साईड के दुरूपयोग पर आईटीएक्ट के तहत कार्यवाही की जाती है , लेकिन सोशल साईड पर किसी तरह का प्रतिबन्ध नहीं होने पर , उस पर किये जा रहे मनमाने पोस्ट साम्प्रदायिक सदभाव बिगाड़ रहे है , खंडवा की घटना इस बात का जीवंत उदाहरण है , यही वजह है की खंडवा जिला प्रशासन अब सोशल साईड को भी प्रतिबन्धात्मक धारा 144 के दायरे में लाने के लिए विचार कर रहा है। जो भी व्यक्ति इस तरह की पोस्ट डालेगा , या उसका प्रचार -प्रसार करेगा , उसके खिलाफ धारा 144 के तहत कार्यवाही की जायेगी।

असामाजिक तत्वों द्वारा इंटरनेट यूजर्स को माध्यम बनाकर ,उनके फेसबुक एकाउंट को हैक करके , उसका गलत इस्तेमाल किया जा रहा है।खंडवा के नागरिक इस हकीकत से रूबरू हो चुके है , यही वजह है , खंडवा शहर में तेजी से हालत सामान्य होने लगे , जिला प्रशासन ने खंडवा में जारी कर्फ्यू गुरूवार सुबह से हटाने की घोषणा कर दी है , लेकिन पूरी तरह हालात सामान्य होने तक धारा 144 प्रभावशील रहेगी।

फेसबुक और वॉट्सएप जैसी कईं सोशल साइट्स यूजर्स को भी सावधान रहने की जरूरत है , उन्हें अपने सोशल एकाउंट चैक करते रहना चाहिए , कही ऐसा ना हो की उनका एकाउंट हैक होकर आतंकियों का हथियार बन जाए।

 

रिपोर्ट :- अनंत माहेश्वरी 

मध्यप्रदेश : शौर्या दल ने बढ़ाई महिलाओं की ताकत

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भोपाल [ TNN ] मध्यप्रदेश सरकार ने प्रदेश की हिंसा की शिकार और सामाजिक कुरीतियों से पीड़ित महिलाओं को ताकत देने के लिये शौर्या दल बनाकर महिलाओं के पक्ष में एक बेहतर वातावरण बनाया है। एक साल पूर्व शौर्या दल का गठन पायलेट प्रोजेक्ट में मण्डला, डिण्डोरी, टीकमगढ़, छतरपुर, पन्ना और बालाघाट में किया गया। इन जिलों में शौर्या दल ने बेहतर परिणाम हासिल किये। अब प्रदेश के 14 जिले भोपाल, सीहोर, राजगढ़, रायसेन, विदिशा, बैतूल, होशंगाबाद, जबलपुर, उज्जैन, देवास, मुरैना, ग्वालियर, सागर एवं इंदौर में शौर्या दल का गठन किया जा रहा है।

पायलेट प्रोजेक्ट में लिये गये 6 जिले में 2620 शौर्या दल का गठन हुआ। इनके 26 हजार से अधिक महिला-पुरुष सदस्य बने। इन 6 जिले में महिलाओं को सशक्त बनाने के लिये जो काम हुआ उसके परिणाम ने समाज में एक नई फिजा बनाई। टीकमगढ़ में टैक्सी चालकों के आंतक के खिलाफ श्रीमती शकुन्तला मिश्रा ने आवाज उठायी। वे ग्राम असाटी के शौर्या दल की सदस्य हैं। इस गाँव में टैक्सी चालक अपने वाहन के अलावा किसी और निजी वाहन का उपयोग नहीं होने देते थे।

शकुन्तला मिश्रा जब एक निजी वाहन से अपने गाँव सामान ले जा रही थीं, तो इन टैक्सी चालकों ने उसे रोका। श्रीमती मिश्रा ने इसका प्रतिरोध किया। उन्होंने संबंधित थाने पहुँचकर इसकी शिकायत दर्ज करवाई। परिणामस्वरूप टैक्सी चालकों ने माफी माँग कर भविष्य में ऐसा नहीं करने का वचन दिया। यही नहीं बालाघाट जिले के ग्राम चिखला बाँध की शौर्या दल की सदस्यों ने मिलकर अपने गाँव के मुख्य व्यवसाय शराब बनाने पर रोक लगाई। शौर्या दल के पुरजोर विरोध का परिणाम यह हुआ कि अब गाँव में शराब बनाना, बेचना और खरीदना प्रतिबंधित कर दिया गया।

टीकमगढ़ जिले के ग्राम सेंदरी में प्रेम विवाह करने के बाद अपने परिवार से निर्वासित कर दिये गये बहू-बेटे को शौर्या दल ने मध्यस्थता कर वापस उन्हें अपने परिवार से मिलवाया। डिण्डोरी, छतरपुर, मण्डला जिले के गाँव में शौर्या दल की सक्रियता के कई उदाहरण सामने आये, जिसने इसके गठन की सार्थकता को सिद्ध किया है। इन्हीं बेहतर परिणामों को देखते हुए अब राज्य सरकार 14 जिले में शौर्या दल का गठन करने जा रहा है।

शौर्या दल ने महिलाओं के खिलाफ होने वाले अत्याचारों का विरोध किया, सामाजिक बुराइयों को दूर किया। साथ ही महिलाओं को सक्षम बनाने के लिये सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का भी लाभ दिलवाया। लड़का-लड़की में भेद न हो इसके लिये जागरूकता अभियान चलाया और वे इसे समझाने में सफल भी रहे।

शौर्या दल का मुख्य उद्देश्य महिला एवं बच्चों से संबंधी मुद्दों पर जन-सामान्य को संवेदनशील बनाने के साथ उनके विरुद्ध हिंसा में कमी लाना और समाज को जागरूक करना है। इसके साथ ही सामाजिक कुरीतियों जैसे बाल विवाह, दहेज प्रथा और लैंगिक भेदभाव को कम करना है। महिलाओं एवं बालिकाओं से संबंधित अधिकारों के बारे में समाज को जागरूक करना और उनकी सहभागिता से हिंसा संबंधी मुद्दों का निराकरण करवाना है। इसके साथ ही सरकार की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ महिलाओं और बालिकाओं को मिले, इसके लिये प्रयास करना है।

फैशन : नए अंदाज में फिर लौट आया है पोलका डॉट

polka dot dressफैशन बार-बार अपने को दोहराता है। सत्तर के दशक में धूम मचा चुका पोलका डॉट आज फिर फैशन में लौट आया है। लेकिन यह अब कपड़ों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि जूते-चप्पलों, क्रॉकरी और पर्स यहां तक कि सजावट की चीजों पर भी पोलका डॉट देख सकते हैं। बच्चों से लेकर बड़े तक इसके दीवाने हो चले हैं। इसके लिए अगर बॉलीवुड के लाड़ले अभिनेता शाहरुख खान को श्रेय दिया जाए तो यह गलत नहीं होगा, क्योंकि इस फैशन की शुरूआत भी फिल्म ‘डॉन’ आने के बाद हुई, जिसमें शाहरुख ने पोलका डॉट वाली कमीज और टाई पहनी थी। इसमें कोई दो राय नहीं कि फैशन के मामले में लोग मशहूर हस्तियों की देखादेखी करते हैं।

पोलका डॉट का फैशन पश्चिम में पहले से ही है। अलबत्ता भारत में वह दोबारा आया है। यहां युवतियां इस ट्रेंड की बखूबी अपना रही हैं। उन्हें अपने कपड़े, सेंडिल, पर्स और यहां तक कि बर्थ डे केक पर भी पोलका डॉट के डिजाइन चाहिए। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि उन्हें अपनी फार्मल ड्रेस पर भी यही ट्रेंड चाहिए। न सिर्फ युवतियां बल्कि युवक भी पोलका डॉट के दीवाने हैं। उनकी पसंद को ध्यान में रखते हुए कुछ कंपनियों जैसे पीटर इंग्लैंड और विवाल्डी ने भी पोलका डॉट वाली शर्ट निकाली है और यह पसंद भी की जा रही है। न सिर्फ कमीज बल्कि लाउंजवियर और स्लिम वियर पर भी यह हावी है।

अगर आप अपने डिजाइन से फैशन ट्रेंड के बारे में पूछेंगे तो उनका जवाब पोलका डॉट ही होगा काले पर सफेद डॉट और सफेद पर कई तरह के रंगों के डॉट फैशन में हैं। बहुत से लोग पुराने फैशन के दोबारा लौटने पर हाथों-हाथ अपना लेते हैं क्योंकि उन्हें फैशन के साथ चलना होता है।

ऐसे कई दुकानें मिल जाएंगी जहां ‘50 और 80’ के दशक के कपड़े रखे रहते हैं। लोग इसे सहजता से खरीद भी लेते हैं। इसकी वजह यह है कि लोगों में दूसरों को अलग दिखने की चाह होती है। यही कपड़े फैशन को वापस लाने में मदद करते हैं। कई डिजाइनर जैसे गौरव गुप्ता, गौरी और नयनिका करण का मानना है कि पुराना फैशन हमें 50 के दशक की मीठी यादें ताजा कर देता है। जहां तक फैशन की बात है तो यह रीट्रोचिक है। मतलब यह बार-बार वापस आता है और लोग इसे मजे से अपनाते हैं।

एक जमाने में जहां पोलका डॉट बच्चों के कपड़ों पर देखा जाता था, वहीं आज यह युवाओं की पहली पसंद है। पोलका डॉट न सिर्फ कपड़ों बल्कि मोजे और जूतों खासकर काउब्वॉय जूतों पर भी देखने को मिल रहे हैं। पुराना फैशन लौट कर आया तो है मगर नए अंदाज में।

इतिहास पर नजर डालें तो उन्नीसवीं शताब्दी में ब्रिटेन में पोलका संगीत काफी लोकप्रिय हुआ था और इस पोलका की शुरूआत भी वहीं से हुई थी। बाद में यही फैशन में भी आया। तीस और चालीस के दशक में यूरोप में और फिर सत्तर और अस्सी के दशक में यह दोबारा लौटा और फिर भारत में इस फैशन का प्रचलन हुआ। फिल्म ‘कुर्बानी’ को याद करें जिसमें अभिनेता जीनत अमान ने पोलका डॉट वाली बिकनी पहनी थी।

आजकल कई डिजाइनर इस फैशन को अपने विंटर कलेक्शन में शामिल कर रहे हैं। हमेशा वही स्ट्राप्इस, प्लेन और फ्लोरल प्रिंट से बोरियत होती है, पर पोलका डॉट के साथ किए गए प्रयोग में कपड़े ज्यादा अच्छे लगते हैं। ये छोटे पिन साइज डॉट से शुरू होकर बड़े डॉट में भी हो सकते हैं। ये कपड़े, पर्स, जूते और यहां तक कि बीड नेकलेस पर भी काफी फबते हैं।

सुंदर सिर्फ गौरे ही नहीं सांवले भी होते है

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कई महिलाओं को भ्रम होता है कि गोरी महिलाएं ही सुंदर दिखती हैं। जबकि गोरेपन का सुंदरता से ज्यादा वास्ता नहीं है। यदि आप सांवली हैं लेकिन आपके नैन-नक्श सुंदर हैं तो आप गोरी से गोरी महिला को सुंदरता के मामले में पछाड़ सकती हैं। ग्लैमर जगत में तो शुरू से ही सांवले रंग का बोलबाला रहा है इसलिए सांवले रंग को लेकर मन में हीन भावना लाने की जरूरत नहीं है। सांवली त्वचा वाली महिलाओं को चाहिए कि वह जो फाउंडेशन लगाती हैं वह सौ प्रतिशत त्वचा से मेल खाता हुआ होना चाहिए।

अगर आपने त्वचा के रंग से हल्के रंग का फाउंडेशन इस्तेमाल किया है तो इसका रंग चेहरे पर अलग से नजर आयेगा। चेहरे के दाग धब्बों को छुपाने के लिए फाउंडेशन से पहले कंसीलर का प्रयोग करें। ज्यादातर कंसीलर सफेद या गुलाबी रंगों में मिलते हैं इसलिए कंसीलर खरीदते समय ध्यान रखें कि वह आपकी त्वचा से मेल खाता हो।

सांवली त्वचा पर कॉम्पेक्ट की बजाय इरिडिसेंट पाउडर के मेकअप सेट करना चाहिए। अगर यह पाउडर उपलब्ध नहीं हो तो गोल्डन रंग के शाइनिंग पाउडर के प्राकृतिक रंग के ब्लशर में मिक्स करें और ब्रश की मदद से चेहरे पर इसका हल्का कोट लगाकर फिनिशिंग टच दें। सांवले रंग के साथ हल्के रंग के आई शैडो अच्छे लगते हैं। दिन में मेकअप में हाइलाइटर का प्रयोग नहीं करें शाम की पार्टियों में जाते समय आई ब्रो के नीचे हाइलाइटर का हल्का सा स्पर्श देना चाहिए।

काजल गोरी महिलाओं की अपेक्षा सांवली महिलाओं पर ज्यादा फबता है इसलिए इसका प्रयोग करना चाहिए। हल्के रंग के लिप पेंसिल से होठों को आकर दें। अब हल्के रंग की फॉस्टी लिपिस्टक को ब्रश की मदद से होठों पर लगाएं। लाल और मैहरून बेस की लिपिस्टक की बजाय साफट रंगों का इस्तेमाल करना चाहिए। सांवली त्वचा को आकर्षक बनाने के लिए हल्का शाइनी मेक अप करें।

परंपरागत परिधान के साथ मैच करते रंगों से लगाई गई कलात्मक बिंदी बहुत ही अच्छी लगती है। आपका गेटअप और ड्रेस ऐसी होनी चाहिए जो आधुनिक भी लगे और पूरी पर्सनालिटी को सूट भी करें। ज्यादातर हल्के रंग के कपड़ों का चुनाव करें जैसे कि आसमानी, गुलाबी, क्रीम, ब्राउन आदि। यदि आपको लाल रंग पहनना पसंद हो तो ब्रिक रेड रंग का चुनाव करें।

टू पीस वेस्टर्न ड्रेसेज में लाइट ब्राउन रंग के ट्राउजर या स्कर्ट के साथ क्रीम रंग का टॉप चुनें। साड़ियों में चमकदार कपड़े नहीं चुनकर मैट फिनिश के कपड़े खरीदें। साटन मिल्क की बजाय प्योर सिल्क की बजाय प्योर सिल्क या क्रेप की साड़ियां सांवली-सलोनी रंगत पर ज्यादा अच्छी लगती हैं। भारी बार्डर या पल्लू की साड़ियां सभी पर अच्छी लगती हैं।

बस इतना ध्यान रखना चाहिए कि साड़ियां का बेस रंग हल्का बार्डर का रंग गहरा होना चाहिए। सांवली-सलोनी त्वचा पर फबने वाला मेकअप, सजने वाले कपड़े और रंग के अनुरूप पहने गए आभूषण सौंदर्य की एक अलग ही छटा बिखेरते हैं। यदि आपको चांदी के गहनों का शौक है तो ऑक्सीडाइज्ड चांदी के गहनें पहनें। आजकल सोने के गहनों पर तांबे जैसी पॉलिश का फैशन है। ये हल्की लाली लिए होते हैं। ऐसे गहने सांवली रंगत पर खूब खिलते हैं।

 

 

 

एक गाँव जो बहन के शाप से पत्थर हो गया

The sister of a village was cursed stoneचूरू : राजस्थान के जिला चूरू की तहसील राजगढ़ का एक ऐसा गाँव आज भी आबाद है जो हजारों वर्ष पूर्व एक बहन के शाप से पत्थर हो गया था ! तहसील मुख्यालय से करीब चालीस किलोमीटर दूर बसा यह गाँव रेजड़ी पुराने शापित गाँव से एक किलोमीटर की दूरी पर वर्तमान में भी विद्यमान है ! पहाड़ी की शक्ल में उजड़ा हुआ यह शापित गाँव आज भी बहन के शाप का कलंक लिए यहाँ आने वाले हर व्यक्ति को अपनी कहानी सुना रहा है !

शाप की यह कहानी आस पास के गांवों के निवासियों को भी उतनी ही याद है जितनी रेजड़ी के निवासियों को ! प्राचीन शिवालय के लिए प्रसिद्ध गाँव धानोठी छोटी के पूर्व सैनिक चाननमल ने बताया कि हजारों वर्ष पूर्व रेजड़ी गाँव की एक विवाहित लड़की ने अपने पुत्र जन्म के समय “ जापा “ ( डिलीवरी ) के लिए अपने भाई से शुद्ध देशी घी मंगवाया था और अपनी सास द्वारा जमा किये घी को खाने से इनकार कर दिया ! भाई द्वारा लाये गए घी के झाकरे ( घी रखने का मिटटी का एक बर्तन ) को खोलकर जब घी निकाला गया तो बहन व उसकी सास यह देख कर दंग रह गयी कि झाकरे में ऊपरी भाग में तो ठीक घी है परन्तु नीचे गोबर भरा हुआ है !

बहन अपने पीहर द्वारा किये गए इतने बड़े विश्वासघात को सहन नहीं कर पाई और वहीँ बैठे अपने भाई के सामने ही शाप दे दिया कि सारा रेजड़ी गाँव पत्थर हो जाये ! माना जाता है कि तभी रेजड़ी गाँव में उपस्थित जो जहाँ था वहीँ पत्थर हो गया ! आज भी उजड़े रेजड़ी गाँव के स्थल पर पत्थरों में लोग पुराने गोबर के बिटोड़ो को पत्थर की शक्ल में देखकर दंग रह जातें हैं ! भारी भरकम पत्थर की शिलाओं में कहीं किसी पशु की शक्ल परिलक्षित होती है तो कहीं किसी पुरुष व स्त्री की !

शापित पहाड़ी क्षेत्र में आज भी देवी माता रेजड़ी का पूजा स्थल है ! लोगों का कहना है कि सरकार द्वारा किये गए विस्फोटों के कारण अधिकतर आकृतियाँ अपना मूल स्वरुप खो चुकी हैं !

शापित रेजड़ी गाँव की इस किवदंती का रहस्य तो अभी भी रहस्य ही बना हुआ है परन्तु हजारों वर्ष पूर्व दिए गए इस शाप से आज भी आस पास के लोग इतने कुपित हैं कि कोई भी व्यक्ति इस पहाड़ी क्षेत्र से कोई पत्थर का टुकड़ा तक अपने घर नहीं ले जाता !

रिपोर्ट :- जग मोहन ठाकन




जिस जेल का था अधीक्षक उसी में काटेगा10 साल की सजा

prisonखंडवा [ TNN ] 2009 में खंडवा पदस्‍थ रहे जेल अधीक्षक मानेंद्र सिंह परिहार को पत्‍नी की श्‍वेता सिंह परिहार को आत्महत्या के लिए प्रेरित  और दहेज प्रतारणा के आरोप में जिला न्ययालय ने 10  साल जेल सहित एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई । इस मामले न्ययालय ने जेल अधीक्षक मानेंद्र सिंह परिहार के परिवार के 4 सदस्‍यों भाई, भाभी, पिता और एक अन्‍य रिश्‍तेदार को भी 7 की सजा के साथ एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है ।

खंडवा के बहुचर्चित श्वेता परिहार आत्महत्या कांड में आज खंडवा जिला न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए उनके पति मानेन्द्रसिंह, ससुर मोहन सिंह, जेठ जागवेन्द्र सिंह, जेठानी श्रद्धा सिंह और एक अन्य रिश्तेदार हरेसिंह को अलग-अलग धाराओं में 7 से 10 साल तक की सजा और एक लाख तीस हजार रूपये के जुर्माने की सजा सुनाई। मानेन्द्र सिंह 2009 में खंडवा जेल के अधीक्षक थे। तभी उनके सरकारी आवास में उनकी पत्नी श्वेता सिंह ने आत्महत्या कर ली थी। श्वेता की शादी को 6 महीने ही हुए थे। मानेन्द्र सिंह वर्तमान में दमोह जेल के अधीक्षक है और उनके पिता वर्तमान में हरदा के तहसीलदार है।

मानेन्द्र सिंह परिहार सन 2009 में जिस खंडवा जेल के अधीक्षक थे। आज वह खुद उसी जेल के कैदी हो गए। न्यायालय ने उन्हें उनके पिता मोहनसिंह, भाई जागवेन्द्र सिंह को अलग-अलग धाराओं में 10 साल और उनकी भाभी श्रद्धा सिंह एवं हरेसिंह को 7 साल की सजा और एक लाख रूपये से ज्यादा के जुर्माने की सजा सुनाई।

श्वेता परिहार की शादी 21 जून 2009 को मानेन्द्र सिंह के साथ हुई थी। मानेन्द्र सिंह उस समय खंडवा जेल के जेल अधीक्षक थे। शादी के 6 महीने बाद 17 दिसम्बर 2009 को श्वेता ने जेल अधीक्षक के सरकारी आवास में आत्महत्या कर ली थी। श्वेता के परिजनों ने मानेन्द्र सिंह और उनके परिजनों पर हत्या, घरेलू हिंसा और दहेज प्रताडऩा का मामला दर्ज कराया था। आज श्वेता के परिजनों ने न्यायालय के इस फैसले पर खुशी जाहिर की और इस मामले को उठाने के लिए मीडिया की सराहना की।

ये मामला पांच साल से कोर्ट में विचाराधीन था। इस दौरान मानेन्द्र सिंह और उनके परिजन शासकीय सेवा में स्थानांतरित होते गए। वर्तमान में मानेन्द्र सिंह दमोह जेल अधीक्षक है, उनके पिता मोहन सिंह हरदा में तहसीलदार है, भाई जागवेन्द्र सिंह पटवारी है और भाभी रीवा में एक्साईज इंस्पेक्टर के पद पर पदस्थ है। न्यायालय ने सभी को जेल भेज दिया।

ऑरल सेक्स का डबल मजा ले मशीन से

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ऑरल सेक्स और वह भी मशीन से, सुनने में बड़ा ही अटपटा लगता है, लेकिन यह हकीकत है। क्राउडफंडिंग से बनाई जा रही ओरल सेक्स मशीन पहले से ऑर्डर देने पर उपलब्ध है। इस मशीन को ब्रायन स्लोवन ने बनाया है।

इस उत्पाद से जुड़ी एक विचित्र बात यह है कि इस मशीन को क्राउडफंडिग साइट्‍स के सहारे बेचा रहा है क्योंकि वे कभी-कभी अपने निवेश लक्ष्यों तक ही पहुंच पाती हैं, लेकिन इसके मामले में परिणाम उत्साहजनक रहा है।

इसका मशीन का नाम ऑटोब्लो-2 बताया जाता है जोकि एक नया सेक्स टॉय है। इसमें खरीददारों को सुख देने के लिए एक मोटर भी लगी है ताकि इसे प्रयोग करने वाले के हाथ पूरी तरह से मुक्त होते हैं और वह इनका भी इस्तेमाल अपने सुख को बढ़ाने में कर सकता है। इस मामले में यह किसी सेक्स वीडियो को भी मात कर सकती है।

लेस्टाग्राम नाम की कंपनी ने कुछ समय पहले इंडीगोगो क्राउडफ‍ंडिंग साइट पर इसके बारे में जानकारी पोस्ट की थी। मुंह से लिंग को उत्तेजित करने वाली जैसी सुविधा देने वाले इस उपकरण के बारे में एक माह पहले ही जानकारी दी गई थी। इस समय के बाद इसने निवेश का लक्ष्य 45 हजार डॉलर पूरा कर लिया है वरन इसके अलावा 235,247 डॉलर की अतिरिक्त राशि भी जुटा ली है।

इसके खोजकर्ता का कहना है कि इलेक्ट्रिक से चलने के कारण भी इससे करंट लगने का कोई खतरा नहीं है। ज्यादातर परम्परागत फ्लेशलाइट की बजाय ऑटोब्लो-2 इलेक्ट्रॉनिक तरीके से काम करता है। इसे उपयोग करने वाले को अपना अंगविशेष इस उपकरण के कांट्रेप्शन में डालना होता है और इसे इसे प्लग में लगा कर बैठ जाएं और बाकी का काम इस उपकरण की मोटर अपने आप कर देती है।

इस मशीन के बारे में इसके निर्माता ब्रायन स्लोवन का कहना है कि इस उपकरण से शॉर्ट सर्किट होने का कोई खतरा नहीं है और अगर आप उनकी बातों पर भरोसा कर सकते हैं तो अपना प्री-ऑर्डर भेज सकते हैं।

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गे सेक्स रैकेट कर रहा था डॉक्‍टर को ब्‍लैकमेल

gay-couple-ibnबेंगलूरू [ TNN ] बेंगलूरू पुलिस ने ऐसे सात युवाओं को गिरफ्तार किया है जो ब्‍लैकमेल चलाते थे। उन पर एक डॉक्‍टर को ब्‍लैक मेल करने का आरोप है। फिलहाल सभी आरोपी सलाखों के पीछे हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा 377 का प्रयोग गे मामलों से जुड़े अपराधों में करने की अनुमति देने के बाद यह पहला मामला है जिसमें इस धारा का प्रयोग किया जा रहा है।

पुलिस ने बताया कि इसके साथ ही इन युवाओं पर अन्‍य धाराओं के तहत भी मुकदमा दर्ज किया गया है। इन पर आरोप है कि इन्‍होंने एक डॉक्‍टर से 16 लाख रुपए ब्‍लैकमेल किए। आरोपियों ने डॉक्‍टर को धमकी दी थी कि अगर उन्‍होंने ऐसा नहीं किया तो उनके पास उससे संबंधित जो टेप है उसे वह मीडिया के सामने उजागर कर देंगे।

पुलिस ने बताया कि आरोपियों में सुहास नामक आरोपी है जिसकी उम्र 20 साल है और वह एक प्रतिष्ठित डीटीएच कंपनी से जुड़ा हुआ है।

वह एक दिन डॉक्‍टर के यहां कनेक्‍शन करने के लिए गया था और वहां पर उसके डॉक्‍टर के साथ अच्‍छे संबंध हो गए। इसके साथ ही उन दोनों के बीच गे संबंध भी स्‍थापित हुए। सुहास ने इस बात की जानकारी अपने दोस्‍त दिवाकर(19), मधु(19), नीकेश(22), विश्‍वा(21), महेश(19), विकास(21) को बताई।

इसके बाद दोस्‍तों ने मिलकर एक प्‍लान बनाया और सुहास ने अपने दो दोस्‍तों को डॉक्‍टर से मिलाया। इन दोनों के साथ भी डॉक्‍टर ने गे संबंध स्‍थापित किए। इन्‍हीं में से एक ने इस पूरे घटना को कैमरे में कैद कर लिया और कुछ दिनों बाद डॉक्‍टर को इस बात की धमकी देने लगे कि अगर पैसा नहीं दिया गया तो वइ इस वीडियो को मीडिया के सामने पेश कर देंगे।

डॉक्‍टर ने समाज में प्रतिष्‍ठा और इज्‍जत के डर से इन लोगों को 5 लाख रुपए दे दिए। इसके बाद इन लोगों ने पैसे को अपास में बांट लिए और मौजमस्‍ती में उड़ा दिए। इसके बाद इन्‍होंने डॉक्‍टर को दोबारा फोन किया और उससे 11 लाख रुपए लिए। यह सिलसिला यहां थमा नहीं और इन्‍होंने एक बार फिर डॉक्‍टर को फोन किया जिसके बाद डॉक्‍टर ने इस बात की जानकारी पुलिस को दे दी।

पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया और उनके ऊपर धारा 377 और 384 के तहत मुकदमा दर्ज किर लिया। इस संबंध में बेंगलूरू उपायुक्‍त अभिषेक गोयल ने बताया कि इन आरोपियों पर अपराध सिद्ध हो जाता है तो डॉक्‍टर के खिलाफ भी धारा 377 के तहत मुकदमा दर्ज किया जाएगा। Agancy

 

देह व्यापार के लिए महिला को बेचा , जंगल में एक महीने तक गैंग रैप

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खंडवा [TNN ] नौकरी दिलाने के नाम पर मुंबई की एक विवाहिता को दो महिलाएं खंडवा ले आई। विवाहिता को एक व्यक्ति को बेच दिया। जंगल ले जाकर एक महीने तक बलात्कार किया। फिर उसे देह व्यापार में धकेल दिया।

एक माह बाद महिला किसी तरह चंगुल से भागी और मुंबई पहुंचकर अपने पति को आपबीती सुनाई। दोनों महिलाओं सहित दस आरेापियों पर मुंबई ठाणे के वि_लवाड़ी पुलिस थाने में केस दर्ज किया गया है। वि_लवाड़ी थाने में 30 अप्रैल को महिला के पति की शिकायत पर गुमशुदगी दर्ज थी।

वि_लवाड़ी थाने के सब इंस्पेक्टर सीएन खुसपे को पीडि़ता ने बताया 30 अप्रैल को उल्हास नगर में दो महिलाएं ज्योति पति किशोर चवानी और कोमल पति हितेश रेवानी से मुलाकात हुई। दोनों ने खंडवा में अच्छी नौकरी दिलाने को कहा। इसी बात पर मैं उनके साथ खंडवा चली गई। वहां एक व्यक्ति से सौदा कर बेच दिया।

महिलाओं ने कितने रुपए में बेचा यह नहीं पता लेकिन वह व्यक्ति यह कहकर सुबह-शाम बलात्कार करता रहा कि तुझे रुपए देकर खरीदा है। महिला ने बताया जंगल में रोज नए लोग आते और जबरदस्ती बलात्कार करते।

मुंबई ठाणे के लवाड़ी थाने में महिला की शिकायत पर ज्योति पति किशोर सिंधी, कोमल पति हितेश रेवानी और आठ अन्य आरोपियों पर धारा 362, 344, 376 के तहत केस दर्ज किया। मामले में महाराष्ट्र पुलिस आरेापियों की तलाश में जल्द खंडवा आएगी।

एसपी मनोज शर्मा ने बताया इस मामले में अब तक मुंबई पुलिस से जानकारी प्राप्त नहीं हुई है। अगर वहां केस दर्ज हुआ है तो आरेापियों को पकडऩे में मुंबई पुलिस की मदद करेंगे।

 

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पहली बार ssss के लिए जाने 10 ख़ास बाते !

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पहली बार सेक्स को लेकर मन में कई तरह की गलतफहमियां सवाल होते हैं, अगर आप इन 10 बातो को जानलेंगे तो लगभग सारे सवालो के जवाब मिल जाएंगे ।

1. घबराने की जरूरत नहीं : अगर आप सोच रहे हैं कि आपका पहली बार सेक्स करने का एक्सीपीरियंस माइंड ब्लोइंग होगा तो शायद यह सही नहीं है। याद रखिए यह आपके लिए नया एक्सीपिरियंस है, इसलिए जरूरी है कि आप चीजों को आराम से करें। हो सकता है आपको पहली बार बहुत अच्छा एक्सपीरियंस न हो लेकिन घबराने की जरूरत नहीं है क्योंकि चीजें बेहतर होती जाएंगी।

2. जरूरतों को समझने की कोशिश करें : फर्स्ट टाइम लव मेकिंग के दौरान ऑर्गेजम की अपेक्षा न करें। इसके बजाय एक दूसरे की शारीरिक जरूरतों को समझने की कोशिश करें।

3. दिखावा करने की जरूरत नहीं :महिलाओं के लिए फर्स्ट टाइम सेक्स के दौरान अपने पार्टनर को खुश करने के लिए झूठे ऑर्गेजम का दिखावा करने की जरूरत नहीं है। यह आपके लिए सेक्स करने का पहला अवसर है इसलिए आपका पार्टनर इसे समझेगा।

4. गंदी बात की जरुरत नहीं : अक्सर लोग सोचते हैं कि पहली बार सेक्स से पहले डर्टी और नॉटी बातें करना जरूरी होता है। लेकिन यह सच नहीं है। फर्स्ट टाइम लव मेकिंग के दौरान आप बेड में अपने पार्टनर से क्या चाहती हैं इस पर बात करें। डर्टी टॉक बाद में भी कर सकते हैं।

5. पहले करने का इंतजार ना करे : अक्सर महिलाएं प्यार दर्शाने के मामले में शर्मीली होती हैं। लेकिन फर्स्ट टाइम सेक्स के दौरान आप पहल करें और उनके प्यार करने का इंतजार न करें। अगर आप दोनों एक दूसरे के पहले करने का इंतजार करते रहे तो रात ऐसे ही बीत जाएगी!

6. सेक्स करना बहुत आसान : अक्सर कहा जाता है कि पहली बार सेक्स करने में बहुत दर्द होता है लेकिन अगर ठीक से फोरप्ले किया जाए और आप इसके लिए पूरी तरह तैयार हों तो पहली बार सेक्स करना बहुत आसान हो जाता है और बहुत कम दर्द होता है। आप चाहें तो इस समय लुब्रीक्रेंट्स का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

7. साइज से कोई लेनादेना नहीं : यकीन मानिए सेक्स में साइज का कोई महत्व नहीं होता। महिलाओं में अक्सर यह भ्रम होता है कि उनके पार्ननर का साइज जितना बड़ा होता है उन्हें उतनी जल्दी ऑर्गेजम तक पहुचेंगी। लेकिन यह धारणा बिल्कुल अलग है। ऑर्गेजम का साइज से कोई लेनादेना नहीं होता है।

8. पोर्न फिल्मों से बचे : अगर आपको लगता है कि आप भी पोर्न स्टार की तरह सेक्स कर पाएंगे तो आप गलत सोच रहे हैं। पोर्न फिल्मों में कई ऐक्ट तो फेक होते हैं और साथ ही आपकी बॉडी भी पोर्न स्टार्स जैसी नहीं होती। इसलिए उन्हें फॉलो करने की कोशिश न करें।

9.जरुरी नहीं ब्लीडिंग हो : आमतौर पर लोगों में यह धारणा है कि फर्स्ट टाइम सेक्स के दौरान वर्जिन लड़की को ब्लीडिंग होना जरूरी है। लेकिन यह सही नहीं है। ब्लीडिंग का संबंध वर्जिनिटी से बिल्कुल नहीं है। ब्लीडिंग हाइमन के फटने से होती है, जो संभव है कि कभी उस पर खेलकूद या भागदौड़ के कारण दबाव पड़ने पर पहले ही फट गई हो। जरूरी नहीं है कि ऐसा सेक्स के दौरान ही हो।

10. काम समय में ज्यादा एंजॉय : लोगों में यह धारणा है कि पहली बार सेक्स की अवधि बहुत लंबी होती है और इसका अंत ऑर्गेजम के रूप में होता है। लेकिन यह धारणा सही नहीं है और ऑर्गेजम के मामले में महिलाओं को निराशा हाथ लग सकती है। इसलिए जरूरी है कि पहली बार सेक्स के दौरान बिना किसी उम्मीद के सिर्फ इसे एंजॉय करने की कोशिश करें।

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तीन महीने की रोशनी की कहानी , आ जाएंगे आँखों में आंसू

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तीन महीने में ही रोशनी की जिंदगी ने देखी फिल्मों जैसी कहानियाँ

 
खंडवा [ TNN ] जिंदगी का अंधेरा समझकर क्या कोई रोशनी को ठुकरा सकता है? छैगांवमाखन में इसी तरह का वाकया घट रहा है। उत्तरप्रदेश के बहराईच से एक गर्भवती युवती को ट्रक में बैठा दिया गया। डेढ माह बाद उसने बच्ची को जन्म दिया। तीन माह की बच्ची व युवती को अब छैगांवमाखन की महिला पाल रही है।
युवती व बच्ची को ऋतंभरा देवी के वात्सल्य ग्राम ओंकारेश्वर में देने के लिये समाजसेवियों ने पहल की। आश्रम तैयार हो गया। अब तीन माह की बच्ची से महिला रमाबाई को इतना मोह हो गया है कि वह उसे छोडऩे को तैयार नहीं है। बच्ची के चक्कर में वह युवती को भी पाल रही है।
 घटनाक्रम?
अर्धविक्षिप्त युवती कम बात करती है। वह इतना बताती है कि यूपी के बहराईच जिले की है। उसके तीन चार बच्चे भी हैं। घटना से लोग अनुमान लगा रहे हैं। वे भी लड़कियाँ रहीं होंगी। डिलेवरी पीरियड में पति की त्रासदी से विक्षिप्त हो गई। उसे ट्रक में बैठाकर छैगांवमाखन के पास छोड़ दिया गया। छैगांव में डेढ़ महीने घूमती रही। 19 मार्च को उसने सड़क पर ही पुत्री को जन्म दे दिया।
जाग गई ममता
गांव की ही रमाबाई ने उसे पाल लिया। युवती की सेवा की। इसे भी तीन महीने हो गए। पहले रमाबाई उसे आश्रम भेजने को तैयार थीं। तीन माह में बच्ची के प्रति ममता जाग गई। समाजसेवी सुनील जैन बच्ची व युवती के लिये कपड़े व तेल, साबुन भिजवाते रहे।
वात्सल्य ग्राम भेजने से इंकार
बच्ची को अच्छा वातावरण मिले। इसके लिये समाजसेवी सुनील जैन व आशीष चटकेले ने अज्ञात मां बेटी को ओंकारेश्वर के कोठी स्थित ऋतंभरा देवी के वात्सल्य ग्राम परमशक्ति पीठ भेजने की योजना बनाई। आश्रम की संरक्षिका साक्षी चेतना दीदी ने माँ बेटी को आश्रम में रखने की सहमति दे दी।
नवजात को लाई थी घर
गुरूवार को छैगांव पहुंचे सुनील जैन, आशीष चटकेले व गांव के प्रदीप कुशवाह को रमाबाई ने कहा कि पुत्री रोशनी से अब काफी मोह हो चुका है अब इसे और इसकी मां को मैं ही पालुंगी। रमाबाई का ममत्व जाग गया। उन्होंने कहा कि बच्ची से मुझे अटैचमेंट हो गया है। किसी भी स्थिति में बच्ची देने को इंकार कर दिया। सच भी है। रमाबाई ने ही तीन महीने उसे सीने से लगाए रखा। सच कहें तो पहला अधिकार भी उसी का बनता है। बच्ची के लिये रमाबाई उस विक्षिप्त महिला को भी रखने को तैयार है।
कौन हैं रमाबाई?
रमाबाई छैगांवमाखन की संवेदनशील महिला हैं। पहले ढाबा भी था। खेती बाड़ी भी है। पति का पहले निधन हो चुका है। एक बेटा भी अकाल मौत का शिकार हो गया। बेटियों की शादी हो गई। सड़क पर डिलेवरी का सुनकर रमाबाई ने युवती व नवजात को घर पर परवरिश के लिये रख लिया। थाने व अन्य सरकारी विभागों में सूचना दे दी। एक अन्य उड़ीसा की महिला को भी वे 15 साल से पाल रही हैं। सुनील जैन ने बच्ची का नाम पहले ही रोशनी रख दिया था। यही नाम से बच्ची चर्चित हो रही है।
मां-बेटी की जानकारी प्रशासन को है
सड़क पर डिलेवरी का मसला तत्कालीन कलेक्टर नीरज दुबे को भी पता है। कलेक्टर शिल्पा गुप्ता को भी इस मामले की पूरी जानकारी है। तत्क ालीन महिला बाल विकास अधिकारी राजेश गुप्ता व वर्तमान प्रभारी श्री सोलंकी को भी जानकारी में है लेकिन मां बेटी के लिए प्रशासन ने अपने कदम नहीं बढ़ाए।
शासन क्यों उदासीन बना?
अब सवाल यह उठता है कि शासन प्रशासन व महिला बाल विकास विभाग में इस तरह के अनाथों के लिये कोई योजना नहीं है क्या? यदि नहीं तो शिवराज सरकार कैसी संवेदनशील है। समाजसेवियों के जिम्मे ही क्या सड़क पर डिलेवरी व उनकी परवरिश का जिम्मा सौंप दिया गया है? महिलाओं व बच्चों के लिये हर तरह की डिलेवरी संबंधी योजनाएं हैं। फिर महिला बाल विकास अधिकारी, दो दो कलेक्टरों को जानकारी होने के बाद भी शिवराज की भान्जी सड़क पर पैदा हो रही हैं।

रिपोर्ट – शीतल नागर [ खंडवा ]  

फेसबुक ,वाट्स एप पर चल रहा था सेक्स रैकेट

sex racket on facebook whatsapp
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लखनऊ में सोशल नेटवर्किंग साइट पर चल रहे सेक्स रैकेट का पुलिस ने खुलासा किया है । फेसबुक और  वाट्स एप  के पर चल रहे अंतरराज्यीय इस सेक्स रैकेट में पुलिस ने5 लड़कियों सहित 16 लोगों को दो गेस्ट हाउसों से पकड़ा है पकड़ी गई लड़कियों में से एक दिल्ली में फैशन डिजाइनर है, जो फ्लाइट से लखनऊ आई थी । सभी लड़कियों को महिला सुधार गृह भेजा गया है, जबकि आरोपी ग्राहकों को जेल भेज दिया गया।

जानकारी अनुसार सुचना मिलने पर बीती रात पुलिस की एक टीम विपुलखंड स्थित एस्कार्ट और अलकनंदा गेस्टहाउस पहुंची , पुलिस ने दोनों गेस्ट हाउस के कमरों में छापामारी की तो भगदड़ मच गई. अलग-अलग कमरों से पांच लड़कियों को पांच ग्राहकों के साथ पकड़ा गया । गेस्ट हाउस के 6 कर्मचरियों को भी सेक्स रैकेट संचालन के आरोप में पकड़ा गया ।

ऐसे होती थी बुकिंग
पुलिस के अनुसार यह सेक्स रैकेट फेसबुक और वाट्स एप के जरिए चल रहा था. होटल और गेस्ट हाउस में कमरों की बुकिंग भी वाट्सएप से ही होती थी. अलकनंदा गेस्टहाउस के कर्मचारी व मऊ के मधुबन सीपाह निवासी अरविंद यादव, लखनऊ के इटौंजा का रवि पवार, बाराबंकी के फतेहपुर टेडवा का सोनू व मानू सिंह और यशप्रीत गेस्ट हाउस का कर्मचारी व गोंडा के परसपुर बस्ती का पुरवा का रमेश वर्मा, लखनऊ के नगराम का राहुल यादव ग्राहकों के ठहरने का इंतजाम करते थे ।

पकडे गए ग्राहक 

पकड़े गए ग्राहकों में लखीमपुर गोला निवासी कपड़ा कारोबारी अवनीश मिश्रा, लखीमपुर खीरी के अवधीटोला निवासी ठेकेदार मो. आमिर, अवनीश का ड्राइवर मेराज, रायबरेली के तिवारीपुर निवासी और दिल्ली में नौकरी करने वाला देशराज और गांधीनगर दिल्ली के ओल्ड सीलमपुर का मो. सईद शामिल हैं । गेस्ट हाउस मालिक गोसाईंगंज निवासी कार्तिक त्रिपाठी उर्फ सोनू और दीपक उर्फ राहुल तथा आकाश मौके से भाग निकले. इनकी तलाश की जा रही है.

लड़कियां दिल्ली, हरियाणा, लखनऊ और बलिया की हैं. एक लडक़ी दिल्ली में फैशन डिजाइनर है, जो फ्लाइट से आती-जाती थी. लड़कियों की उम्र 20 से 28 साल के बीच है। आरोपियों के पास से 16 मोबाइल फोन और हजारों रुपये मिले हैं. पुलिस ने अनैतिक देह व्यापार अधिनियम के तहत कार्रवाई की है. गेस्टहाउस को सील करने की कार्रवाई की जा रही है ।

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कमांडर आदेश देता है ,जाओ, औरतों का रेप करो

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लंदन- अगर आम लोगों के आस-पास सैनिकों का बसेरा होता है तो लोग अपने आप को महफूज़ समझते हैं। पर जहां पर कॉन्गो के सैनिक रात को मार्च पर निकलते हैं वहां के लोग और खास कर महिलाएं भागने लगती हैं।

जी हां कॉन्गो के सैनिक रात में मार्च पर निकलते जरूर हैं पर लोगों की रक्षा के लिए नहीं बल्कि शिकार करने। शिकार करने निकले इन सैनिकों का निशाना होती हैं घरों से भागकर जंगल में छिपीं औरतें। इन औरतों को पता होता है कि अगर पकड़ी गईं तो उनके साथ रेप किया जाएगा और शायद मार भी दिया जाए।

ये हालात हैं मिनोवा शहर के सेना को आदेश दिया गया है कि डेमॉक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के इस कस्बे पर कब्जा कर लिया जाए। 2000 जवान हवा में फायरिंग के साथ अपने पहुंचने का ऐलान करते हैं। कमांडर आदेश देता है, ‘जाओ, औरतों का रेप करो।’ सैनिक आदेश मान कर चल देते हैं।

एक सैनिक बताता है, ‘यह सच है कि हम यहां रेप करते हैं। हमने औरतों को पकड़ लिया, क्योंकि वे बच नहीं सकतीं। हम उन्हें देखते हैं, पकड़ते हैं, अपने साथ ले जाते हैं और फिर जो मर्जी करो। कभी उन्हें मार भी देते हैं। उनका रेप करने के बाद हम उनके बच्चों को मार देते हैं। जब हम रेप करते हैं तो हमें आजादी का अहसास होता है।

रोंगटे खड़े कर देने वाली यह रिपोर्ट द इंडिपेंडेंट अखबार में छपी है। रिपोर्ट में नजगिरा नामक एक महिला के साथ हुए रेप के बारे में बताया गया है। 2012 के नवंबर में उनके साथ गैंग रेप हुआ। तीन लोगों ने एक साथ रेप किया। वह बताती हैं, ‘उनमें से एक ने कहा कि मैं वहां नहीं जाऊंगा, जहां औरों ने अपनी गंदगी गिराई है। इसलिए उसने मेरे साथ अननैचरल तरीका अपनाया। मुझे लगा था कि मैं मरने वाली हूं।’

अमेरिकन जर्नल ऑफ पब्लिक हेल्थ की रिसर्च कहती है कि डेमॉक्रैटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो में हर रोज 1152 महिलाओं के साथ रेप होता है, यानी हर घंटे 48 महिलाएं रेप का शिकार होती हैं। Source -Agency

Sexual violence in war: Summit held in London

वी. के. सिंह गलत ,सोने जैसे खरे सुहाग – सरकार

X Army-Chief-General-VK-Singhनई दिल्ली [ TNN ] सेना के सर्वोच्च लोगों के बीच चल रहे विवाद में सोमवार को नया मोड़ आया, जब भारत सरकार ने पूर्व आर्मी चीफ और अब मंत्री वी. के. सिंह की बात को अवैध, असंगत और पूर्वनियोजित बता दिया। इंडियन एक्सप्रेस अखबार की खबर के मुताबिक, सरकार ने वाइस चीफ दलबीर सिंह सुहाग के प्रमोशन का समर्थन किया।

यूपीए-2 सरकार ने सुहाग को सेना प्रमुख नियुक्त किया था। वह 31 जुलाई को रिटायर हो रहे जनरल बिक्रम सिंह की जगह लेंगे। आमतौर पर नए सेना प्रमुख के नाम का ऐलान दो महीने पहले कर दिया जाता है। सुहाग के एक पुरानी प्रमोशन पर लेफ्टिनेंट जनरल रवि दास्ताने ने कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका में अप्रैल और मई 2012 में तत्कालीन जनरल वी. के. सिंह द्वारा उनके खिलाफ की गई जांच का भी जिक्र किया गया है। इस याचिका पर दाखिल हलफनामे में रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि तब जनरल वी. के. सिंह ने जो कार्रवाई की थी, वह निराधार थी।

अप्रैल 2012 में वी. के. सिंह ने सुहाग पर कमांड की विफलता और नियंत्रण न रख पाने का आरोप लगाते हुए अनुशासनात्म कार्रवाई की थी। ऐसा एक इंटेलिजेंस यूनिट के ऑपरेशन के कारण हुआ था, जो सुहाग के नेतृत्व में चलाया जा रहा था।

वी. के. सिंह के रिटायर होने के एक पखवाड़े के भीतर ही नए सेना प्रमुख जनरल बिक्रम सिंह ने उनका फैसला पलटते हुए सुहाग के प्रमोशन की अनुमति दे दी। आर्मी कमांडर के इसी प्रमोशन के खिलाफ दास्ताने ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर रखी है। दास्ताने का कहना है कि इस पोस्ट के लिए वह उपयुक्त उम्मीदवार थे, लेकिन जनरल बिक्रम सिंह ने पक्षपात करते हुए सुहाग को प्रमोट कर दिया, जबकि उस वक्त उन पर अनुशासनात्मक प्रतिबंध लगा हुआ था।

रक्षा मंत्रालय ने अपने हलफनामे में न सिर्फ दास्ताने की चुनौती को बकवास बताया है, बल्कि वी. के. सिंह के प्रतिबंध लगाने के तरीके की भी तीखी आलोचना की है।

सोशल मीडिया और भारतीय समाज

  

 

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भारतीय समाज में किसी नए प्रयोग को लेकर इतनी स्वीकार्यता कभी नहीं थी, जितनी कम समय में सोशल मीडिया ने अर्जित की है। जब इसे सोशल मीडिया कहा गया तो कई विद्वानों ने पूछा अरे भाई क्या बाकी मीडिया अनसोशल है? अगर वे भी सामाजिक हैं,तो यह सामाजिक मीडिया कैसे? किंतु समय ने साबित किया कि यह वास्तव में सोशल मीडिया है।

पारंपरिक मीडिया की बंधी-बंधाई और एकरस शैली से अलग हटकर जब भारतीय नागरिक इस पर विचरण करने लगे तो लगा कि रचनात्मकता और सृजनात्मकता का यहां विस्फोट हो रहा है। दृश्य, विचार, कमेंट् और निजी सृजनात्मकता के अनुभव जब यहां तैरने शुरू हुए तो लोकतंत्र के पहरूओं और सरकारों का भी इसका अहसास हुआ। आज वे सब भी अपनी सामाजिकता के विस्तार के लिए सोशल मीडिया पर आ चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं भी कहा कि “सोशल मीडिया नहीं होता तो हिंदुस्तान की क्रियेटिविटी का पता ही नहीं चलता।” सोशल मीडिया अपने स्वभाव में ही बेहद लोकतांत्रिक है। जाति, धर्म, भाषा, लिंग और रंग की सीमाएं तोड़कर इसने न सिर्फ पारंपरिक मीडिया को चुनौती दी है वरन् यह सही मायने में आम आदमी का माध्यम बन गया है। इसने संवाद को निंरतर, समय से पार और लगातार बना दिया है। इसने न सिर्फ आपकी निजता को स्थापित किया है वरन एकांत को भी भर दिया है।

सूचनाएं आज मुक्त हैं और वे इंटरनेट के पंखों पर उड़ रही हैं। सूचना 21 वीं सदी की सबसे बड़ी ताकत बनी तो सोशल मीडिया, सभी उपलब्ध मीडिया माध्यमों में सबसे लोकप्रिय माध्यम बन गया। सूचनाएं अब ताकतवर देशों, बड़ी कंपनियों और धनपतियों द्वारा चलाए जा रहे प्रचार माध्यमों की मोहताज नहीं रहीं। वे कभी भी वायरल हो सकती हैं और कहीं से भी वैश्विक हो सकती हैं। स्नोडेन और जूलियन असांजे को याद कीजिए। सूचनाओं ने अपना अलग गणतंत्र रच लिया है। निजता अब सामूहिक संवाद में बदल रही है। वार्तालाप अब वैश्विक हो रहे हैं। इस वचुर्अल दुनिया में आपका होना ही आपको पहचान दिला रहा है। “ढाई आखर प्रेम का पढ़े सो पंडित होय” कहने वाले देश में अब एक वाक्य का विचार क्रांति बन रहा है। यही विचार की ताकत है कि वह किताबों और विद्वानों के इंतजार में नहीं है।

सोशल साइट्स का समाजशास्त्र अलग है। यहां ट्वीट फैशन भी है और सामाजिक काम भी। फेसबुक और ट्विटर नए गणराज्य हैं। इस खूबसूरत दुनिया में आपकी मौजूदगी को दर्ज करते हुए गणतंत्र। एक नया भूगोल और नया प्रतिपल नया इतिहास रचते हुए गणतंत्र। निजी जिंदगी से लेकर जनांदोलन और चुनावों तक अपनी गंभीर मौजूदगी को दर्ज करवा रहा ये माध्यम, सबको आवाज और सबकी वाणी देने के संकल्प से लबरेज है। कंप्यूटर से आगे अब स्मार्ट होते मोबाइल इसे गति दे रहे हैं। इंटरनेट की प्रकृति ही ऐसी है कि वह डिजीटल गैप को समाप्त करने की संभावनाओं से भरा –पूरा है। यहां मनुष्य न तो सत्ता का मोहताज है, न ही व्यापार का। कोई भी मनुष्यता सहअस्तित्व से ही सार्थक और जीवंत बनती है। यहां यह संभव होता हुआ दिख रहा है।

कर्मचारी चयन आयोग 2834 रिक्त पदो के लिए परीक्षा आयोजित

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बिहार कर्मचारी चयन आयोग, बिहार सरकार के विभिन्न विभागों में कुल 2834 रिक्त पदों को भरने के लिए लिखित परीक्षा आयोजित करेगा।विज्ञापित पदों में पुलिस से जुड़े विभिन्न विभागों में 1,640 पद, सचिवालय सहायक के 332 पद, शिक्षकों के 22 पद, योजना सहायक के 280 पद, मलेरिया निरीक्षक के 55 पद, प्रखंड पंचायती राज पदाधिकारी के 50 पद, श्रम प्रवर्तन पदाधिकारी के 107 पद सहित अन्य विभागों की रिक्तियां शामिल हैं।

आयु सीमा
आयुसीमा के तहत इन पदों पर आवेदन करने वाले उम्मीदवार की न्यूनतम आयु सीमा 21 वर्ष तथा अधिकतम आयु सीमा 37 वर्ष है। आरक्षित वर्ग को आयु सीमा में नियमानुसार छूट प्रदान की गई है।आयु की गणना 1 सितंबर, 2013 से की जाएगी। आवेदन शल्क के तौर पर सामान्य वर्ग के उम्मीदवार को 300 रुपये तथा आरक्षित वर्ग के उम्मीदवार को 75 रुपये जमा कराना होगा।

आकर्षक वेतनमान
इन पदों पर आवेदन करने वाले उम्मीदवार शैक्षिक तौर पर किसी मान्यताप्राप्त विश्वविद्यालय से किसी भी विषय में स्नातक हो। शिक्षक के पद के लिए अभ्यर्थी के पास बी.एड की डिग्री होना अनिवार्य है।पुलिस के पदों के लिए अलग से शारीरिक योग्यता भी अनिवार्य है। इन पदों पर चयनित उम्मीदवार को वेतनमान के तौर पर पदानुसार 9,300-34,800 रुपये और ग्रेड पे 4600/4200 रुपये, 5,200-20,200 और ग्रेड पे 2400 रुपये दिया जाएगा।

आवेदन
इन पदों के लिए आवेदन केवल ऑनलाइन भरा जाएगा। इन पदों के लिए ऑनलाइन आवेदन 16 जून, 2014 से 22 जुलाई, 2014 तक की जा सकती है।आवेदन करने तथा एवं अधिक जानकारी के लिए उम्मीदवार बिहार कर्मचारी चयन आयोग की वेबसाइट http://bssc.bih.nic.in/ पर लॉग ऑन करें।

 

एक्स पार्टनर को पाने के लिए सेक्स गिफ्ट

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यू.के. में अपने एक्स का दिल दोबारा जीतने की कोशिश करने वालों की संख्या काफी ज्यादा है। एक शोध के मुताबिक 41 प्रतिशत पुरुष ऐसा करने के लिए फूलों का सहारा लेते हैं, वहीं महिलाएं गिफ्ट की जगह सेक्स  के दम पर अपने एक्स पार्टनर को पाने की कोशिश करती हैं।

ज्यादातर ब्रिटिश लोगों का मानना है कि अपने एक्स को पाने के लिए उपहार ही सबसे बेस्ट  तरीका है। पुरुष आमतौर पर फूलों, ज्वैलरी आदि का इस्तेमाल करते हैं, वहीं महिलाएं अपने एक्स को स्पोर्ट्स, म्यूजिक इवैंट्स के टिकट, कपड़े और गेम्स आदि देकर रिझाने का प्रयास करती हैं।

2 हजार लोगों पर किए गए शोध में पाया गया कि नई रिलेशनशिप में रहने के बाद लोग वापस अपने एक्स को अट्रैक्ट करने की कोशिश करते हैं। हर 3 में से 2 महिलाएं अपने एक्स पार्टनर को दोबारा पाने की कोशिश करती हैं। वहीं लगभग 55 प्रतिशत पुरुष अपनी एक्स को जैलेस फील करवाने की कोशिश करते हैं।

शोध में कहा गया है कि 41 प्रतिशत पुरुष अपनी पूर्व पत्नी या पूर्व प्रेमिका को फूल, 21 प्रतिशत ज्यूलरी, 18 प्रतिशत लिंजरी व 22 प्रतिशत एसैसरीज देकर आकर्षित करते हैं। वहीं पूर्व पे्रमी या पूर्व पति को 31 प्रतिशत महिलाएं स्पोर्ट्स का सामान, 27 प्रतिशत कपड़े, 20 प्रतिशत गेम्स व 22 प्रतिशत डी.वी.डी. उपहार देकर आकर्षित करती हैं। DEMO -PIC

हरिद्वार आनंद भैरव मंदिर में प्रसाद के रूप में चढ़ती शराब

 Anand Bhairav ​​Temple Haridwar

भूतभावनभगवान भैरव की महत्ता असंदिग्ध है। भैरव आपत्तिविनाशकएवं मनोकामना पूर्ति के देवता हैं। भूत-प्रेत बाधा से मुक्ति में भी उनकी उपासना फलदायीहोती है। भैरव की लोकप्रियता का अनुमान उसी से लग सकता है कि प्राय: हर गांव के पूर्व में स्थित देवी-मंदिर में स्थापित सात पीढियों के पास में आठवीं भैरव-पिंडी भी अवश्य होती है। नगरों के देवी-मंदिरों में भी भैरव विराजमान रहते हैं। देवी प्रसन्न होने पर भैरव को आदेश देकर ही भक्तों की कार्यसिद्धि करा देती हैं। भैरव को शिव का अवतार माना गया है, अत:वे शिव-स्वरूप ही हैं-

भैरव: पूर्णरूपोहि शंकरस्यपरात्मन:।
मूढास्तेवैन जानन्तिमोहिता:शिवमायया॥

भैरव पूर्ण रूप से परात्पर शंकर ही हैं। भगवान शंकर की माया से ग्रस्त होने के फलस्वरूप मूर्ख, इस तथ्य को नहीं जान पाते। भैरव के कई रूप प्रसिद्ध हैं। उनमें विशेषत:दो अत्यंत ख्यात हैं-काल भैरव एवं बटुकभैरव या आनंद भैरव।
काल के सदृश भीषण होने के कारण इन्हें कालभैरवनाम मिला। ये कालों के काल हैं।

हर प्रकार के संकट से रक्षा करने में यह सक्षम हैं। काशी का कालभैरवमंदिर सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। काशी विश्वनाथ मंदिर से कोई डेढ-दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित इस मंदिर का स्थापत्य ही इसकी प्राचीनता को प्रमाणित करता है। गर्भ-गृह के अंदर काल भैरव की मूर्ति स्थापित है, जिसे सदा वस्त्र से आवेष्टित रखा जाता है।

मूर्ति के मूल रूप के दर्शन किसी-किसी को ही होते हैं। गर्भ-गृह से पहले बरामदे के दाहिनी ओर दोनों तरफ कुछ तांत्रिक अपने-अपने आसन पर विराजमान रहते हैं। दर्शनार्थियोंके हाथों में ये उनके रक्षार्थकाले डोरे बांधते हैं और उन्हें विशेष झाडू से आपाद मस्तक झाडते हैं। काशी के कालभैरव की महत्ता इतनी अधिक है कि जो काशी विश्वनाथ के दर्शनोपरान्त कालभैरव के दर्शन नहीं करता उसको भगवान विश्वनाथ के दर्शन का सुफल नहीं मिलता।

नई दिल्ली के विनय मार्ग पर नेहरू पार्क में बटुकभैरव का पांडवकालीन मंदिर अत्यंत प्रसिद्ध है। यह सर्वकामानापूरक सर्वापदानाशाकहाई । रविवार भैरव का दिन है। इस दिन यहां सामान्य और विशिष्ट जनों की अपार भीड होती है। मंदिर के सामने की लम्बी सडक पर कारों की लम्बी पंक्तियां लग जाती हैं। संध्या से शाम अपितु देर रात तक पुजारी इन दर्शनार्थियोंसे निपटते रहते हैं। ऐसी भीड देश के किसी भैरव मंदिर में नहीं लगती।

यह प्राचीन मूर्ति इस तरह ऊर्जावान है कि भक्तों की यहां हर सम्भव इच्छा पूर्ण होती है। इस भीड का कारण यही है। इस मूर्ति की एक विशेषता है कि यह एक कुएं के ऊपर स्थापित है। न जाने कब से, एक क्षिद्रके माध्यम से पूजा-पाठ एवं भैरव स्नान का सारा जल कुएं में जाता रहा है पर कुंआ अभी तक नहीं भरा।

पुराणों के अनुसार भैरव की मिट्टी की मूर्ति बनाकर भी किसी कुएं के पास उसकी पूजा की जाय तो वह बहुत फलदायीहोती है। यही कारण है कि कुएं पर स्थापित यह भैरव उतने ऊर्जावान हैं। इन्हें भीमसेन द्वारा स्थापित बताया जाता है। नीलम की आंखों वाली यह मूर्ति जिसके पार्श्व में त्रिशूल और सिर के ऊपर सत्र सुशोभित है, उतनी भारी है कि साधारण व्यक्ति उसे उठा भी नहीं सकता।

पांडव-किला की रक्षा के लिए भीमसेन इस मूर्ति को काशी से ला रहे थे। भैरव ने शर्त लगा दी कि जहां जमीन पर रखे कि मैं वहां से उठूंगा ही नहीं एवं वहीं मेरा मंदिर बना कर मेरी स्थापना करनी होगी। इस स्थान पर आते-आते भीमसेन ने थक कर मूर्ति जमीन पर रख दी और फिर वह लाख प्रयासों के बावजूद उठी ही नहीं। अत:बटुकभैरव को यहीं स्थापित करना पडा।

पांडव-किला नई दिल्ली के भैरव भी बहुत प्रसिद्ध हैं। यहां भी खूब भीड लगती है। माना जाता है कि भैरव जब नेहरू पार्क में ही रह गए तो पांडवों की चिंता देख उन्होंने अपनी दो जटाएं दे दी। उन्हीं के ऊपर पांडव किला की भैरव मूर्ति स्थापित हुई जो आज तक वहां पूजित है।

ऊं ह्रींबटुकायआपदुद्धारणाय
कुरु कुरु बटुकायह्रीं

यही है बटुक-भैरवका मंत्र जिसका जप कहीं भी किया जा सकता है और बटुकभैरव की प्रसन्नता प्राप्त की जा सकती है। नैनीताल के समीप घोडा खाड का बटुकभैरव मंदिर भी अत्यंत प्रसिद्ध है। यहां गोलू देवता के नाम से भैरव की प्रसिद्धि है। पहाडी पर स्थित एक विस्तृत प्रांगण में एक मंदिर में स्थापित इस सफेद गोल मूर्ति की पूजा के लिए नित्य अनेक भक्त आते हैं। यहां महाकाली का भी मंदिर है।

भक्तों की मनोकामनाओंके साक्षी, मंदिर की लम्बी सीढियों एवं मंदिर प्रांगण में यत्र-तत्र लटके पीतल के छोटे-बडे घंटे हैं जिनकी गणना कठिन है। मंदिर के नीचे और सीढियों की बगल में पूजा-पाठ की सामग्रियां और घंटों की अनेक दुकानें हैं। बटुकभैरव की ताम्बे की अश्वारोही, छोटी-बडी मूर्तियां भी बिकती हैं जिनकी पूजा भक्त अपने घरों में करते हैं। उज्जैनके प्रसिद्ध भैरव मंदिर की चर्चा आवश्यक है।

यह मनोवांक्षापूरक हैं और दूर-दूर से लोग इनके पूजन को आते हैं। उनकी एक विशेषता उल्लेखनीय है। मनोकामना पूर्ति के पश्चात् भक्त इन्हें शराब की बोतल चढाते हैं। पुजारी बोतल खोल कर उनके मुख से लगाता है और बात की बात में भक्त के समीप ही मूर्ति बोतल को खाली कर देती है। यह चमत्कार है।

हरिद्वार में भगवती मायादेवी के निकट आनंद भैरव का प्रसिद्ध मंदिर है। यहां सबकी मनोकामना पूर्ण होती है। भैरव जयंती पर यहां बहुत बडा उत्सव होता है। लोकप्रिय है भैरवकायह स्तुति गान-

कंकाल: कालशमन:कला काष्ठातनु:कवि:।
त्रिनेत्रोबहुनेत्रश्यतथा पिङ्गललोचन:।
शूलपाणि:खड्गपाणि:कंकाली धू्रमलोचन:।
अमीरुभैरवी नाथोभूतयोयोगिनी पति:।

 

 

सेक्सुअल एक्टिविटी बढ़ाता है जायफल

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जायफल यूं तो सर्दियों में उपयोगी है लेकिन इसकी औषधीय महत्ता आयुर्वेद में साल भर मानी गई है। यह वेदनानाशक, वातशामक और कृमिनाशक है। स्नायविक संस्थान के लिए उपयोगी होता है। यकृत को सक्रिय करने वाला और सुपाच्य होने से पाचन संस्थान के लिए उपयोगी होता है।

आदिवासियों के अनुसार जायफल का चूर्ण तैयार किया जाए और करीब 2 ग्राम चूर्ण में इतनी ही मात्रा की मिश्री मिलाकर प्रतिदिन सुबह शाम फ़ांकी मार ली जाए तो हर्बल जानकारों का मानना है कि यह शरीर को पुष्ट बनाता है।

जिन पुरुषों के शरीर में शुक्राणुओं के बनने का सिलसिला कम हो जाए अथवा वीर्य पतला होने की शिकायत हो, उन्हें इस फार्मूले को आजमाकर देखना चाहिए।

सन 2005 में बीएमसी कोम्प्लीमेंट्री अल्टरनेटीव मेडिसिन नामक जर्नल में प्रकाशित एक शोध के परिणामों पर भी नज़र डाली जाए तो जानकारी मिलती है कि नटमेग यानी जायफल क्लिनिकल तौर पर सेक्सुअल एक्टिविटी को सकारात्मक तौर से बढ़ाता है।

अफ्रीका में भी एक पारंपरिक खाद्य पदार्थ “पोरेज” तैयार किया जाता हैं जो कि सेक्स में अरुचि होने पर महिलाओं को दिया जाता है, इस खाद्य पदार्थ में जायफल का समावेश सिर्फ इसलिए किया जाता है कि यह एक उद्दीपक की तरह कार्य करता है।

अनिद्रा, खांसी, सांस, हिचकी, शीघ्रपतन और नपुंसकता आदि व्याधियां दूर करने में उपयोगी होता है। इसके चूर्ण और तेल को उपयोग में लिया जाता है।

जायफल को घिस कर दूध में मिलाकर हफ्ते में तीन दिन पीने से नपुंसकता की बीमारी दूर होती है। यौन शक्ति बढ़ाने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। इसके चूर्ण और तेल को शीघ्रपतन दूर करने में उपयोग में लिया जाता है।

जानिये गुरु गोविंदसिंहजी के जीवन की ख़ास बाते

guru govind singh ji

जन्म दिनांक- पौष शुक्ल सप्तमी, 26 दिसंबर, 1666

दिव्य ज्योति- 7 अक्टूबर, 1708

भिन्न-भिन्न सबहु कर जाना

एक ज्योत किनहु पहचाना।

गुरु गोविंदसिंहजी का जन्म 26 दिसंबर सन्‌ 1666 में पुण्य माता श्री गुजरी की गोद में पटना साहिब में हुआ था। आप बचपन में ही बड़े साहसी और गुणों से भरपूर थे। आनंदपुर साहिब में ही आपकी शिक्षा का प्रबंध किया गया। उन्हें फारसी, हिन्दी, संस्कृत और ब्रज भाषा पढ़ाई गई। जब गुरु तेगबहादुरजी बलिदान देने दिल्ली गए थे, तब गुरुजी की उम्र केवल 9 वर्ष की थी। गुरु गद्दी संभाल लेने के बाद आपने जनता में जोश भरना शुरू कर दिया।

आपने अपने दरबार में 52 कवि रखकर लोगों में वीर रस की कविताओं का प्रचलन किया। आपने अत्याचारों के विरुद्ध कई युद्ध किए, इसमें सबसे प्रसिद्ध ‘भंगानी का युद्ध’ हुआ था। यह युद्ध भीमचंद नामक पहाड़ी राजा से हुआ था। यह भीमचंद वही था जिसको गुरु हरगोविंदसिंह ने ग्वालियर की कैद से छुड़ाया था। इस युद्ध में पहाड़ी राजाओं की करारी हार हुई। इस युद्ध में पीरबुद्ध, शाह अपने 800 मुरीदों सहित गुरुजी की सहायता के लिए आया था।

सन्‌ 1688 में नदौन का युद्ध हुआ जो जम्मू के नवाब अलफ खाँ के साथ हुआ था। सन्‌ 1689 में पहाड़ी नवाब हुसैन खाँ ने गुरुजी से युद्ध छेड़ दिया, जिसमें गुरुजी की जीत हुई। सन्‌ 1699 को वैशाखी वाले दिन गुरुजी ने केशगढ़ साहिब में पंच पियारों द्वारा तैयार किया हुआ अमृत सबको पिलाकर खालसा पंथ की नींव रखी। खालसा का मतलब है वह सिक्ख जो गुरु से जुड़ा है। वह किसी का गुलाम नहीं है, वह पूर्ण स्वतंत्र है। सन्‌ 1700 से 1703 तक आपने पहाड़ी राजाओं से आनंदपुर साहिब में चार बड़े युद्ध किए व हर युद्ध में विजय प्राप्त की। पहाड़ी राजाओं की प्रार्थना पर गुरुजी को पकड़ने के लिए औरंगजेब ने सहायता भेजी।

मई सन्‌ 1704 की आनंदपुर की आखिरी लड़ाई में मुगल फौज ने आनंदपुर साहिब को 6 महीने तक घेरे रखा। अंत में गुरुजी सिक्खों के बहुत मिन्नातें करने पर अपने कुछ सिक्खों के साथ आनंदपुर साहिब छोड़कर चले गए। सिरसा नदी के किनारे एक भयंकर युद्ध हुआ, इसमें दो छोटे साहिबजादे माता रूजरी बिछुड़ गए। 22 दिसंबर सन्‌ 1704 में ‘चमकौर का युद्ध’ नामक ऐतिहासिक युद्ध हुआ, जिसमें 40 सिक्खों ने 10 लाख फौज का सामना किया। इस युद्ध में बड़े साहिबजादे अजीतसिंह और जुझारसिंहजी शहीद हुए।

 guru gobind singh ji

अनोखा मंदिर महिला व युवतियां नहीं जाएं

Parvati Mata Temple Sheopur

मध्यप्रदेश के श्योपुर जिला मुख्यालय से महज तीन किमी बसा है जाटखेड़ा गांव का पार्वती माता मंदिर। देवी मां का यह मंदिर इसलिए अनोखा है कि यहां महिलाआें, युवतियाें व किशोरियों को मंदिर की सभी सीढ़ियां चढ़ने की अनुमति नहीं है।

यहां पार्वती माता को लाल रंग की चुनरी भी नहीं चढ़ा सकते।यहां श्रृंगार में सफेद या पीली चुनरी और इसी रंग के फूल चढ़ाए जाते हैं। केवल पुरुष भक्त ही मंदिर के अंदर तक जा सकते हैं और मूर्ति के चरण स्पर्श कर सकते हैं। महिलाएं दूर से ही माता के दर्शन कर लौट आती हैं। जाटखेड़ा का पार्वती माता मंदिर करीब 300 साल पुराना है।

मंदिर में कुल 20 सीढ़ियां हैं। 17 सीढ़ियों तक तो महिलाओं को जाने की अनुमति है। जैसे ही 18 वीं सीढ़ी शुरू होती है वहीं लाल अक्षरों में यह चेतावनी लिखी हुई है कि यहां से आगे महिला व युवतियां नहीं जाएं। इन तीन सीढ़ियों के बाद करीब 20 बाई 20 फीट चौड़े चबूतरे पर पार्वती माता की सदियों पुरानी मूर्तियां हैं।

महिला व युवतियों को इस चबूतरे से करीब 11 फीट दूर रहने की हिदायत है। जाटखेड़ा सहित आस-पास के गांव की महिला व बालिकाएं इस बात को अच्छी तरह जानती हैं इसलिए वे 17 सीढ़ियां भी नहीं चढ़तीं। मंदिर के नीचे जहां प्रवेश द्वार है वहीं अगरबत्ती, दीपक लगाकर धाैक दे आती हैं।जनश्रृति है कि यदि महिलाओं ने मंदिर में प्रवेश किया तो मां क्रोधित हो जाती हैं।

Parvati Mata Temple Sheopur

मंदिर के प्रांगण में टहलती है भादवा माता

bhadva mata temple neemuchमध्य प्रदेश के नीमच से करीब 18 किलोमीटर दूर स्थित है।इस मंदिर को को भादवा माता धाम कहा जाता है। इस मंदिर का सबसे बड़ा चमत्कार यह माना जाता है कि यहां हर रात माता अपने मंदिर के गर्भ गृह से निकलकर मंदिर के प्रांगण में टहलती हैं।

टहलते समय माता की जिस पर कृपा हो जाती है वह रोग मुक्त हो जाता है। माता के इस चमत्कार के कारण यहां पूरे साल लकवा, कोढ़ और नेत्रहीनता से पीड़ित भक्तों का आना लगा रहता है।

बहुत से भक्त इस स्थान से रोग मुक्त होकर अपने घर को वापस जाते रहते हैं।भादवा माता मंदिर के प्रांगण में एक प्राचीन बावड़ी है। इस बावड़ी के विषय में मान्यता है कि भक्तों को रोग मुक्त करने के लिए माता ने यहां जमीन से जल निकाला था।

इस बावड़ी पर माता की असीम कृपा है। लोग बताते हैं मंदिर का जल अमृत तुल्य है। माता ने कहा है कि जो भी इस बावड़ी के जल से स्नान करेगा, वह रोग मुक्त हो जाएगा।
इस मंदिर का नियम है कि जो भी भक्त यहां से रोग मुक्त होकर जाते हैं या जिनकी मुराद माता पूरी करती हैं वह मंदिर में जिंदा मुर्गे व बकरे भेंट करते हैं।

यह मुर्गे और बकरे आरती के समय भक्तों की भीड़ में इस प्रकार शामिल होते हैं जैसे वह भी मां की आरती कर रहे हों। कुछ भक्त अपनी मुराद के अनुसार चांदी और सोने की आंख भी चढ़ाते हैं।

बहुत से भक्त इस स्थान से रोग मुक्त होकर अपने घर को वापस जाते रहते हैं।भादवा माता मंदिर के प्रांगण में एक प्राचीन बावड़ी है। इस बावड़ी के विषय में मान्यता है कि भक्तों को रोग मुक्त करने के लिए माता ने यहां जमीन से जल निकाला था।

इस बावड़ी पर माता की असीम कृपा है। लोग बताते हैं मंदिर का जल अमृत तुल्य है। माता ने कहा है कि जो भी इस बावड़ी के जल से स्नान करेगा, वह रोग मुक्त हो जाएगा।
इस मंदिर का नियम है कि जो भी भक्त यहां से रोग मुक्त होकर जाते हैं या जिनकी मुराद माता पूरी करती हैं वह मंदिर में जिंदा मुर्गे व बकरे भेंट करते हैं।

यह मुर्गे और बकरे आरती के समय भक्तों की भीड़ में इस प्रकार शामिल होते हैं जैसे वह भी मां की आरती कर रहे हों। कुछ भक्त अपनी मुराद के अनुसार चांदी और सोने की आंख भी चढ़ाते हैं।

neemuch bhadwa mata

 

 

Bhavani Mata -दिन में तीन रूप में दर्शन देती हैं भवानी माता

 Bhavani Mata Mandirखण्डवा  | भवानी माता मंदिर मध्य प्रदेश के खण्डवा शहर में स्थित है प्रसिद्ध भवानी माता मंदिर जो माँ के प्रमुख मंदिरों मे से एक है | मध्य प्रदेश का यह मंदिर धूनीवाले दादाजी के दरबार के समीप ही स्थित है जहाँ भक्तों की भारी भीड़ देखी जा सकती है | भवानी माता का यह मंदिर माँ के भक्तों के लिए अती पावन धाम है, जहाँ आकर भक्तों को आत्मिक शांति की प्राप्ति होती है | मंदिर में आने वाला प्रत्येक व्यक्ति माता की भक्ति में ही रमा नजर अता है |

माँ का यह मंदिर माता तुलजा भवानी को समर्पित है जहाँ माता के इस रूप की पूजा होती है | यह मंदिर खंडवा के प्रमुख पवित्र दर्शनीय स्थलों में से एक है | भारत के मध्य प्रदेश प्रांत में स्थित एक प्रमुख शहर है, खंडवा जो दक्षिण भारत का प्रवेश द्वार भी कहलाता है | यह जिला नर्मदा नदी एवं ताप्‍ती नदी घाटी के मध्य में स्थित हैं जहाँ का सौंदर्य इस बात से और भी निखर जाता है ओर बरबस ही लोग यहाँ खिंचे चले आते हैं |

मंदिर का अनुपम सौंदर्य सभी को अपनी ओर आकर्षित करता है जिस कारण हर व्यक्ति एक न एक बार तो इस मंदिर में आने की इच्छा रखता ही है | माँ के दर्शनों को पाकर श्रद्धालु अपनी सभी कष्टों को भूल जाते हैं व हर चिंता तथा संकट से मुक्त हो जाते हैं |

माँ के दरबार में हर समय माता की ज्योज प्रज्जवलित रहती है , जो भक्तों में एक नयी ऊर्जा शक्ति का संचार करती है | जिससे भक्तों में धार्मिक अनूभूति जागृत होती है तथा जीवन की कठिनाईयों से पार पाने की क्षमता आती है | यहां आने वाला भक्त जीवन के इन सबसे सुखद पलों को कभी भी नहीं भूल पाता और उसके मन में इस स्थान की सुखद अनुभूति हमेशा के लिए अपनी अमिट छाप छोड़ जाती है |

भवानी माता मंदिर कथा

भवानी माता मंदिर भक्तों की आस्था ओर विश्वास को अपने में समेटे हुए है | मंदिर के विषय में धार्मिक पौराणिक उल्लेख प्राप्त होते हैं, जिसके द्वारा इस मंदिर का महत्व और भी प्रखर रूप लेता दिखाई पड़ता है | मंदिर के साथ जुड़ी मान्यताएं एवं किंवदंतीयाँ श्रद्धालुओं में बहुत प्रचलित हैं माँ तुलजा भवानी के इस स्थान का स्वरूप रामायण काल के पावन समय से जोड़ा जाता है |

कथा अनुसार जब श्री राम जी को चौदह साल का वनवास प्राप्त होता है तो वह पिता के निर्देश स्वरूप वन की ओर प्रस्थान करते हैं | इस दौरान श्री राम जी अनेक स्थानों में जाते हैं जहाँ उनके द्वार की कार्यों का उल्लेख मिलता है | इसी क्रम में वनवास के दौरान श्री राम जी इस स्थान पर भी आए थे तथा यहाँ के शुद्ध वातावरण से प्रभावित हो उन्होंने कुछ समय के लिए इसे अपना आध्यात्मिक स्थान बनाया था |

कहते हैं यहाँ पर आकर श्री राम जी ने नौ दिनों तक देवी की उपासना की थी जिससे देवी ने प्रसन्न हो राम जी को विजय-श्री का आशीर्वाद देती हैं | जिस कारण इस स्थान पर देवी के मंदिर का निर्माण किया गया वर्तमान में देशभर से लोग इस मंदिर के दर्शनों के लिए आते रहते हैं |

भवानी माता मंदिर महत्व 

मंदिर का निर्माण बहुत ही सुंदर तरह से किया गया है जिससे इसकी भव्यता का एहसास होता है मंदिर के गर्भगृह में चाँदी का उपयोग किया है दीवारों पर चाँदी से नक्काशी की गई है जो देखने में अनूठी प्रतीत होती है देवी पर चाँदी का छत्र सुशोभित किया गया है माता के मुकुट को चांदी एवं मीनाकारी से सजाया गया है | मंदिर में होने वाले भक्ति पाठ व धूप दीप द्वारा मंदिर का वातावरण सुवासित रहता है |

मंदिर द्वार का स्तम्भ शंख आकृति का बना हुआ है मंदिर परिसर के भीतर विशाल दीपशिखा का निर्माण हो रखा है | जिस पर शंख आकृति के दीप बने हुए हैं जो बहुत ही सुंदर प्रतीत होते हैं | माता के मंदिर के समीप ही अन्य मंदिर भी स्थापित है जिसमें से श्रीराम मंदिर, हनुमान मंदिर तथा तुलजेश्वर महादेव मंदिर जैसे प्रमुख मंदिर हैं |

भवानी माता के मंदिर के पास ही श्रीराम मंदिर, तुलजेश्वर हनुमान मंदिर और तुलजेश्वर महादेव मंदिर स्थित हैं इन मंदिरों में स्थापित मूर्तियाँ अत्यंत दर्शनीय हैं जहां सभी की मुरादें होती हैं | तुलजा भवानी का यह मंदिर संपूर्ण क्षेत्र की आस्था का प्रमुख केन्द्र है. यहाँ पर अनेक उत्सवों का आयोजन होता है जिसमें से राम नवमी दुर्गा पूजा काफी उत्साह के साथ मनाए जाते है |

नवरात्रि के समय यहाँ पर मेले का आयोजन होता है जिसे देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहाँ पहुँचते हैं | इस अवसर पर मंदिर की ओर से विशेष इंतजाम किए जाते हैं | माता के दर्शन करने के लिए हजारों श्रद्धालु भक्त यहाँ आते हैं तथा अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए माँ का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं |

Bhavani MataTemple Khandwa

 






ऐसे करे फ्री में कुंडली मिलान, कुंडली मिलान में गण-विचार

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वैवाहिक संबंध की चर्चा होने पर लड़का-लड़की की कुंडली मिलान की परंपरा भारत में है. कुंडली में वर्ण का १, वश्य के २, तारा के ३, योनि के ४, गृह मैटरर के ५, गण के ६, भकूट के ७ तथा नाड़ी के ८ कुल ३६ गुण होते हैं.जितने अधिक गुण मिलें विवाह उतना अधिक सुखद माना जाता है. इसके अतिरिक्त मंगल दोष का भी विचार किया जाता है|

कुंडली मिलान में ‘गण’ के ६ अंक होते हैं. गण से आशय मन:स्थिति या मिजाज (टेम्परामेन्ट) के तालमेल से हैं. गण अनुकूल हो तो दोनों में उत्तम सामंजस्य और समन्वय उत्तम होने तथा गण न मिले तो शेष सब अनुकूल होने पर भी अकारण वैचारिक टकराव और मानसिक क्लेश होने की आशंका की जाती है. दैनंदिन जीवन में छोटी-छोटी बातों में हर समय एक-दूसरे की सहमति लेना या एक-दूसरे से सहमत होना संभव नहीं होता, दूसरे को सहजता से न ले सके और टकराव हो तो पूरे परिवार की मानसिक शांति नष्ट होती है। गण भावी पति-पत्नी के वैचारिक साम्य और सहिष्णुता को इंगित करते हैं।

ज्योतिष के प्रमुख ग्रन्थ कल्पद्रुम के अनुसार निम्न २ स्थितियों में गण दोष को महत्त्वहीन कहा गया है:

१. ‘रक्षो गणः पुमान स्याचेत्कान्या भवन्ति मानवी । केपिछान्ति तदोद्वाहम व्यस्तम कोपोह नेछति ।।’

अर्थात जब जातक का कृतिका, रोहिणी, स्वाति, मघा, उत्तराफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढा नक्षत्रों में जन्म हुआ हो।

२. ‘कृतिका रोहिणी स्वामी मघा चोत्त्राफल्गुनी । पूर्वाषाढेत्तराषाढे न क्वचिद गुण दोषः ।।’

अर्थात जब वर-कन्या के राशि स्वामियों अथवा नवांश के स्वामियों में मैत्री हो।

गण को ३ वर्गों 1-देवगण, 2-नर गण, 3-राक्षस गण में बाँटा गया है। गण मिलान ३ स्थितियाँ हो सकती हैं:

1. वर-कन्या दोनों समान गण के हों तो सामंजस्य व समन्वय उत्तम होता है.

2. वर-कन्या देव-नर हों तो सामंजस्य संतोषप्रद होता है ।

३. वर-कन्या देव-राक्षस हो तो सामंजस्य न्यून होने के कारण पारस्परिक टकराव होता है ।

शारंगीय के अनुसार; वर राक्षस गण का और कन्या मनुष्य गण की हो तो विवाह उचित होगा। इसके विपरीत वर मनुष्य गण का एवं कन्या राक्षस गण की हो तो विवाह उचित नहीं अर्थात सामंजस्य नहीं होगा।

सर्व विदित है कि देव सद्गुणी किन्तु विलासी, नर या मानव परिश्रमी तथा संयमी एवं असुर या राक्षस दुर्गुणी, क्रोधी तथा अपनी इच्छा अन्यों पर थोपनेवाले होते हैं।

भारत में सामान्यतः पुरुषप्रधान परिवार हैं अर्थात पत्नी सामान्यतः पति की अनुगामिनी होती है। युवा अपनी पसंद से विवाह करें या अभिभावक तय करें दोनों स्थितियों में वर-वधु के जीवन के सभी पहलू एक दूसरे को विदित नहीं हो पाते। गण मिलान अज्ञात पहलुओं का संकेत कर सकता है। गण को कब-कितना महत्त्व देना है यह उक्त दोनों तथ्यों तथा वर-वधु के स्वभाव, गुणों, शैक्षिक-सामाजिक-आर्थिक स्थितियों के परिप्रेक्ष्य में विचारकर तय करना चाहिए।

 लेख: संजीव वर्मा 

अपनी मां के लिए सरॉगट मदर बनने का फैसला किया

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लंदन – क्या आपने कभी सुना है कि बहन अपने भाई या बहन को जन्म दे सकती है? जी हैं ये सच है। हाल ही में ऐसा हुआ है कि 26 साल की लियान स्टैनफर्ड ने अपनी मां के लिए सरॉगट मदर बनने का फैसला किया। असल में उसकी 50 साल की मां एक और बच्चा चाहती थीं, लेकिन डॉक्टरों ने कह दिया था कि गर्भ में बच्चे का ठहर पाना मुश्किल है।

बेटी ने मां की इच्छा समझ ली और उसने ऐसा फैसला किया जो सबको चौंका सकता है। उसने मां के लिए सरॉगट बनना स्वीकार कर लिया। लेकिन कहानी में मोड़ तब आया जब बच्चे के पैदा होने के बाद उसका मन बदल गया। बच्चे के साथ उसका जुड़ाव मां से ज्यादा बच्चे से हो गया और उसने बच्चे को मां के हवाले करने से मना कर दिया। सरॉगसी के लिए दोनों के बीच किसी तरह का लीगल अग्रीमेंट नहीं हुआ था।

50 साल की मिसेज जूडी रॉबर्ट्स आईवीएफ की मदद से 21 हफ्ते की प्रेगनेंट थीं। लेकिन उनका गर्भपात हो गया। कुछ परेशानियों के चलते वह फिलहाल दोबारा गर्भ धारण नहीं कर सकती थीं। फिर क्या था एक बेटी ने अपनी मां की परेशानी को समझा और उसे हल करने का काम शुरू किया। लियान की मां उसके लिए तैयार हो गईं।

लियान के सौतेले पापा मार्क रॉबर्ट्स के स्पर्म की मदद से उसे गर्भ धारण कराया गया। लियान ने अपनी मां को बकायदा कार्ड भेजकर यह खुशखबरी भी दी। लेकिन बेबी के होने के बाद लियान का मन कुछ बदल गया और उसने अपना बेबी मौली अपनी मां को नहीं दिया। लियान कहती हैं उसकी और उसके बच्चे की बॉडिंग उसकी मां की तुलना में कहीं ज्यादा अच्छी है, इसलिए वह अपने बेबी को अपनी मां को नहीं देंगी।   DEMO PIC

अक्षय कुमार से जानिए क्या है फिल्म ‘ हॉलीडे ‘ में

अक्षय कुमार से जानिए क्या है फिल्म ' हॉलीडे ' में
अक्षय कुमार से जानिए क्या है फिल्म ‘ हॉलीडे ‘ में

अक्षय कुमार बॉलीवुड में बतौर एक्शन किंग तो मशहूर हुए ही हैं साथ ही कॉमेडी में भी उनका कोई जवाब नहीं। जल्द ही अक्षय स्लीपिंग सेल्स पर आधारित फिल्म हॉलीडे में नज़र आएंगे। आइये देखते हैं कि ये स्लीपिंग सेल्स होता क्या है और हॉलीडे में क्या है खास जो अक्षय ने इसे करने के लिए हां कही। पेश हैं अक्षय कुमार से हॉलीडे फिल्म के साक्षात्कार के दौरान हुई बातचीत के कुछ अंश-

क्या आजकल सभी एक्टरों के साथ आपकी भी पहली पसंद साउथ रीमेक फिल्में हो गयी है?

हॉलीडे फिल्म जब मैंने साइन की थी तब फिल्म का रीमेक नहीं बना था। पहले हम फिल्म बनाने वाले थे लेकिन मुग्धागोडसे जी ने कहा कि पहले वो साउथ की फिल्में बनाना चाहते हैं। इसलिए पहले रीमेक बनी और उसके बाद हमने इसे बनाया। तो ऐसा नहीं है कि साउथ रीमेक ही हमारी पहली पसंद है और इसे हमने इसलिए चुना क्योंकि ये साउथ में बनकर हिट हो चुकी है।

 किस तरह की फिल्म है और क्या खास बात है फिल्म की?

एआर मुरुगादोस अपनी अलग हटकर सोच को लेकर काफी मशहूर हैं। ये हमेशा ही कुछ नयी सोच और विजन के साथ फिल्में बनाते हैं। जैसे इन्होंने गजनी बनाई थी और इसके अलावा भी कई सारी तमिल फिल्में बनाई हैं। हिंदी में हमने इसका नाम ह़ॉलीडे इसलिये रखा क्योंकि फिल्म की कहानी आधारित है कुछ आर्मी ऑफीसर्स पर जो कि बॉर्डर पर काफी समय बिताकर वापस अपने घरों अपने शहरों में आते हैं और उनका सामना होता है स्लीपर सेल्स से, जिनके बारे में शायद कोई भी ज्यादा नहीं जानता।

मैंने भी फिल्म के सेट पर ही इस बारे में ज्यादा जानकारी पाई। ये सबसे पुराने आतंकवादियों को समूह में गिने जाते हैं। ये लोग शहरों में रहते हैं और अचानक ही कभी कभी कोई बम ब्लास्ट तो कभी कोई आतंकवादी मूवमेंट कर जाते हैं। ये हममें से ही कोई होता है, हमारे बीच में ये इतने घुल मिल जाते हैं कि किसी को अंदाजा ही नहीं होता कि ये आतंकवादी हैं। कुल मिलाकर फिल्म बहुत ही बेहतरीन और रोमांचक है।

हॉलीडे फिल्म के लिए हां करने के पीछे क्या वजह थी ?

मैने जब विपुल से फिल्म का पहला भाग सुना तो उसे सुनते ही मैंने फिल्म करने के लिए हां कर दी। फिल्म का पहला भाग ही इतना रोमांचक था कि आगे की कहानी जानने की मैंने सोची भी नहीं। इसके बाद मैंने मुग्धागोडसे से इस बारे में जितना सुना जितना समझा मैं उतना ही ज्यादा फिल्म में इंटरेस्टेड हो गया। वैसे भी मेरे लिए फिल्म की कहानी सबसे ज्यादा मायने रखती है।

आपने हॉलीडे के लिए अपना 12 किलो वजन घटाया?

आपको देखकर क्या लगता है (हंसते हुए)। आपने मुझे पहले भी देखा है आज फिर देख रही हैं आपको क्या लगता है कि कितना वजन मैंने घटाया है।

दर्शकों की पसंद क्या सबसे ज्यादा मायने रखता है?

मेरे लिए फिल्म की कहानी सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। हां कहीं ना कहीं बॉक्स ऑफिस भी काफी मायने रखता है लेकिन मुझे लगता है कि लोग आज फिल्म के कंटेट उसकी कहानी पर ज्यादा ध्यान देते हैं। अच्छी कहानी ही आज हिट फिल्म में तब्दील होती है। जैसा कि मैंने बॉस फिल्म के दौरान भी मीडिया से कहा था कि हीरो के नाम पर फिल्मों का बिकना पुरानी बात हो गयी है। आज के दर्शक काफी बदल चुके हैं। उनकी सोच काफी बदल चुकी है। आज लोग अच्छी कहानी और अच्छी फिल्में देखना चाहते है। मैंने इसीलिये हॉलीड की, क्योंकि ये मेरे टाइप की मजेदार फिल्म नहीं है लेकिन मैंने फिल्म के कंटेट की वजह से ये फिल्म की। ये एक सीरियस थ्रिलर है।

हॉलीडे के एक्शन सीक्वेंस के बारे में काफी खबरें आ रही हैं

हॉलीडे में काफी रियल तरह का एक्शन है। बॉस फिल्म की तरह का ओवर एक्शन नहीं है। मैंने कोई केबिल का प्रयोग नहीं किया है। सबकुछ खुद से किया है। आपको देखते समय महसूस होगा कि सबकुछ एकदम रियल है।

आजकल आप सिर्फ कॉमेडी या फिर एक्शन करते नहीं दिखते। अब आप हॉलीडे भी करते हैं तो फगली भी बनाते हैं, साथ ही गब्बर और एंटरटेनमेंट जैसी फिल्में भी कर रहे हैं। इसके पीछे क्या वजह है?

मैं कोशिश करता हूं कि हमेशा कुछ नया करु। आजकल का मीडिया और दर्शक भी काफी बदल गये हैं। सभी कुछ नया देखना चाहते हैं अगर आपने एक बार कुछ रिपीट किया तो लोग तुरंत ही पहचान जाते हैं। आप मुझे कभी भी एक जैसी फिल्में करते नहीं देखेंगे।

क्या बात आपको फिल्म का निर्माण करने के लिए प्रेरित करती है?

जैसा कि मैने कहा कि अगर मुझे कोई कहानी या विषय पसंद आ गया तो मैं उससे जुड़ने की कोशिश करता हूं। मुझे फगली का विषय पसंद आया तो मैंने उसे प्रोड्यूस करने की सोची। अब मैं सारी फिल्मों का हिस्सा तो नहीं हो सकता लेकिन बतौर निर्माता कुछ अच्छी फिल्मों का हिस्सा हो सकता हूं। बस यही सोचकर मैं फिल्मों का निर्माण करता हूं। लेकिन अपनी पसंद से।

Holiday not really a remake says Akshay Kumar

भोलेनाथ मृत्‍युंजय महादेव के दर्शन मात्र से मोक्ष की प्राप्ति

Shiv ling

वाराणसी के मैदागिन क्षेत्र में भोलेनाथ मृत्‍युंजय महादेव के रूप में विराजते हैं। जीवन में किसी भी प्रकार की बाधा हो, महादेव के दर्शन मात्र से वो सारी बाधाएं दूर हो जाती हैं। देवों के देव- महादेव भक्तों के दुखों के साथ काल को भी हर लेते हैं और देते हैं मोक्ष का वरदान। 

यहां भोले बाबा के दर्शन मात्र से ही मन की हर कामना पूरी हो जाती है। चाहे ग्रहों की बाधा हो या फिर कुछ और, मृत्युंजय महादेव के मंदिर में दर्शन कर सवा लाख मृत्युंजय महामंत्र के जाप से सारे कष्टों का निवारण हो जाता है।

मान्यता है कि यदि कोई भक्त लगातार 40 सोमवार यहां हाजिरी लगाए और त्रिलोचन के इस रूप को माला फूल के साथ दूध और जल चढ़ाए तो उसके जीवन के कष्टों का निवारण क्षण भर में हो जाता है।

मृत्युंजय महादेव के इस दिव्य धाम के पीछे एक कथा भी है। पुराणों की मानें तो समुद्र मंथन के समय जब भगवान शिव ने जनमानस के रक्षार्थ हलाहल विष को पिया तभी उनका एक रूप यहां प्रकट हुआ। तब से लेकर आज तक यहां आने वाला कोई भक्त खाली हाथ नहीं लौटा। भोलेनाथ ने अपनी कृपा से अपनी शरण में आने वाले हर भक्त की झोली भर दी और दे रहे हैं मोक्ष का वरदान।

बताया जाता है कि यदि कोई भक्त अपनी मुरादें लेकर यहां आता है तो उसकी मुराद जरूर पूरी होती है। इसके साथ ही यदि कोई भक्त मृत्यु के द्वार पर खड़ा हो और यहां गुहार लगाए तो उसकी मृत्यु या तो टल जाती है या फिर भोले उसे अपनी शरण में लेकर मुक्ति का वरदान देते हैं।

बाबा महा-मृत्युंजय के इस मंदिर में मुख्य रूप से तीन बार आरती होती है और प्रसाद में इन्हें फल व दूध के साथ दही का भोग लगता है। अपने आप में दिव्य इस धाम में सिर्फ मुरादें ही पूरी नहीं होती, बल्कि यहां आने वाले भक्तों के रोगों का इलाज भी यहीं हो जाता है। इसका उदाहरण है मंदिर के पीछे बना वो कूप जिसे धनवंतरि कूप के नाम से जाना जाता है।

मान्यता है कि यदि कोई भक्त मृत्युंजय महादेव के दर्शन के बाद इस कूप का जल ग्रहण करे तो उसके पेट संबंधी रोग दूर हो जाते हैं। इसके साथ ही इसके पास ही बने कुण्ड में इसी कूप के जल से स्नान के बाद कुष्ठ जैसा असाध्य रोग भी ठीक हो जाता है।

इस कूप के बारे में भी एक कथा है कि एक बार धन्वन्तरि वैद्य ने एक रोगी का बहुत इलाज किया, मगर उसे ठीक नहीं कर पाए। एक बार वो भक्त यहां आया और इस कूप का जल पीकर वो ठीक हो गया. बाद में जब धन्वन्तरि को ये बात पता चली तो वो भी इस कूप पर आए और सत्य सिद्द होते देख क्रोध में आकर अपनी सारी जड़ी बूटियां इसी कूप में डाल दीं।

दाउदी बोहरा समाज के 53वें धर्मगुरू का बुरहानपुर आगमन

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बुरहानपुर [TNN] दाउदी बोहरा समाज के 53वें धर्मगुरू सैयदना मुफददल सैफुउददीन सहाब का सयैदना बनने के बाद पहली बार बुरहानपुर आगमन | निप्रद्ध बोहरा समाज के 52वें धर्मगुरू डॉ. सयैदना मोहम्मद बुरहाउददीन सहाब का चार माह पूर्व मुम्बई में निधन हुआ आप ने अपने निधन से तीन वर्ष पूर्व अपने द्वितीय षहजादे अलीकदर सयैदी मुफददल भाई सहाब को अपना उत्ताधिकारी लंदन में घोषित किया।

अंजुमन जक्वी जमाअत कमेटी के प्रवक्ता एंव एडवायईजर बोर्ड के सदस्य मुल्ला तफज्जुल हुसैन मुलायमवाला ने बताया की 52वें धर्मगुरू के आदेष से 53वें धर्मगुरू सयैदना मुफददल सैफुउददीन सहाब कायम हुए। सयैदना मोहम्मद बुरउददीन सहाब 50 वर्ष तक धर्म गुरू रहे।

और आप के निधन के बाद 53वें धर्मगुरू सयैदना मुफददल सैफुउददीन सहाब निरन्तर दाउदी बोहरा समाज के लोगे के उत्थान कार्य में रात दिन मषगुल है। आपने ने करबला और नजफ में मौला अली और इमाम हुसैन की ज्यारत से अपने कार्यो का शुभारंभ किया। आप यमन भी तषरीफ ले गए।

उसके बाद भारत में बोहरा धर्मगुरूओं की ज्यारत ;दरगाहो परद्ध के लिए आप ने सूरत, अहमदाबाद, जामनगर, मांडवी और उज्जैन की दरगाहो पर अपने हजारों अनुयाईयो के साथ ज्यारत की इसी कडी के सिलसिले में आप बुरहानपुर की विष्व प्रसिद्ध दरगाह ए हकिमी में सयैदी हकीमउददीन सहाब सयैदना जकीउददीन सहाब और सयैदी जीवनजी सहाब की ज्यारत के लिए उज्जैन से रविवार की शाम बुरहानपुर पहुंच रहे है।

आपके स्वागत की पूर जोष तैयारी दरगाह ए हकिमी के मैनेजर शेख अली मोहम्मद और अस्सिटेड मैनेजर षेख जूजर भाई और बुरहानपुर शहर के आमील सहाब षेख हुजैफा भाई जिनकी अहमदाबाद से बुरहानपुर 15 दिन पूर्व सयैदना सहाब के आदेष से नियुक्ती हुई है।

श्री मुलायमवाला ने बताया की इस के पहले अहमदाबाद में भी आमील सहाब हुजैफा भाई ने सयैदना सहाब के अहमदाबाद आगमन पर जोर शोर से सयैदना सहाब का स्वागत किया था। आमील सहाब की कोषिषो से सयैदना सहाब ने बुरहानपुर शहर में स्थित न्यू नजमी मस्जिद और जक्वी हवेली में पधार कर बुरहानपुर शहर के अनुयाईयों को दिदार नमाज और जाफत मिसाक और निकाह के कार्य सम्पन्न करने की अनुमती प्रदान की।

नर्मदा जल योजना , विश्वा का फ्लाप शो

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खंडवा [TNN] नर्मदा जल योजना की प्रारंभिक टेस्टिंग के दौरान ही बार-बार लाईन फूटना, शहर के एक तिहाई हिस्से में पानी के लिये हाहाकार मचना, प्रदूषित एवं कम दबाव से वितरित नर्मदा जल ने स्पष्ट कर दिया है कि योजना की संचालनकर्ता कंपनी पूरी तरह फ्लाप हो चुकी है।

मात्र एक तिहाई आबादी में पानी देने में अक्षम विश्वा पूरे शहर को कैसे पानी पिलायेगा का समझ से परे है। वैसे पाईप की निम्न गुणवत्ता पर कांग्रेस 2 वर्ष पूर्व ही जिला प्रशासन, निगम प्रशासन एवं प्रदेश शासन को ताकीद कर चुकी है। पाईप लाईन का बार-बार फूटना कांग्रेस के आरोप की पुष्टि करता है।

उक्त आरोप लगाते हुए प्रदेश कांग्रेस कार्यसमिति सदस्य अजय ओझा ने कहा कि एक बार पाईप लाईन फूटने के बाद 3 दिन तक संबंधित क्षेत्रों में भीषण जल संकट बना रहता है। विश्वा अथवा निगम प्रशासन वैकल्पिक व्यवस्था नहीं कर पाता। अभी योजना की ट्रायल में यह हाल है, तो पूरी तरह जल वितरण शुरू करने पर क्या होगा?

श्री ओझा ने कहा कि निगम प्रशासन आधी-अधूरी योजना थोपने को तत्पर दिखाई दे रहा है। पाईप लाईन के नये-नये प्रस्तावों के साथ करोड़ों रूपये हथियाने के मंसूबे बन रहे हैं। नये प्रस्तावों के पहले सवा अरब की कार्ययोजना को अक्षरस: समझना, उसकी जांच, भौतिक सत्यापन आवश्यक है।

नर्मदा जल संघर्ष समिति सदस्य मनोहर शामनानी ने कहा कि नागरिकों के हितों को अनदेखा करने पर निगम प्रशासन के खिलाफ आंदोलन की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। स्वंतत्र समिति की सिफारिशों की अनदेखी सहन नहीं की जायेगी।

गैंग रेप के बाद हत्या , शवों को पेड़ से लटका दिया

 
Minors gang-raped, hanged in Badaun
Minors gang-raped, hanged in Badaun Courtesy-Source
 
 
बदायूं के उसहैत इलाके में दो नाबालिग चचेरी बहनों को अगवा कर उनके साथ गैंग रेप के बाद हत्या के मामले ने तूल पकड़ लिया है। आरोपियों ने दोनों लड़कियों की हत्या के बाद उनके शवों को पेड़ से लटका दिया था। इस मामले में पुलिस की भूमिका संदिग्ध है और आरोप लग रहे हैं कि सभी आरोपी यादव बिरादरी के हैं, इसलिए उन्हें बचाने की कोशिश हो रही है। घटना के बाद स्थानीय पुलिस चौकी के सभी पुलिसकर्मी वहां से फरार हो गए थे।

आरोपी सिपाहियों समेत चौकी इंचार्ज को सस्पेंड करने और दो सिपाहियों समेत सात के खिलाफ हत्या व रेप का केस दर्ज होने के बाद लोगों का गुस्सा शांत हुआ।

महिला आयोग और अनुसूचित जाति आयोग ने इस मामले का संज्ञान लिया है। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को निशाने पर लिया है और कहा कि उन्हें इस पर जवाब देना चाहिए।

मंगलवार शाम कटरा सहादतगंज में सोहनलाल मौर्य की 12 वर्षीय बेटी अपने चाचा जीवनलाल की 14 वर्षीय बेटी के साथ खेत की ओर गई थी। आरोप है कि दोनों बहनों को पुलिस चौकी में तैनात सिपाही सर्वेश यादव और छत्रपाल ने गांव के ही पप्पू यादव, अवधेश यादव, उर्वेश यादव और दो अज्ञात लोगों के साथ अगवा कर लिया। पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट में दोनों बहनों के साथ रेप की पुष्टि हुई है।

मंगलवार की रात परिवार वाले चौकी में शिकायत करने भी गए थे, लेकिन उन्हें भगा दिया गया। सुबह करीब साढ़े तीन बजे बाग में दोनों के शव पेड़ से लटके मिले। परिवार वालों की चीख-पुकार सुनकर गांव के मौर्य बिरादरी के लोगों के अलावा आसपास के गांवों के लोग भी वहां जुटने लगे। इसी दौरान चौकी के सारे पुलिसकर्मी फरार हो गए।

भीड़ का आरोप था कि आरोपियों के यादव होने की वजह से पुलिस उनका पक्ष ले रही है और मामले को दबाने का प्रयास कर रही है। नाराज लोगों ने कई घंटे तक हंगामा किया। मृतकों के परिवार वालों का आरोप है कि पुलिस ने समय रहते कार्रवाई की होती तो दोनों की जिंदगी बचाई जा सकती थी।

Minors gang-raped, hanged in Badaun

मध्यप्रदेश के पर्यटन स्थल : कान्हा किसली

Kanha Kisli National Park

भारत के हृदय स्थल मध्यप्रदेश में पर्यटन के ऐसे बहुत से स्थल है जहां देश विदेश के असंख्य सैलानी इन्हें देखने आते हैं। धार्मिक महत्व के अलावा पुरातात्विक महत्व के इन स्थलों में कान्हा किसली, महेष्वर खजुराहो, भोजपुर, ओंकारेश्वर, सांची, पचमढ़ी, भीमबेटका, चित्रकूट, मैहर, भोपाल, बांधवगढ़, उज्जैन, आदि उल्लेखनीय स्थल हैं।

 कान्हा किसली: 940 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विकसित कान्हा टाइगर रिजर्व राष्ट्रीय उद्यान हैं।  इसे देखने के लिए किराये पर जीप, टाइगर ट्रेकिग के लिए हाथी पर सवार होकर उद्यान को देख सकते हैं।  कान्हा में वन्यप्रणियों की 22 प्रजातियों के अलावा 200 पक्षियों की प्रजातिया है। यहां बामनी दादर एक सनसेट प्वाइंट है। यहां से सांभर और हिरण जैसे वन्यप्रणियों को आसानी से देख जा सकता है। लोमड़ी और चिंकारा जैसे वन्यप्राणी कम ही देखने को मिलते हैं। कान्हा जबलपुर, बिलासपुर और बालाघाट से सड़क माग से पहुंचा जा सकता है। नजदीकी विमातल जबलपुर में हैं।

Madhya Pradesh Tourism

  इतिहास 

मंडला से प्रसिद्घ कान्हा-किसली राष्ट्रीय उद्यान के कुछ आगे बसा है नैनपुर गांव। 19वीं शताब्दी में उमरिया, निवारी और नैनपुर गांव आबाद हुए थे। अंग्रेजों ने यहां के पायली, पारेदा, डेहला, अलीपुर आदि 84 गांवों को मालगुजारों को बेच दिया था जिनमें से चौधरियों ने 400 रुपए में घुघरी गांव खरीदा था। और कमला ने 900 रुपए में नैनपुर। उस जमाने में ब्राह्मण बहुल इस इलाके को इसी कारण से ‘चौरासी इलाकाÓ भी कहा जाता था। गोंडवाने के ज्यादातर शहरों की तरह यहां भी देशभर से लोग रेलवे और दूसरे कामधंधों की खातिर आए और फिर इसे ही अपना घर बना लिया। 1899 तक यहां कुल दो-ढाई सौ की आबादी थी और चकोर नाले की दूसरी तरफ बस्ती निवारी मुख्य गांव तथा बाजार हुआ करता था। तब बस्ती में न तो स्कूल थे और न ही पुलिस थाना।

1903 में गोंदिया से नैनपुर तक की छोटी लाइन डाली गई और तब नैनपुर बस्ती का भी विकास होना शुरू हुआ। उस जमाने में नैनपुर में दो तरह की आबादी रहा करती थी, एक रेलवे के पक्के और विशाल मकानों-बंगलों में रहने वाले अंग्रेज अधिकारी-कर्मचारी और दूसरे मजदूरी तथा छोटे-मोटे रोजगार धंधों के कारण यहां आकर बसे हिंदुस्तानी। शुरुआत में बने रेलवे के तीन बंगलों के पत्थर के काम के लिए आगरा से मिस्त्री बुलवाए गए थे, बाद में ऐसे ही छह और बंगले बने थे। कस्बे के बुजुर्ग बताते हैं कि बचपन में किस तरह वे छिप-छिपकर अंग्रेज साहबों-मेमों का रहन-सहन, बंगले, नाच आदि देखा करते थे। लेकिन इन्हीं लोगों ने 1929-30 में समाज सेवा के लिए ‘सेवा समिति बनाई और फिर आजादी की लड़ाई के लिए ‘युवा मंडल का गठन किया। तब ये लोग चौराहे पर देशभर की संघर्ष की खबरें ब्लैकबोर्डों पर लिखा करते थे और गुप्त बैठकें करके आजादी की लड़ाई में मंसूबे बनाया करते थे।

कहते हैं कि बंगाल-नागपुर रेलवे कंपनी की यह छोटी लाइन इलाके के एक ठंडे और प्रसिद्घ वन क्षेत्र शिकारा और कान्हा-किसली में छुट्टियां बिताने के लिए आने वाले अंग्रेज पर्यटकों के लिए डाली गई थी। यहां घने और कीमती जंगल थे और अंग्रेजों के फर्नीचर, विश्वयुद्घ के लिए जहाजों तथा रेलवे के स्लीपर बनाने के लिए लकड़ी की ढुलाई करके इलाहाबाद ले जाने की खातिर भी रेल लाइन बिछाने का काम किया गया था। इसके अलावा नैनपुर से लगे हुए ‘हवेली क्षेत्र में होने वाली धान, मटर, गेहं आदि फसलों को ले जाने के लिए भी रेलवे की जरूरत पैदा हुई थी। कहते हैं कि रामगढ़ की लोधी रानी अवंतीबाई के विद्रोह, गोंडों के संभावित विद्रोह से निपटने तथा पिंडारियों को दबाने-रोकने के लिए फौजों की आवाजाही आसान करने के लिए भी रेलगाडिय़ां चली थीं।

रेलवे लाइन, स्टेशन, कर्मचारियों का कॉलोनी आदि के लिए नैनपुर, उमरिया, निवारी आदि गांवों की जमीनों को मालगुजारों से खरीदा गया था। रेलवे के पहले सड़क ही आवागमन का एकमात्र तरीका था। यह सड़क घने जंगलों से होकर गुजरती थी और कहावत मशहूर थी कि ‘घाट पिपरिया, रायचूर धूमा, इनसे बचकर आओ तो महतारी ले चूमा। हालांकि पिंडारियों के बारे में इतिहासकारों की राय पक्की नहीं है कि वे सत्ताधारियों को चुनौती देने वाले बहादुर थे या फिर मामुली ठग। लेकिन कहते हैं कि घाट पिपरिया, रायचूर और धूमा जमाने के घने जंगलों और पिंडारियों के डर वाले इलाके हुआ करते थे।

इनके बीच से भी बंजारों की व्यापारिक यात्राएं हुआ करती थीं और झूरपुर गांव में बंजारों ने एक बावड़ी भी बनवाई थी जो बाद में थॉवर बांध में डूब गई थी। जबलपुर-नागपुर मार्ग पर इन्हीं पिंडारियों ने पिंडारिया गांव बसाया था और वहीं से होकर आम लोग इन बंजारों की टोलियों के साथ यात्रा करते थे। बाद में मंडला से तांगा करके आने का भी चलन शुरू हुआ। पेयजल के लिए नैनपुर, चकोर नदी के किनारों पर हर साल बनने वाली सैकड़ों झिरियों से काम चलाता था। इन झिरियों को जामुन की लकड़ी या बांस की टटिया से पाटा जाता था। कहते हैं कि जामुन की लकड़ी ढाई-तीन सौ साल तक पानी में बनी रहती है। बाद में तो प्लास्टिक की टंकी की तली को काटकर उससे पाटने का चलन शुरू हो गया था। हर गर्मी में बनने वाली इन झिरियों को बीच-बीच में साफ किया जाता था।
ये झिरिएं ब्राह्मण, साहू आदि हर जाति की अलग-अलग हुआ करती थीं। यहां का पठारी इलाका आमतौर पर मुरम का ही है और इसमें मिट्टी की परत कम ही मिलती है। इस वजह से भू-गर्भीय जल की हमेशा कमी बनी रहती थी और नतीजे में खेती भी कमजोर होती थी। इस क्षेत्र में नदियां, नाले और कुएं ही पानी के साधन थे। कुंओं को भी जामुन की लकड़ी से ही पाटा जाता था। उस जमाने से ही पानी के कुछ कुएं बनने लगे थे, जिनका आज भी उपयोग किया जाता है। रेलवे परिसर में बना खैरमाई का कुआं, गेस्ट हाउस का कुआं, धर्मशाला का कुआं, टॉकीज के अंदर का कुआं और 1922-24 के आसपास खोदा गया गहरा पातालतोड़ कुआं पेयजल के स्रोत थे।

तालाब बनने के पहले हनुमान मंदिर और ट्रॉफिक का कुआं रेलवे कॉलोनी के अलावा अन्य को भी पानी दिया करते थे। हनुमान मंदिर और गायत्री मंदिर के कुएं अब सूख गए हैं। इसी तरह ठेकेदार मोहल्ले में तीन-चार कुएं हैं जिनमें पानी भी है। नैनपुर के वार्ड दो में एक पुरानी बावड़ी भी थी जो अब खत्म हो गई है। बस्ती में जैसे-जैसे घर बनते गए वैसे-वैसे कुएं भी खोदे जाने लगे। लगभग हर घर में मौजूद लबालब भरे कुओं से किफायत से एक-एक गिलास करके पानी निकाला जाता था लेकिन आजकल फ्लश के शौचालय बनने और पानी के दुरुपयोग से इन कुंओं के जलस्तर में कमी आयी है।

वेबसाइट – Kanha Kisli National Park

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जानिए क्या है धारा 370

 

धारा 370
धारा 370

धारा 370 भारतीय संविधान का एक विशेष अनुच्छेद (धारा) है जिसे अंग्रेजी में आर्टिकल 370 कहा जाता है। इस धारा के कारण ही जम्मू एवं कश्मीर राज्य को सम्पूर्ण भारत में अन्य राज्यों के मुकाबले विशेष अधिकार अथवा (विशेष दर्ज़ा) प्राप्त है। देश को आज़ादी मिलने के बाद से लेकर अब तक यह धारा भारतीय राजनीति में बहुत विवादित रही है। भारतीय जनता पार्टी एवं कई राष्ट्रवादी दल इसे जम्मू एवं कश्मीर में व्याप्त अलगाववाद के लिये जिम्मेदार मानते हैं तथा इसे समाप्त करने की माँग करते रहे हैं। भारतीय संविधान में अस्थायी, संक्रमणकालीन और विशेष उपबन्ध सम्बन्धी भाग २१ का अनुच्छेद 370 जवाहरलाल नेहरू के विशेष हस्तक्षेप से तैयार किया गया था। स्वतन्त्र भारत के लिये कश्मीर का मुद्दा आज तक समस्या बना हुआ है।

विशेष अधिकार

धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये। 

इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।

इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।

1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।

इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते।

भारतीय संविधान की धारा 360 जिसमें देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।
जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय करना ज़्यादा बड़ी ज़रूरत थी और इस काम को अंजाम देने के लिये धारा 370 के तहत कुछ विशेष अधिकार कश्मीर की जनता को उस समय दिये गये थे। 

1. जम्मू-कश्मीर के नागरिकों के पास दोहरी नागरिकता होती है ।

2. जम्मू-कश्मीर का राष्ट्रध्वज अलग होता है ।

3. जम्मू – कश्मीर की विधानसभा का कार्यकाल 6 वर्षों का होता है जबकी भारत के अन्य राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल 5 वर्ष का होता है ।

4. जम्मू-कश्मीर के अन्दर भारत के राष्ट्रध्वज या राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान अपराध नहीं होता है । 5. भारत के उच्चतम न्यायलय के आदेश जम्मू – कश्मीर के अन्दर मान्य नहीं होते हैं ।

6. भारत की संसद को जम्मू – कश्मीर के सम्बन्ध में अत्यंत सीमित क्षेत्र में कानून बना सकती है ।

7. जम्मू कश्मीर की कोई महिला यदि भारत के किसी अन्य राज्य के व्यक्ति से विवाह कर ले तो उस महिला की नागरिकता समाप्त हो जायेगी । इसके विपरीत यदि वह पकिस्तान के किसी व्यक्ति से विवाह कर ले तो उसे भी जम्मू – कश्मीर की नागरिकता मिल जायेगी ।

8. धारा 370 की वजह से कश्मीर में RTI लागु नहीं है । RTE लागू नहीं है । CAG लागू नहीं होता । …। भारत का कोई भी कानून लागु नहीं होता ।

9. कश्मीर में महिलावो पर शरियत कानून लागु है ।

10. कश्मीर में पंचायत के अधिकार नहीं ।

11. कश्मीर में चपरासी को 2500 ही मिलते है ।

12. कश्मीर में अल्पसंख्यको [ हिन्दू- सिख ] को 16 % आरक्षण नहीं मिलता ।

13. धारा 370 की वजह से कश्मीर में बाहर के लोग जमीन नहीं खरीद सकते है ।

14. धारा 370 की वजह से ही पाकिस्तानियो को भी भारतीय नागरीकता मिल जाता है । इसके लिए पाकिस्तानियो को केवल किसी कश्मीरी लड़की से शादी करनी होती है ।

 source – मुक्त ज्ञानकोश विकिपीडिया से

सेक्सुअल सीन से परहेज नहीं : पत्रलेखा

पत्रलेखा को अंतरंग या कामुक दृश्य करने से कोई परहेज नहीं है
पत्रलेखा को अंतरंग या कामुक दृश्य करने से कोई परहेज नहीं है

महेश भट्ट के होम प्रोडक्शन ‘सिटी लाइट्स’ से रूपहले पर्दे पर उतरने जा रही नवोदित अदाकारा पत्रलेखा को अंतरंग या कामुक दृश्य करने से कोई परहेज नहीं है।

पत्रलेखा ने यहां एक साक्षात्कार में बताया कि यदि कोई इस तरह के बोल्ड विषय लेकर आए तो मैं इसे करूंगी। मुझे बोल्ड, कामुक फिल्में करने से परहेज नहीं।

उन्होंने बताया कि ‘सिटीलाइट्स’ स्वीकार करने के लिए पहला और सबसे प्रथम कारण हंसल सर :निर्देशक हंसल मेहता: हैं। वह बहुत मेधावी निर्देशक हैं।’’ पत्रलेखा ने कहा, ‘‘मैंने अच्छा काम करने के लिए विकल्प खुले रखे हैं।

मुझे कामुक दृश्य करने, चुंबन लेने, पेड़ों के चारों ओर नृत्य करने से कोई परहेज नहीं है बल्कि यह पटकथा और निर्देशक पर निर्भर होना चाहिए क्योंकि इसे जिस तरह से फिल्माया जाता है उससे अंतर पैदा होता है।

इस फिल्म में पत्रलेखा ने राजस्थान के एक गांव की महिला का किरदार निभाया है। उनके साथ इस फिल्म में राजकुमार राव हैं। यह ब्रिटिश फिल्म ‘मेट्रो मनीला’ से प्रेरित है।

पत्रलेखा पिछले कुछ साल से राजकुमार के साथ डेट पर जाती रही हैं। पत्रलेखा ने बताया, ‘‘हम एक दूसरे से मिला करते हैं। मैं 24 साल की हूं और वह 28 साल के हैं।’’ हालांकि, उन्होंने अपने संबंधों के बारे में बात करने से इनकार कर दिया। ‘‘हम डेटिंग करते हैं और इससे ज्यादा कुछ नहीं है।’’ यह फिल्म 30 मई को रिलीज होने जा रही है।

मोबाइल वाणी के जरीए ग्रामीण अपने हक के लिए हुए मुखर

0 002भारत विविधता मैं एकता के लिए संसार भर मैं जाना जाता है , 780 से जयादा भाषाओँ मैं लोग अपनी अभिव्यक्ति को व्यक्त करते हैं. भारत का संबिधान हर नागरिक को आज़ादी देता है की वह अपनी भाषा मैं अपनी बात कहे और समझे . लेकिन जाने अनजाने कुच्छ सदियों से भारत का वातावरण कुछ ऐसा बदला जहाँ चंद भाषाओं का बोलबाला होगया . रायटर्स के अध्यन के मुताविक पीछले 50 वर्षों मैं 220 से जयादा भाषाएं विलुप्त हुई है. और इससे कहीं जयादा भाषाएँ विलुप्त होने की कगार पैर हैं. तो निश्चय ही कोई ऐसा कदम उठाना होगा जिससे इन भाषाओँ को संरक्षण मिले और नागरिक को अभिव्यक्ति का अधिकार .

हर नागरिक को उनको अपनी भाषा मैं बोलने का अधिकार मिले ,मुद्दे जो आम नागरिक की जिंदगी को सबसे जयादा प्रभावित करते हैं उनपर अपनी राय जनता और सरकार के सामने लाने के लिए , सरकार को अपनी जिम्मेदारी निष्ठां पूर्ण निभाने और सरकारी खर्चे मैं पारदर्शिता लाने के लिए मध्य प्रदेश और देश के दुसरे राज्यों मैं ग्राम्वानी द्वारा सामुदायिक मीडिया की शरुआत की गयी है .

ग्राम्वानी दिल्ली स्थित एक सोशल टेक्नोलॉजी कंपनी है जिसकी पहेल से हाल ही मैं मध्य प्रदेश मैं सामुदायिक मीडिया कार्य करम के तहत मध्य प्रदेश मोबाइल वाणी की शुभारम्भ हुई है . जनता अब अपनी बात , अपने मुद्दे , अपनी प्रतिभा मध्य प्रदेश मोबाइल वाणी पर अस्सानी से दूसरों , सरकारी महकमों और बुद्धिजीवी व्यक्तियों के साथ साझा कर सकते हैं वह भी ओनी भाषा मैं.

मध्य प्रदेश मोबाइल वाणी को शुरू हुए अभी कुच्छ हफ्ते ही हुए की जनता अपनी शिकायत का बौछार करने लगे , इन शिकयतों को सुन कर ऐसा लगता है की प्रशाशन के प्रति इनमें काफी आक्रोश है . जनता की आक्रोश को सुनना किसी भी लोकतान्त्रिक सरकार की जिम्मेदारी और उसका निदान सरकार या प्रशाशन का कर्तव्य भी है .

जनता की रिपोर्ट :
“मध्य प्रदेश मोबाइल वाणी पर खंडवा जिले के ग्राम लंगौती से द्वारकी कतारे बोल रही हैं की उनकेगाँव मैं काम की बरी समस्या है ,क्योंकि सचिव पूरा काम नहीं करवाते और नहीं ही समय से पंचायत मैं आते हैं और अगर जनता उनसे बात करने के लिए फ़ोन करते हैं तो वह फ़ोन भी नहीं उठाते हैं , काम नहीं होने से उनके गाँव के युवा पलायन करने को विवश हैं , द्वारकी कतारे की मांग है ,अगर सचिव महात्मा गाँधी रोजगार योजना के तहत लोगों को काम मुहैया कराएँ तो लोगों का पलायन रूक सकता है”

वहीँ दूसरी तरफ सुभाष ठाकरे , सौसर तहसील के छिन्द्वारा जिले से कह रहे हैं की फरवरी माह मैं ओला वृष्टि की वजह से किसानों का फसल वर्वाद होगया था , सरकारी घोसना के मुताविक सभी किसानों को मुआवजा मिलना था . प्रशाशन द्वारा वर्वाद फसल का सर्वे किया गया और घोसना किया गया जिन किसानों का फसल ५० प्रतिशत या उससे अधिक नुकशान हुआ है उन्हें 100 प्रतिशत मुआवजा दिया जायेगा . इन घोषणाओं के वावजूद मुआवजे मैं फेर वदल किया गया और अभी तक किसी भी किसान को मुआवजे की राशी नहीं मिली है . किसानों ने कई वार अपना आवेदन तहसील कार्यालय मैं जमा करवाया लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है . किसान अधिकारयों के ताल मटोल के रवैये से आहात हैं , उनकी मांग है की किसों को उनका मुआवजा जल्दसे जल्द दिया जाये ताकि वह अगले फसल की तय्यारी कर पायें .

अपरोक्त वक्तव्यों और मांगों को सुनकर ऐसा लगता है की जानता अब सही मायने मैं नागरिक पत्रकार की भूमिका निभा रहे हैं , समाज के विकास के लिए विकासशील मुद्दों को मध्य प्रदेश मोबाइल वाणी के माध्यम से सरकार और समाज के दुसरे वर्गों , समुदायों तक पहुँचाने लगे हैं. अब समाज और सरकार की जिम्मेदारी बनती है की उनकी मांग पर कारगर रुख अपनाये और उसका समाधान करे.

 gramvaani

 

ऐसे कार्य करता है मध्य प्रदेश मोबाइल वाणी :

अगर आप अपनी कहानी , अपने मुद्दे साझा करना चाहते हैं तो कॉल करैं निशुल न: 08800438555 पर

जब आप करेंगे तो आप का कॉल मिस्ड कॉल बन जायेगा , और कुछ समय मैं आपके पास दुसरे न: से कॉल आएगा , उसे रेसिएवे करें और सुनें .

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अधिक रिपोर्ट सुनने के लिए कॉल करें मध्य प्रदेश मोबाइल वाणी पर या लोग इन करें http://voice.gramvaani.org/vapp/mnews/241/show

 लेखक : सुल्तान अहमद 

 

टीपू सुल्तान की राम नाम लिखी अंगूठी नीलाम

Tipu Sultan Ring Auctioned in London

लंदन में 18वीं शताब्दी में मैसूर के शासक रहे टीपू सुल्तान की अंगूठी विवादों के बीच नीलामी कर दी गई। यह जानकारी शुक्रवार को मीडिया की एक रपट में सामने आई है। बीबीसी  के मुताबिक, इस अंगूठी पर देवनागरी लिपि में हिंदू देवता राम का नाम खुदा हुआ है। यह अंगूठी क्रिस्टी के नीलामीघर से 1,45,000 यूरो में नीलाम हुई।

नीलामीघर के मुताबिक, अंगूठी का वजन 41.2 ग्राम था और एक बोली लगाने वाले ने अनुमानित कीमत से लगभग 10 गुना ज्यादा कीमत अदा की है। यह अंगूठी संभवत: चौथे एंग्लो-मैसूर युद्ध (1798-1799) के दौरान हुई टीपू सुल्तान की मृत्यु के बाद उनके शव से निकाल ली गई होगी। यह युद्ध मैसूर राज्य और ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के बीच लड़ा गया था।

अंगूठी को लेकर विवाद, मुस्लिम शासक द्वारा पहनी गई अंगूठी पर हिंदू भगवान राम का नाम होने को लेकर था। टीपू सुल्तान यूनाईटेड फ्रंट ने भारत सरकार से अंगूठी की नीलामी रोकने के लिए कदम उठाने का आग्रह किया था, क्योंकि यह ऐतिहासिक निशानी थी।

संगठन ने यह भी कहा था कि अगर अंगूठी की नीलामी होती है तो भारतीय परोपकारियों को देश के खातिर इसे खरीदने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए था। अंगूठी को 2012 में ही क्रिस्टी की नीलामी सूची में रखा गया था, लेकिन बाद में इसे हटा लिया गया था।

टाइगर ऑफ मैसूर के नाम से मशहूर टीपू सुल्तान (20 नवंबर, 1750 – 4 मई, 1799) एक ज्ञानी, सैनिक और कवि थे। टीपू सुल्तान, मैसूर के सुल्तान हैदर अली के बड़े बेटे थे | Source  बीबीसी  –

Tipu Sultan’s Ring Auctioned in London  -BBC reported 

धर्म दर्शन – चीन में हवा में खड़ा है मंदिर

temple in  china

यह सर्वविदित है कि मंदिर और मठ आम तौर पर जमीन पर बनाये गए हैं , लेकिन उत्तर चीन के शानसी प्रांत में एक ऐसा मंदिर देखने को मिलता है , जो सीधी खड़ी पहाड़ी चट्टार पर बनाया गया है और दूर से देखने में लगता है , मानो वह हवा में अटका हुआ मंदिर हो । इसलिए यह मंदिर हवा में खड़े मंदिर के नाम से चीन भर में मशहूर है । हवा में खड़ा यह मंदिर शानसी प्रांत के ताथुंग शहर के निकट स्थित है , जिस का निर्माण आज से 1400 साल पहले हुआ था । वह चीन में अब तक सुरक्षित एकमात्र बौध , ताऔ और कम्फ्युसेस त्रिधर्मों की मिश्रित शैली में निर्मित अनोखा मंदिर है ।

चीन के बड़ी संख्या में सुरक्षित प्राचीन वास्तु निर्माणों में हवा में खड़ा मंदिर एक अत्यन्त अद्भुत निर्माण है , वह घनी पहाड़ी घाटी में फैले एक छोटा सा बेसिन में स्थित है , घाटी की दोनों ओर सौ मीटर ऊंची ऊंची चट्टानें सीधी खड़ी हैं , मंदिर एक तरफ की खड़ी चट्टान पर जमीन से 50 मीटर की ऊंची जगह पर बनाया गया है , जो हवा में अटका सा दिखता है । दूर से देखने पर बहु मंजिला मंदिर का तल्लाधार दसेक पतली लम्बी लकड़ियों पर टिका हुआ खड़ा है , मंदिर के ऊपर पहाड़ी चट्टान का एक विशाल टुकड़ा बाहर की ओर बढ़ा हुआ है , मानो वह अभी मंदिर पर गिर जाए , अभी गिर जाए , जो डरावना नजारा देता है । हवा में खड़े मंदिर के छोटे बड़े 40 भवन व मंडप हैं , जिन्हें चट्टान पर गड़े हुए लकड़ी के सैतुओं से जोड़ा गया है , इस प्रकार के हवा में निर्मित लकड़ी के रास्ते पर चलते हुए लोगों की सांस गले पर आ जाती है , किसी को जरा सी लापरवाही करने का साहस नहीं है , बराबर डर साथ रहता है कि कहीं यह मंदिर नीचे गहरी घाटी में ढह कर तो न गिर जाए । किन्तु पांव के दबाव से लकड़ी का रास्ता ची-ची की आवाज जरूर देती है , पर चट्टान पर सटा मंदिर में जरा भी हिलकोर नहीं आता है ।

हवा में खड़ा मंदिर का निर्माण काम वाकई अनोखा है । मंदिर सीधी खड़ी चट्टान के कमर पर अटका सा खड़ा है , उस के ऊपर चट्टान का बाहर की ओर बढ़ा निकला हुआ विशाल टुकड़ा एक विशाल छाता की भांति मंदिर को वर्षा और पानी से क्षति पहुंचाने से बचा देता है , जमीन से 50 मीटर ऊंजी जगह खड़ा होने से मंदिर पहाड़ी घाटी में आने वाली बाढ़ से भी बच सकता है । मंदिर की चारों ओर घिरी पहाड़ी चोटियां उसे तेज धूप से भी बचा सकती हैं । कहा जाता है कि गर्मियों के दिन भी रोज महज तीन घंटों तक सुरज की किरणें मंदिर पर पड़ सकती है । इसी के कारण लकड़ी का यह मंदिर 1400 साल पुराना होने पर भी आज वह अच्छी तरह सुरक्षित रहा है ।

हवा में खड़ा मंदिर की विशेषता यह है कि वह हवा में अटका सा अवस्थित होता है । लोग समझते हैं कि मंदिर उस के नीचे टेके दर्जन प्याला जितना मोटी लकड़ियों पर टिका हुआ है , लेकिन असलियत दूसरी है कि उन लकड़ियों पर मंदिर का भार नहीं पड़ा है, मंदिर को मजबूत टेका जाने में चट्टान के अन्दर गड़े कड़ी गुणवता वाली लकड़ी के धरनों का पूरा काम आता है । चौकोण धरनें गहरे गहरे पत्थर के अन्दर पैठा कर दी गई हैं , विशेष तेल से सिंचित काष्ठ धरनें न दीमक से डरती है , न सड़ गल जाती है । मंदिर का तल्ला इसी प्रकार की मजबूत धरनों पर रखा गया है । फिर भी मंदिर के नीचे जो दर्जन लकड़ी टेकी हुई हैं , उस का भी काम आता है , यानी वे समूचे मंदिर के विभिन्न भागों को संतुलित बनाती हैं ।

temple china

हवा में खड़ा मंदिर की संरचना बहुत सुयोजित और सुक्ष्म है । मंदिर के विभिन्न भाग पहाड़ी चट्टान की प्राकृतिक स्थिति के अनुरूप बनाये गए है , जिन के डिजाइन सुक्ष्म और अनूठा है । मंदिर का मुख्य भवन त्रिदेव महल पहाड़ी चट्टान की विशेषता को ध्यान में रख कर बनाया गया , महल के अग्रिम भाग में लकड़ी का मकान है और पीछे का भाग चट्टान के अन्दर खोदी गई गुफा में है , इस से देखने में त्रिदेव महल बहुत खुला और विशाल लगता है । मंदिर के दूसरे भवन व मंडप अपेक्षाकृत छोटा है और उन के भीतर विराजमान मुर्तियां भी छोटी दिखती है । मंदिर के भवन , महल और मंडप ऐसा निर्मित हुए , उन के भीतर प्रवेश कर मानो किसी भूलभूलैया में घुस गया हो ।

तो आप पूछ सकते हैं कि प्राचीन चीनियों ने क्यों यहां सीधी खड़ी चट्टान पर यह मंदिर बनाया था , कारण यह था कि तत्काल में यहां की पहाड़ी घाटी यातायात की एक प्रमुख मार्ग था , यहां से भिक्षु और धार्मिक अनुयायी जब गुजरते थे , वे मंदिर में आराधना कर सकते थे । दूसरा कारण यह था कि यहां की पहाड़ी घाटी में बाढ़ हुआ करती थी , प्रातीन चीनी लोग मान कर चलते थे कि ड्रैगन बाढ़ का प्रकोप मचाता है , यदि यहां एक मंदिर बनाया गया , तो वह ड्रैगन को वशीभूत कर सकता है । सो हवा में खड़ा मंदिर अस्तित्व में आ गया ।

हवा में खड़ा मंदिर के पास चट्टान पर कोंगसु का अतूल्य काम चार चीनी शब्द खुदे नजर आता है , जो इस मंदिर की अनूठी वास्तु कला की सराहना करता है । कोंगसु आज से दो हजार से ज्यादा साल पहले प्राचीन चीन का एक सुप्रसिद्ध शिल्पी था , वह चीन के वास्तु निर्माण उद्योग का सर्वमान्य गुरू था । हवा में खड़ा मंदिर के पास जो चार चीनी अक्षर खोदे गए थे , इस का अर्थ यह है कि महज कोंगसु जैसे वास्तु कला के गुरू से ही ऐसा बेमिसाल मंदिर बनाया जा सकता है । -Source –  china.com

खंडवा राजेश जैन अपहरण : भदौरिया गैंग का ईनामी धराया

khandwa police

खंडवा [ TNN ]  कुख्यात सुधीर भदौरिया गैंग ने राजेश जैन खंडवा का अपहरण किया था इस मामले में पुलिस विभाग की तत्परता से भदौरिया गैंग के 5 आरोपी गिरफ्तार किए गए थे इन्हीं आरोपियों के दो अन्य साथी तिवारी और रिपुसूदन दोनों फरार थे, सूचना के आधार पर भदौरिया गैंग के रिपुसूदन गौतम को पुलिस टीम ने धर दबोचा |

 उत्तरप्रदेश के भदौरिया गैंग का एक और मुख्य सदस्य खंडवा पुलिस के हत्थे चढ़ा। यह आरोपी अपने अन्य साथी के साथ राजेश जैन के परिजनों को गवाही बदलने के लिए धमकाने की फिराक में था और इसी मकसद से खंडवा आया था। रिपुसुदन गौतम खंडवा के सराफा व्यापारी राजेश जैन के अपहरण कांड में फरार था। यही वह आरोपी है जिसके निवास पर फरीदाबाद में राजेश जैन को बंधक बनाकर रखा गया था। 

पुलिस जब इस गैंग को पकडऩे पहुंची थी तब सुधीर भदौरिया अपने चार साथियों के साथ पकड़ा गया था लेकिन रिपुसुदन और एक अन्य आरोपी फरार हो गए थे तभी से पुलिस को इसकी तलाश थी।

खंडवा पुलिस को पिछले दिनों सूचना मिल रही थी कि सुधीर भदौरिया के केस में गवाही बदलने के लिए उसके अन्य साथी राजेश जैन के परिवार वालों को धमकाने की फिराक में हैं और इसके लिए वह राजेश जैन के परिवार वालों को निशाने पर ले सकते हैं।

पुलिस ने इस सूचना को गंभीरता से लेते हुए एक जाल बिछाया और छैगांवमाखन तिराहे पर इसे धरदबोचा इसके साथ मोटरसाइकल पर आया दूसरा आरोपी फरार हो गया। पुलिस ने इसके पास से एक देशी कट्टा व दो जिंदा कारतूस एवं फर्जी लायसेंस बरामद किया और जिस मोटरसाइकल से वह आया था उसे भी जप्ती में लिया है। सुधीर भदौरिया को खंडवा जेल ब्रेक कांड के बाद यहां से स्थानांतरित कर दिया था फिलहाल वह उज्जैन जेल में बंद है। उसके अन्य साथी अलग-अलग जेलों में रखे गए हैं।

पत्रकारवार्ता में पुलिस ने बताया
कुख्यात भदौरिया गैंग के बदमाश 18 से 20 मई के मध्य खंडवा आकर जैन परिवार को धमकाने एवं नुकसान पहुंचाने का प्रयास कर सकते है। उल्लेखनीय है कि थाना कोतवाली खंडवा के अपराध क्रमांक 464/13 धारा 364 (क), 149, 328, 120 बी, 420, 171, 472, 473 भादवि एवं 25/27 आम्र्स एक्ट, 3/5 विस्फोटक पदार्थ अधिनियम में पुलिस द्वारा उत्तरप्रदेश के कुख्यात गैंगस्टर सुधीर भदौरिया एवं साथियों को गिरफ्तार किया था। उक्त सूचना के आलोक में पुलिस द्वारा विभिन्न थाना क्षेत्रों में सतत निगरानी रखी जा रही थी।

टीम द्वारा थाना छैगावमाखन में वाहन चेकिंग कराई गई। चेकिंग के दौरान मोटरसायकल क्रमांक एमपी 09 एनएन 9990 पर सवार दो व्यक्ति मोटरसायकल छोड़कर भागे। जिन्हें पकडऩे के लिये पुलिस द्वारा घेराबंदी की गई, एक संदिग्ध भीड़ का लाभ लेकर भाग गया। दूसरे संदिग्ध को घेराबंदी कर पकड़ा गया, बाद थाना लाकर पूछताछ की गई, तो संदिग्ध ने अपना राजेश कुमार बताया।

संदिग्ध के हिकमत अमली से पूछताछ करने पर संदिग्ध ने अपना असली नाम रिपुसूदन गौतम पिता लोकेन्द्र गौतम निवासी इमलिया थाना बरहर जिला आगरा (उ.प्र.) बताया। रिपुसूदन थाना कोतवाली खंडवा के अपराध क्रमांक 464/13 का सह अभियुक्त होकर फरार था, पूछताछ पर आरोपी ने अपह्त राजेश जैन व उसके परिवारजनों को जान से मारने का भय देकर पक्ष में गवाही बदलवाने हेतु खंडवा आना बताया।

आरोपी से यह चीजें हुई बरामद
आरोपी के कब्जे से मोटरसायकल, एक देशी कट्टा, दो जिंदा कारतूस, मोबाईल, फर्जी ड्रायविंग लायसेंस एवं अन्य महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किये गये।
उत्तरप्रदेश में लगभग 20 अपराध दर्ज है भदौरिया गैंग पर 

आरोपी रिपुसूदन, सुधीर भदौरिया गैंग का सदस्य है, जो गैंग के द्वारा घटित विभिन्न आपराधिक प्रकरणों में सह आरोपी है। आरोपी ने गैंग के साथ शहर की ग्रामीण बैंक में 29 लाख की डकैती, लखनऊ में सोना-चांदी की दुकान पर 4-5 किलो सोना लूटना, आगरा में पुलिस जवान की हत्या, इंदौर में एक हवाला व्यापारी की गोली मारकर हत्या करने तथा करीब 11 लाख रूपये की लूट की घटना, घटित करना स्वीकार किया है। जिसके ऊपर लूट, हत्या, अपहरण जैसे गंभीर अपराध दर्ज हैं। थाना कोतवाली खंडवा के अपराध क्रमांक 464/13 के अपह्त राजेश जैन को सुधीर भदौरिया गैंग द्वारा रिपुसूदन के फरीदाबाद स्थित फ्लैट पर ही बंधक बनाकर रखा गया था। 

इनकी रही महत्वपूर्ण भूमिका
राजेश जैन के सनसनी खेज अपहरण कांड के आरोपी रिपुसूदन को पकडऩे में नगर पुलिस अधीक्षक खंडवा अभिषेक दीवान, निरीक्षक शरीफ खान थाना प्रभारी छैगांवमाखन, सउनि पाटीदार, सउनि दवाने, सउनि तिवारी, प्रधान आरक्षक हिफाजत अली, हरिकरण सोनी, राधेश्याम, बलराम यादव, आरक्षक अनिल, राजकुमार, मुकेश, कृष्णा, अंतिम, अमर, दीपक, योगेश, प्रेमशंकर एवं सुनील की महत्वपूर्ण भूमिका रही। उपरोक्त अधिकारी/कर्मचारियों को उत्साहवर्धन हेतु उचित पुरस्कृत किया जायेगा।

सुरक्षा की मांग
जैन समाज के सचिव सुनील जैन ने इस घटना को लेकर पुलिस प्रशासन की कार्यवाही की सराहना की एवं भदौरिया ग्रुप के पूर्व में पकड़े गए अपराधी व मंगलवार को पकड़े ग्रुप सदस्य को पुलिस प्रशासन ने योजनाबद्ध तरीके से गिरफ्तार किया जिसकी प्रशंसा समाजजनों ने की है। सुनील जैन व सामाजिक बंधुओं ने पुलिस प्रशासन से अनुरोध किया कि घटना की गंभीरता को देखते हुए राजेश जैन की सुरक्षा व्यवस्था की जाए।

पंधाना विधायक योगिता बोरकर ने मारा था थप्पड़

खंडवा [TNN]  पंधाना विधायक ने मारा था  थप्पड़। यह बात नर्स प्रिंसी वर्गीस ने महिला डीएसपी के सामने कही। नर्स के अलावा घटना के दिन लेबर रूम में मौजूद अन्य नर्स एवं स्टाफ के बयान भी महिला सेल में हुए। पंधाना विधायक योगिता बोरकर पर नर्स पिंसी वर्गीस को थप्पड़ मारने व एक अन्य नर्स को धक्का देने का आरोप है।

नर्स एवं विधायक के बीच हुए विवाद की जांच महिला सेल डीएसपी सुनीता रावत के द्वारा की जा रही है। स्टाफ नर्स प्रिंसी वर्गीस, नर्स फरीदा अली एवं आया सुमनबाई महिला सेल पहुंची। यहां डीएसपी श्रीमती रावत के सामने तीनों ने 13 मई को लेडी बटलर के लेबर रूम में हुई घटना से बारी-बारी अवगत कराया।

विधायक योगिता बोरकर पर थप्पड़ मारने का आरोप लगाने वाली नर्स प्रिंसी वर्गीस ने अपने बयानों में बताया कि पंधाना विधायक ने लेबर रूम में घुसकर उनके कार्य में व्यवधान डाला और रोकने पर थप्पड़ मार दिया। वे यहीं नहीं रुकी और लेबर रूम में मौजूद एक अन्य नर्स को धक्का देकर बाहर निकाल दिया।

नर्स प्रिंसी के बयान के बाद नर्स फरीदा अली ने भी विधायक पर अभ्रदता कर धक्का देने की बात अपने बयान में कही। इसी के साथ आया सुमनबाई ने भी अपने बयान महिला डीएसपी को दर्ज कराए।
डीएसपी श्रीमती रावत ने बताया कि इस मामले में अभी और भी लोगों के बयान होना है। डॉक्टर रश्मि चौहान के भी बयान लिए जाएंगे। इसी के साथ अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टर की जांच कमेटी बनाई है। उनके भी बयान दर्ज होंगे।

यह थी घटना

13 मई को सुबह करीब 5 बजे पंधाना विधायक योगिता बोरकर अपनी भानजी रिंकू पति सुनील निवासी टेमीखुर्द को देखने के लिए खंडवा लेडी बटलर पहुंची थी। आरोप है कि यहां लेबर रूम में टांके लगाने पर से उनका विवाद नर्स एवं डॉक्टर से हुआ था। विवाद के दौरान नर्स प्रिंसी वर्गीस को विधायक श्रीमती बोरकर ने थप्पड़ मार दिया व एक अन्य नर्स को धक्का दे दिया। इस दौरान लेबर रूम में मौजूद डॉक्टर रश्मि चौहान के साथ भी अभ्रदता की।

यह आरोप नर्स एवं डॉक्टर ने पंधाना विधायक पर लगाए थे। नर्स एसोसिएशन ने भी इस मामले में धरना देकर अपना विरोध जताया था। दोनों पक्ष ने एसपी मनोज शर्मा को ज्ञापन सौंपकर एक दूसरे पर प्रकरण दर्ज करने की मांग की थी।

@तुषार सेन 

सेक्स ऑफर ठुकराने पर महिला करती है मुंह में पेशाब

DEMO PIC
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 पापुआ न्यू गिनिया में एक जगह ऎसी भी जहां की महिलाएं को अजीबो-गरीब इजाजत दी गई है, जिसको सुनकर आप भी चौंक जाओगे। पापुआ न्यू गिनिया के दूर दराज के क्षेत्रों में महिलाओं को किसी भी पुरूष से सेक्स संबंध बनाने की छूट है। इतना ही नहीं, अगर कोई पुरूष किसी भी महिला द्वारा दिए गए सेक्स ऑफर को ठुकरा देता है तो उस महिला को उस पुरूष के मुंह में पेशाब करने का अधिकार है। महिलाओं को किसी भी पुरूष के साथ सेक्स संबंध बनाने की पूरी छूट देने वाली यह परम्परा पापुआ न्यू गिनिया के दूर के गांवों बसी ट्रोब्रियांड जाति की है।

यहां, महिलाएं किसी भी मर्द को आते-जाते भला-बुरा कह सकती है। वो मन होने पर कितने ही पुरूषों को सेक्स के लिए न्योता भी दे सकती है। इस बात पर उन्हें पूरी तरह से छूट है और इसे बिल्कुल भी गलत नहीं माना जाता।

दरअसल लव ऑफ आईलैंड में याम फेस्टिवल मनाया जाता है। इस फेस्टिवल के दौरान महिलाएं झाडियों में बैठकर आते-जाते पुरूषों का इंतजार करती है और जो पुरूष पसंद आ जाए उसे सेक्स का ऑफर देती है। लेकिन, अगर पुरूष ऑफर को ठुकरा देता है तो महिला उस शख्स के मुंह में पेशाब कर देती है।

पोर्ट मोरेस्बी