सीबीएसई पेपर लीक होने के बाद देशभर में छात्रों का गुस्सा फूट पड़ा है। जगह-जगह प्रदर्शन हो रहे हैं। बोर्ड पर आरोप लग रहे हैं कि इतने पुख्ता इंतजाम होने के बावजूद परीक्षा के पहले पेपर आखिर लीक हुए तो भी कैसे?
बताया जा रहा है कि सीबीएसई के कुछ अधिकारियों को इस बात की पहले ही भनक थी कि पेपर लीक किया जा रहा है। इसके बावजूद इसे रोका नहीं गया।
सूत्रों का कहना है कि पेपर लीक होने के कई दिन पहले सीबीएसई को एक फैक्स और एक गुमनाम लिफाफा आया था। इन दोनों में राजिंदर नगर के एक स्कूल में पढ़ाने वाले ट्यूटर के बारे में लिखा था। हालांकि, इन दोनों ही बातों पर सीबीएसई ने गौर नहीं किया।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, सीबीएसई की शिकायत पर क्राइम ब्रांच ने 2 मामले दर्ज किये हैं। पहला मामला उस फैक्स की शिकायत पर दर्ज किया गया है जो 23 मार्च को सीबीएसई को मिला था। इसमें राजिंदर नगर में रह रहे एक ट्यूटर के पेपर लीक करने में शामिल होने के आरोप है।
वहीं, दूसरा मामला उस गुमनाम लिफाफे के आधार पर दर्ज किया गया है, जो 26 मार्च को राऊस एवेन्यू के सीबीएसई एकेडमी यूनिट को मिला था। इसमें 12वीं कक्षा के इकोनॉमिक्स पेपर के सभी सवालों के जवाब 4 शीट पर हाथों से लिखे हुए थे। यह वही सवाल थे जो व्हाट्सऐप ग्रुप पर लीक हुए थे।
इसके अलावा इस लिफाफे पर चार मोबाइल नंबर भी लिखे थे। यह लिफाफा किसने और कहां से भेजा इसकी को जानकारी नहीं थी।
क्राइम ब्रांच ने आईपीसी की धारा 406,420 और 120ब के तहत मामले दर्ज कर लिए हैं। मामले की जांच के लिए बनाई गई स्पेशल इन्वेस्टीगेशन टीम, दोनों स्कूल और ट्यूटर से पूछताछ कर सकती है। इसके अलावा एफआईआर में एक शिक्षक का नाम भी शामिल है, जो राजिंदर नगर में कोचिंग सेंटर चलाता है।
इन सभी से दिल्ली पुलिस एसआईटी टीम बनाकर जांच कर रही है। एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अगर जरुरत पड़ी तो सीबीएसई के अधिकारियो से भी पूछताछ की जा सकती है।
शुरूआती जांच में तो यह दिखाई दे रहा है कि पेपर दिल्ली से ही लीक हुआ है। लेकिन इसमें अन्य राज्यों के लोगो की भागीदारी भी हो सकती है।
इसी बीच क्राइम ब्रांच की कई टीम पश्चिम दिल्ली के एक व्यापारी को ढूंढ रही है। बताया जा रहा है कि व्यापारी 10वीं कक्षा के मैथ्स के प्रश्न पत्र लीक मामले में संदिग्ध है।