मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि इस तरह की अनुचित सामग्री की असीमित उपलब्धता उचित नहीं है। खासकर महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध को देखते हुए इस पर नियंत्रण लगाना आवश्यक है।
पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पॉर्न साइट के जरिए अश्लीलता फैलाने को लेकर एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है।
सीएम नीतीश ने देश में महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों का जिक्र करते हुए पीएम मोदी से आग्रह किया है कि टीवी पर प्रसारित होने वाले सीरियल और लाइव स्ट्रीमिंग सर्विस को भी सेंसर के दायरे में लाया जाए।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में कहा है कि वर्तमान में कई सेवा प्रदाता अपनी स्ट्रीमिंग सर्विसेज के जरिए उपभोक्ताओं को ऐसी फिल्में, कार्यक्रम या धारावाहिक दिखा रहे हैं, जिनसे अश्लीलता को बढ़ावा मिलता है। इंटरनेट के जरिए ये फिल्में या कार्यक्रम लोगों को सीधे उपलब्ध होते हैं। इन पर न तो सेंसरशिप लागू होती है और न ही विज्ञापन आते हैं। इसलिए लोगों के बीच ये कार्यक्रम काफी पॉपुलर होते जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पीएम मोदी को भेजे अपने पत्र में सालभर पहले इस बारे में एक और पत्र लिखने का भी जिक्र किया है।
सीएम ने इस पत्र में कहा है कि बिना सेंसर के लाइव स्ट्रीमिंग सर्विस की पहुंच के कारण बहुत से लोग अश्लील, हिंसक और अनुचित कंटेंट देख रहे हैं। इन कार्यक्रमों को देखने वाले बहुत सारे लोगों के मस्तिष्क को इस तरह की सामग्री गंभीर रूप से दुष्प्रभावित करती है, जिससे सामाजिक समस्याएं पैदा हो रही हैं। खासकर महिलाओं और बच्चों के प्रति अपराधों में बढ़ोतरी के पीछे भी ऐसे कार्यक्रम हैं।
मुख्यमंत्री ने अपने पत्र में प्रधानमंत्री मोदी से आग्रह किया है कि इस तरह की अनुचित सामग्री की असीमित उपलब्धता उचित नहीं है। खासकर महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराध को देखते हुए इस पर नियंत्रण लगाना आवश्यक है।
सीएम नीतीश कुमार ने वेब सीरीज, लाइव-स्ट्रीमिंग और टीवी सीरियलों के जरिए अश्लीलता के प्रसार पर चिंता जाहिर करते हुए इन कार्यक्रमों को भी सेंसर बोर्ड के दायरे में लाने का आग्रह किया है।
साथ ही इस बाबत बनाए गए कानून में भी संशोधन करने की मांग की है। सीएम ने पत्र में कहा है कि सिनेमेटोग्राफ एक्ट के तहत फिल्मों के सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए सेंसर बोर्ड का प्रावधान है, लेकिन इसमें पब्लिक एक्जीबिशन को परिभाषित नहीं किया गया है।
इस वजह से यह स्पष्ट नहीं हो पाता है कि सर्टिफिकेट की जरूरत सिनेमाहॉल में दिखाए जाने के लिए है या घर में दिखाए जाने वाले कार्यक्रमों को भी सेंसर करने की जरूरत है। इस कानून की अस्पष्टता के कारण लाइव स्ट्रीमिंग सर्विसेज के जरिए अश्लील कंटेंट दिखाए जा रहे हैं, जिससे समाज में अपराध बढ़ रहा है।
मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी से अनुरोध किया है कि इस गंभीर विषय पर तत्काल विचार करते हुए इन कार्यक्रमों को भी सेंसर बोर्ड के दायरे में लाने पर विचार किया जाए।