नई दिल्ली : आज राज्यसभा की कार्यवाही शुरू होते ही कांग्रेस पार्टी ने गांधी परिवार और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का सिक्यॉरिटी कवर हटाने का मुद्दा उठाया। पार्टी सांसद आनंद शर्मा ने पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को यूपीए शासन के दौरान भी एसपीजी सिक्यॉरिटी जारी रखने की दुहाई देकर गांधी परिवार और मनमोहन सिंह की सुरक्षा पहले जैसी ही बहाल करने की मांग की। वहीं, बीजेपी सांसद जेपी नड्डा ने इस मामले में किसी तरह की राजनीतिक से इनकार करते हुए कहा कि सिक्यॉरिटी कवर बदलने का फैसला अच्छी तरह हुई समीक्षा के बाद लिया गया है। कांग्रेस सांसदों ने इसी मुद्दे पर मंगलवार को लोकसभा में भी हंगामा किया था।
आज राज्यसभा में आनंद शर्मा ने कहा, ‘सोनिया गांधी, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से एसपीजी सिक्यॉरिटी वापस ले ली गई है। मनमोहन सिंह 10 वर्षों तक प्रधानमंत्री रहे हैं। वहीं, सोनिया गांधी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की बहु और पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की पत्नी हैं। हमें नहीं भूलना चाहिए कि दोनों पूर्व प्रधानमंत्रियों की हत्या की गई थी। सरकार पर इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी है।
शर्मा ने कहा कि इस मामले पर हमें राजनीति से उठकर सोचना चाहिए क्योंकि यह किसी की जिंदगी से जुड़ा मामला है। उन्होंने कहा कि मैं राजनीतिक बात नहीं कर रहा, लेकिन याद दिलाना चाहता हूं कि यूपीए के 10 वर्षों के शासन में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की एसपीजी सिक्यॉरिटी से कोई छेड़छाड़ नहीं हुई थी। उस वक्त पीछे बैठे कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह भी शर्मा का समर्थन करते दिखे।
वहीं, सदन में मौजूद बीजेपी सांसद और पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा कि किसी राजनीतिक मंशा के साथ सिक्यॉरिटी कैटिगरी में बदलाव नहीं किया गया है। गृह मंत्रालय सुरक्षा की समीक्षा करने के बाद इस तरह के बदलाव करता है और इसी समीक्षा प्रक्रिया के तहत गांधी परिवार का सिक्यॉरिटी कवर बदला गया है।
इससे पहले बीजेपी सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने यूपीए सरकार में कई लोगों का सिक्यॉरिटी कवर घटाए जाने की बात कही। उन्होंने कहा कि वह उन लोगों का नाम बता सकते हैं जिनकी यूपीए शासन में सिक्यॉरिटी घटाई गई। उन्होंने राजीव गांधी के हत्यारे की सजा घटाने का मुद्दा भी उठाया। उन्होंने कहा कि एक तरफ तो इंदिरा और राजीव की हत्या का हवाला देकर गांधी परिवार के लिए हाई सिक्यॉरिटी की मांग की जाती है और दूसरी तरफ खुद सोनिया गांधी राजीव के हत्यारे की सजा कम करवाती हैं। इस पर सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि इसका ताजा मुद्दे से कोई लेना-देना है।
Rajya Sabha MP, Shri @AnandSharmaINC speaks in Rajya Sabha about the revocation of SPG cover for CP Smt. Sonia Gandhi, Shri @RahulGandhi & Smt. @priyankagandhi pic.twitter.com/HVQU5wPkTR
— Congress (@INCIndia) November 20, 2019
गौरतलब है कि गांधी परिवार से एसपीजी सुरक्षा वापस लिए जाने के विरोध में कांग्रेस सदस्यों ने मंगलवार को लोकसभा में भी हंगामा किया था। शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन की कार्यवाही आरंभ होते ही कांग्रेस के सदस्य नारेबाजी करते हुए आसन के निकट पहुंच गए। इसके बाद डीएमके के सदस्य भी कांग्रेस के समर्थन में आसन के समीप पहुंच कर नारेबाजी करने लगे। कांग्रेस और द्रमुक के सदस्यों ने ‘बदले की राजनीति बंद करो’, ‘एसपीजी के साथ राजनीति करना बंद करो’ और ‘वी वांट जस्टिस’ के नारे लगाए।
गौरतलब है कि हाल ही में सरकार ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी की एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली थी। अब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) एक विशेष वीवीआईपी सुरक्षा इकाई को पूरे भारत में गांधी परिवार को जेड प्लस सुरक्षा उपलब्ध करवा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि नए सीआरपीएफ कवर में इन तीन वीवीआईपी के लिए एक उन्नत सुरक्षा संपर्क (एएसएल) कवायद का प्रावधान है और इसके तहत कमांडो को उनके दौरे के स्थानों और क्षेत्र की पहले से जांच करने का अधिकार होगा। देश में नक्सल विरोधी अभियानों और आंतरिक सुरक्षा कार्यों के लिए एक प्रमुख बल सीआरपीएफ के पास लगभग 52 अन्य वीवीआईपी की सुरक्षा की जिम्मेदारी है जिसमें केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और आरआईएल के अध्यक्ष मुकेश अंबानी और उनकी पत्नी नीता अंबानी शामिल हैं।
अधिकारियों ने बताया था कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के परिवार को दी गई एसपीजी सुरक्षा वापस लेने का फैसला एक विस्तृत सुरक्षा आकलन के बाद लिया गया। लिट्टे के आतंकवादियों ने 21 मई, 1991 को राजीव गांधी की हत्या कर दी थी। सोनिया, राहुल और प्रियंका से 28 साल बाद एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली गई। उन्हें सितंबर 1991 में एसजीपी कानून 1988 के संशोधन के बाद वीवीआईपी सुरक्षा सूची में शामिल किया गया था। इस फैसले के साथ करीब 4 हजार बल वाला एसपीजी अब केवल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सुरक्षा में तैनात रहेगा।