लोकसभा चुनाव और तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस के सेवा दल ने ‘भाजपा के राष्ट्रवाद और राष्ट्रवादी विमर्श’ को चुनौती देने के लिए अगले महीने सभी प्रदेशों में ‘तिरंगा मार्च’ निकालने का फैसला किया है।
सेवा दल ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ के 76 वर्ष पूरा होने के मौके पर नौ अगस्त को सभी 29 प्रदेशों की राजधानियों या प्रमुख शहरों में ‘तिरंगा मार्च’ निकालेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भी ‘तिरंगा मार्च’ के आयोजन का फैसला किया गया है। जहां मार्च का नेतृत्व खुद सेवा दल के मुख्य संगठक लालजीभाई देसाई करेंगे।
देसाई ने कहा, ‘‘76 साल पहले अंग्रेजों की बांटो और राज करो की नीति के खिलाफ आवाज उठाई गई थी। आज फिर से देश को बांटकर राज करने की कोशिश हो रही है और इसके लिए खोखले राष्ट्रवाद के विमर्श का सहारा लिया जा रहा है। ऐसे में हमने ‘तिरंगा मार्च’ निकालने का फैसला किया है ताकि इनकी सच्चाई को बेनकाब किया जा सके’’।
उन्होंने कहा, ‘‘तिरंगा मार्च के जरिए हमारे लोग जनता को बताएंगे कि इस देश में सच्चा राष्ट्रवाद और तिरंगा ही चलेगा, बांटने की राजनीति नहीं चलेगी’’। देसाई के मुताबिक, सभी प्रदेशों की राजधानियों या प्रमुख शहरों में ‘तिरंगा मार्च’ निकाले जाने के साथ शहर में किसी एक स्थान पर सभा का भी आयोजन किया जाएगा जहां सेवा दल के पदाधिकारी लोगों को आजादी की लड़ाई, गांधी-नेहरू की विचारधारा और मौजूदा समय में देश के सामने खड़ी चुनौतियों के बारे में बताएंगे।
यह पूछे जाने पर कि क्या इस कार्यक्रम का संबंध आगामी चुनावों से है तो सेवा दल के मुख्य संगठक ने कहा, ‘‘निश्चित तौर पर संबंध है। चुनाव से पहले जनता को यह मालूम होना चाहिए कि उनको धर्म और जाति के नाम पर बांटा जा रहा है। इसको लेकर हम जनता को जागरूक करेंगे’’
गौरतलब है कि ”राष्ट्रवाद एवं कुछ अन्य विषयों पर आरएसएस के विमर्श” की काट के तौर पर सेवा दल ने हाल ही में ”ध्वज वंदन” कार्यक्रम शुरू किया है।
देसाई के मुताबिक, महीने के आखिरी रविवार को देश के 300 जिलों/शहरों में ”ध्वज वंदन” कार्यक्रम हो रहा है और आने वाले कुछ महीनों में इसका 1000 शहरों/जिलों में विस्तार किया जाएगा।
सेवा दल अपने इन ”ध्वज वंदन” कार्यक्रमों में ध्वजारोहण के साथ ही गांधी-नेहरू के सिद्धांतों और ”धर्मनिरपेक्षता, सहिष्णुता और बहुलवादी विचारों” पर आधारित राष्ट्रवाद पर चर्चा करता है।