हाई कोर्ट ने सख्त टिप्पणी करते हुए कहा है कि इन नेताओं के खिलाफ पहले क्यों नहीं कार्रवाई की गई। कोर्ट ने कहा कि इस बार वे दिल्ली में 1984 के दंगे जैसे हालात नहीं बनने देंगे। दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे पुलिस आयुक्त को बीजेपी के तीन नेताओं द्वारा सीएए हिंसा के सिलसिले में कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने की सलाह दें।
यहां आपको बता दें कि अनुराग ठाकुर केंद्रीय मंत्री हैं, प्रवेश वर्मा पश्चिमी दिल्ली से बीजेपी सांसद हैं । वहीं कपिल मिश्रा इस बार बीजेपी के टिकट पर विधायकी का चुनाव लड़े थे, हालांकि वे हार गए थे।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार दिल्ली हाई कोर्ट ने बुधवार को सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वे पुलिस आयुक्त को बीजेपी के तीन नेताओं द्वारा सीएए हिंसा के सिलसिले में कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के संबंध में प्राथमिकी दर्ज करने की सलाह दें।
न्यायमूर्ति एस. मुरलीधर और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की पीठ संशोधित नागरिकता कानून को लेकर उत्तरपूर्वी दिल्ली के विभिन्न हिस्सों में भड़की सांप्रदायिक हिंसा में शामिल लोगों पर प्राथमिकी दर्ज करने और उन्हें गिरफ्तार करने की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। हाई कोर्ट ने कहा कि बाहर के हालात बहुत ही खराब हैं।
Delhi violence matter in Delhi High Court: On the plea of deployment of Army in the violence-affected areas, court says 'We don't want to enter into the question of deployment of Army. We should focus on the issue of registration of FIR right now.' pic.twitter.com/bW9ar6ZzdQ
— ANI (@ANI) February 26, 2020
दिल्ली पुलिस की दशा पर हैरानी
हाई कोर्ट ने सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता, पुलिस उपायुक्त (अपराध शाखा) राजेश देव से पूछा कि क्या उन्होंने बीजेपी नेता कपिल मिश्रा के कथित तौर पर नफरत फैलाने वाले भाषण का विडियो क्लिप देखा है। मेहता ने दोहराया कि वह टेलीविजन नहीं देखते हैं और वे क्लिप उन्होंने नहीं देखीं हैं।
देव ने कहा कि उन्होंने बीजेपी नेता अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के वीडियो देखे हैं लेकिन मिश्रा का वीडियो नहीं देखा है। पुलिस अधिकारी के बयान पर न्यायमूर्ति मुरलीधर ने टिप्पणी की, ‘दिल्ली पुलिस की दशा पर मुझे वाकई में हैरानी है।
बीजेपी नेताओं ने काफी पहले दिया था बयान
उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी नेता वर्मा और ठाकुर ने कई दिन पहले बयान दिए थे और इन पर तत्काल सुनवाई की आवश्यकता नहीं है। इस पर अदालत ने कहा, ‘तो क्या यह बात इसे और अत्यावश्यक नहीं बनाती है। जब पुलिस आयुक्त ऐसे बयानों से वाकिफ थे तो क्या यह जरूरी था कोई उनसे कार्रवाई करने को कहे। एक विधिक अधिकारी के तौर पर आप जवाब दीजिए कि क्या यह अनुरोध (तीन बीजेपी नेताओं के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की मांग) आवश्यक है या नहीं।’
मेहता ने कहा, ‘मैं यह नहीं कह रहा कि यह आवश्यक नहीं है लेकिन कल तक का इंतजार किया जा सकता है।’ वकील फजल अब्दाली और नबीला हसन के जरिए दाखिल याचिका में कहा गया है कि 22 फरवरी को करीब 500 लोग जाफराबाद मेट्रो स्टेशन पहुंचे, जहां पर महिलाएं सीएए के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रही थीं। -एजेंसी