अनूपपुर – अनूपपुर जिले के मलगा गांव में भीषण जलसंकट है। गांव के 5 सौ कुएं, 20 तालाब और 48 हैण्डपम्प सूख गये हैं। सरकार की नल-जल योजना जहां ठप्प पड़ी है वहीं एसईसीएल का ऑवर हेड टेंक भी नकारा साबित हुआ है। 5 हजार की आबादी वाला गांव केवल एक तालाब के सहारे जिंदा है।
मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले में संचालित एसईसीएल की आमाडांड भूमिगत कोयला खदान के कारण मलगा गांव का भूजलस्तर पहले ही हजार फीट नीचे जा चुका था जिसकी मार यहाँ के रहवासी कई सालों से झेलने को मजबूर है पर प्रशासन बेबस और अशहाय नजर आ रहा है । अब भीषण गर्मी ने इस गांव पर अपना कहर बरपाया है। गांव के लगभग सभी जलस्त्रोत सूख चुके हैं। गांव में कभी 5 सौ कुएं, 20 तालाब और 50 हैंण्डपम्प थे जो अब केवल सो पीस बनकर रह गये है। केवल एक तालाब है जहां पूरा गांव अपना निस्तार करता है। इस पानी को इंसान और जानवर दोनो पीने को मजबूर है। गांव वाले इसके लिये कोयल खदान को जिम्मेदार मानते है। जिसके कारण उनके गांव का जलस्तर पाताल पहुंच चुका है।
गांव में जलसकंट को देखते हुए 50 लाख खर्च कर नल-जल योजना तैयार हुई । लेकिन 5 साल बीत जाने के बाद भी प्रशानिक लापरवाही के कारण यह योजना शुरु नहीं हो सकी। एसईसीएल ने 28 लाख खर्च कर ऑवर हेड टेंक बनाया पर यह किसी काम नहीं आया। अब हालत एैसी है कि लोग पानी के लिये त्राही-त्राही कर रहे हैं। लोग तालाब का गंदा पानी पीने को बेबस हैं।सुबह होते ही घर की महिलायें अपने अपने बर्तनों को लेकर तालाब निकल जाती है तालाब के गंदे पानी में बर्तन धोना,नहाना पिने का पानी सारा गुजर बसर एक तालाब के भरोसे पर है जिससे पांच हजार बेबस रहवासी अपना काम चला रहे है।
गांव की दशा देखकर प्रशासन हालात बदलने की बाद कर रहा है। अनूपपुर जिला कलेक्टर नरेंद्र परमार ने कहा की लोग को पेयजल आसानी से मिले इसके प्रयास होंगे। लेकिन इससे पहले इस बात की जांच होगी कि गांव का जलस्तर इतना नीचे कैसे गया।
मध्यप्रदेश के अनूपपुर जिले का मलगा गांव तो केवल उदाहरण है। जिले में एैसे सैकड़ो गांव हैं जहां लोग पीने के पानी के लिये तरस रहे हैं। बिजुरी, रामनगर, जमुना-कोतमा जैसे नगरी ईलाके भी पानी के लिये परेशान हैं।
रिपोर्ट – विजय उरमलिया