श्रीनगर: हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को कश्मीर से जम्मू ले जा रहे जम्मू-कश्मीर पुलिस के डीएसपी देविंदर सिंह विवादों के घेरे में आ गए हैं। डीएसपी देविंदर सिंह को हिज्बुल आतंकी नवीद बाबू और अल्ताफ के साथ अरेस्ट किया गया है। डीएसपी सिंह पर भ्रष्टाचार और आतंकवादियों की मदद का आरोप लगा है। अब एनआईए और खुफिया एजेंसियां सिंह आतंकवादी कनेक्शन को लेकर पूछताछ कर रही हैं। उधर, इस पूरे खुलासे के बाद श्रीनगर से लेकर दिल्ली तक सत्ता के गलियारे में भारी तूफान सा आ गया है।
विवादों के घेरे में आए देविंदर सिंह ने एक एसआई के रूप में 1990 के शुरुआती वर्षो में जम्मू-कश्मीर पुलिस जॉइन किया था। वर्ष 1994 में जम्मू-कश्मीर पुलिस की अत्यंत प्रशिक्षित फोर्स एसओजी की स्थापना के बाद देविंदर सिंह को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन दिया गया। इस बीच शक्तियों गलत इस्तेमाल करने का आरोप लगने के बाद मार्च 2003 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद ने एसओजी को खत्म कर दिया। इस दौरान एसओजी के 53 अधिकारियों के खिलाफ मानवाधिकार उल्लंघन के 49 मामले दर्ज किए गए थे। इनमें से 25 अधिकारियों को बर्खास्त कर दिया गया।
एसओजी को भंग किए जाने के बाद देविंदर सिंह को ट्रैफिक डिपार्टमेंट में भेज दिया गया। बाद के वर्षों में यहां से उसे श्रीनगर पुलिस कंट्रोल रूम समेत कई पदों पर ट्रांसफर किया गया। गिरफ्तारी के समय देविंदर सिंह बेहद संवेदनशील माने जाने वाली जम्मू-कश्मीर पुलिस की ऐंटी हाईजैकिंग टीम का सदस्य था और श्रीनगर इंटरनैशनल एयरपोर्ट पर तैनात था। 9 जनवरी को जम्मू-कश्मीर के दौरे पर आई 15 सदस्यीय विदेशी राजनयिकों के टीम की सुरक्षा का जिम्मा भी देविंदर सिंह के पास था।
श्रीनगर एयरपोर्ट पर देविंदर सिंह पुलिस और आर्मी, शीर्ष राजनेताओं, सांसदों के बीच संवाद की कड़ी था। उसे यह अच्छी तरह से पता था कि कौन कश्मीर आ रहा है और कौन कश्मीर से जा रहा है। एसओजी में अपनी सेवा के दौरान देविंदर सिंह आतंकियों के खिलाफ अपनी निर्ममता के लिए कुख्यात था। कहा जाता है कि देविंदर सिंह कश्मीर घाटी में टेरर नेटवर्क का चलता फिरता ‘एनसाइक्लॉपीडिया’ था। उसने कई बार विपरीत परिस्थितियों में सामने से मोर्चा संभाला और ऐसा जोखिम उठाया जिसे करने से पहले अन्य पुलिसकर्मी चार सोचते हैं।
जम्मू-कश्मीर पुलिस के अंदर उसकी छवि मुंबई की तरह से एक ऐसे ‘एनकाउंटर स्पेशलिस्ट’ की तरह से थी जो अपराधियों का विश्वास जीतता था और उनसे पैसा वसूलता था। तमाम विवादों के बावजूद उसे जम्मू-कश्मीर पुलिस की बेहद संवेदनशील ऐंटी हाईजैकिंग टीम में शामिल किया गया था। देविंदर सिंह के आतंकवाद निरोधक अभियानों की सफलता की वजह से वह सबका ‘लाडला’ बन गया था और सफलता की दौड़ में उसके सहयोगी काफी पीछे छूट गए।
देविंदर को 11 जनवरी को कुलगाम जिले में श्रीनगर-जम्मू नैशनल हाइवे पर एक कार में गिरफ्तार किया गया था। वह हिज्बुल कमांडर सईद नवीद, एक दूसरे आतंकी रफी रैदर और हिज्बुल के एक भूमिगत कार्यकर्ता इरफान मीर को लेकर जम्मू जा रहा था। डीएसपी देविंदर सिंह ने पूछताछ में कई चौंकाने वाले खुलासे किए हैं। देविंदर ने पूछताछ में बताया है कि उसने 12 लाख में आतंकियों को दिल्ली पहुंचाने की डील की थी। आईजी विजय कुमार ने बताया कि देविंदर ने पहले आतंकियों को जम्मू पहुंचाया फिर उन्हें चंडीगढ़ पहुंचाना था जहां से आंतकी दिल्ली पहुंचते। खुफिया सूत्रों ने बताया कि आतंकियों की योजना गणतंत्र दिवस पर हमला करने की थी।
एक पुलिस अधिकारी ने सूत्रों को बताया कि शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि देविंदर सिंह आतंकियों से पैसे लेकर उन्हें बनिहाल सुरंग पार कराता था। इस बार भी 12 लाख रुपये में डील हुई थी। वह खुद गाड़ी में इसलिए बैठा था ताकि कोई पुलिस अधिकारी को वाहन में बैठा देखकर न रोकेगा न टोकेगा। जांच में यह भी पता चला कि नवीद बाबू ने ये पैसे न सिर्फ रास्ता पार कराने बल्कि जम्मू में शेल्टर देने के लिए भी दिए थे। सूत्रों ने बताया कि शुरुआती जांच से पता चला है कि कम से कम पांच बार डीएसपी ने आतंकियों को बनिहाल सुरंग पार कराने और जम्मू में शेल्टर देने के बदले पैसे वसूले हैं।
इस पूरे मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआईए को सौंप दी गई है। इस बात को जांच के दायरे में रखा गया है कि कहीं आतंकी दिल्ली में 26 जनवरी से पहले कोई वारदात करने तो नहीं आ रहे थे? NIA जांच में आतंकियों के असली इरादे का पता लगाने की कोशिश करेगी। साथ ही डीएसपी देविंदर के आतंकियों के साथ संबंधों की भी जांच करेगी। इस बात का भी पता लगाया जाएगा कि क्या देविंदर ने पहले भी आतंकियों की मदद की है?
जांच एजेंसियों ने सोमवार को श्रीनगर में इंदिरा नगर स्थित उसके घर की तलाशी ली। यहां से कई चीजें बरामद हुई हैं, लेकिन पुलिस ने उसका ब्यौरा देने से इनकार कर दिया। नवीद के साथ पकड़ा गया दूसरा शख्स वकील है और वह पांच बार पाकिस्तान जा चुका है। आरोप है कि वह वहां ‘हैंडलरों’ के संपर्क में था। खुफिया सूत्रों ने दावा किया कि देविंदर से आईबी, सैन्य खुफिया एजेंसी, रॉ और पुलिस पूछताछ कर रही है। पूछताछ में देविंदर ने बताया कि उसने सेना की 15वीं कॉर्प मुख्यालय के सामने आतंकियों को रखा था।
एनआईए जिस पुलवामा हमले के लिए देविंदर को बहादुरी का पुरस्कार मिला था, उसकी भी जांच कर रही है। संदेह है कि डीएसपी सिंह ने पुलवामा हमले के बाद आतंकियों के भाग जाने में मदद की थी। सिंह के संपत्तियों की भी एनआईए जांच कर रही है। जांच एजेंसियों को पता चला है कि देविंदर श्रीनगर में अपने लिए एक आलीशान बंगला बनवा रहा था। देविंदर की गिरफ्तारी के बाद संसद हमले में दोषी करार दिए गए अफजल गुरु का मामला फिर से सुर्खियों में आ गया है। अफजल गुरु की पत्नी तबस्सुम ने आरोप लगाया है कि देविंदर सिंह ने उसके पति को रिहा करने के बदले एक लाख रुपये मांगे थे।