“जरा सोचिए… अपनी कब्र में खुद को, उस घने अंधेरे में गड्ढे के अंदर… अकेला।” ये कविता की पंक्तियां है अनंतनाग में शुक्रवार को आतंकी हमले में शहीद हुए पुलिस अधिकारी फिरोज अहमद डार की। फिरोज अहमद डार की कविता उनकी मौत के बाद वायरल हो रही है। फिरोज डार ने ये कविता 18 जनवरी 2013 को फेसबुक पर लिखी थी।
उन्होंने अपनी कविता में लिखा था “क्या आपने कभी थोड़ी देर रुककर अपने आप से पूछा कि मेरी कब्र में पहली रात में मेरे साथ क्या होने वाला है। उस पल के बारे में सोचिए, आपके शव को धोया जा रहा है और आप कब्र के लिए तैयार हैं।
उस दिन के बारे में सोचिए जब लोग आपके शव को कब्र पर ले जाएंगे और आपके परिवार के सदस्य रो रहे होंगे। उस पल के बारे में सोचिए आपको जब क्रब में रखा जाएगा।
“जरा सोचिए… अपनी कब्र में खुद को, उस घने अंधेरे में गड्ढे के अंदर… अकेला।” उस अंधेरे में आप मदद के लिए चिल्लाएंगे लेकिन… यह काफी संकीर्ण है आपकी हड्डियों को कुचल दिया जाता है। आपको अपनी प्रार्थनाएं याद आती है, आप संगीत को याद करते हैं। आप हिजाब ना पहनने पर अफसोस जताते हैं। अल्लाह के आदेशों की अनदेखी करने पर आप पछतावा करेंगे लेकिन बच नहीं सकेंगे। आप अपने कर्मों के साथ अकेले रहेंगे। ना पैसा ना आभूषण, सिर्फ कर्म… अल्लाह सभी को कब्र की यातनाओं से बचाता है। आमीन।
डार समेत शहीद हुए 6 पुलिसकर्मी
लश्कर-ए-तैयबा के पांच आतंकवादियों ने शुक्रवार को अनंतनाग में पुलिस टीम पर हमला कर दिया था। इस हमले में एसएचओ फिरोज अहमद डार समेत 6 पुलिसकर्मी शहीद हो गए। जवानों की हत्या के बाद आतंकियों ने शवों पर गोलियां भी बरसाईं थीं।