कोर्ट ने एमएसएमई सहित कई कंपनियों द्वारा दायर कई याचिकाओं को लेकर अपना फैसला सुनाया। इन याचिकाओं में कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के 54 दिनों की अवधि के दौरान कर्मचारियों को पूर्ण वेतन और भुगतान करने के गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी गई थी।
नई दिल्लीः देश में कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण मजदूरों और उद्योगों की स्थिति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि मजदूर और उद्योग एक दूसरे पर निर्भर हैं। इसलिए किसी भी उद्योग पर दंडात्मक कार्रवाई न हो।
दरअसल, कोर्ट ने एमएसएमई सहित कई कंपनियों द्वारा दायर कई याचिकाओं को लेकर अपना फैसला सुनाया। इन याचिकाओं में कोविड-19 महामारी को रोकने के लिए लगाए गए लॉकडाउन के 54 दिनों की अवधि के दौरान कर्मचारियों को पूर्ण वेतन और भुगतान करने के गृह मंत्रालय के आदेश को चुनौती दी गई थी।
Justice Bhushan says,’ We directed no coercive action to be taken against employers.Our earlier orders will continue.A detailed affidavit has to be filed by Centre in last week of July.Negotiation b/w employees&employers to be facilitated by State Government labour departments’. https://t.co/rWEt0HWisi
— ANI (@ANI) June 12, 2020
मामले पर सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति अशोक भूषण ने कहा कि हमने नियोक्ताओं के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं करने का निर्देश दिया है। साथ ही पहले के आदेश जारी रहेंगे। उन्होंने कहा कि इस विषय पर केंद्र द्वारा विस्तृत हलफनामा जुलाई के अंतिम सप्ताह में दाखिल किया जाना चाहिए। राज्य सरकार के श्रम विभागों द्वारा कर्मचारियों और नियोक्ताओं की सुविधा के लिए वार्ता की जानी चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि सैलरी भुगतान को लेकर नियोक्ता और कर्मचारी आपस में समझौता करें। उद्योगों और श्रमिकों को एक दूसरे की जरूरत है और पारिश्रमिक के भुगतान विवाद को हल करने के प्रयास किए जाने चाहिए। वहीं, इस मामले को लेकर जुलाई के आखिरी हफ्ते में फिर से सुनवाई की जाएगी।