अमेठी :प्रशासनिक तंत्र की नाकामी, जनपद में सरकारी संसाधनों और सरकारी जमीन को खतरे में डाल रही है तालाबों की जमीन हो , शहर के व्यस्त मार्ग हो या सरकारी भवन, सभी अतिक्रमण की चपेट में है आम लोगों की भूमि की सुरक्षा के दावे करने वाली सरकार अपनी भूमि को ही अतिक्रमियों से नहीं बचा पा रही है सरकारी भवन,कब्रिस्तान, चारागाह, व तालाब भी अवैध कब्जो के चक्रव्यूह में फंसते जा रहे है जिम्मेदार अधिकारियों की अनदेखी के चलते सरकारी भूमि पर अवैध दीवारें खड़ी होने लगी हैं चारागाह भूमि,खेल मैदान व विकास का खाका तैयार करने वाले पंचायत भवन तक सुरक्षित नहीं हैं जिसको संज्ञान में आने पर देश की सुपर पावर उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय ने कई बार प्रशासनिक अधिकारियों एवं पुलिस प्रशासन को सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने का आदेश भी दे रखा है सरकारी भूमि पर कब्जों की बढ़ती प्रवृत्ति पर अकुंश के प्रभावी प्रयास नहीं होने से सरकारी फाइलों में अवैध कब्जों के खिलाफ कार्रवाई सिमट कर रह गई है सरकारी भवनों पर अतिक्रमण एवं अवैध कब्जे से उपजे हालात को उजागर करती है @राम मिश्रा की यह रिपोर्ट
केस:1-
विभागीय अफसरों की अनदेखी के चलते लाखों रुपयों की लागत से मुसाफिरखाना के ग्राम पंचायत पिंडारा महाराज में बना न्याय पंचायत भवन अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है कुछ लोगो ने पंचायत भवन पर अपना कब्जा जमा रखा है अधिकारी गण इस न्याय पंचायत को लेकर कितने फिक्रमंद है इसका अंदाजा सिर्फ इस बात से लगाया जा सकता है कि आज भी ये इमारत सी एस एम नगर जनपद में ही दर्ज है जब कि अमेठी का नामकरण हुए वर्षो बीत गये।
केस2:-
जनपद के मुसाफिरखाना विकास खंड के भीखीपुर गांव का है गांव में पंचायत भवन बना हुआ है इस पंचायत भवन में प्रतिदिन koग्राम पंचायत अधिकारी को बैठना चाहिए यहां पर गांव के विकास की इबारत लिखी जानी चाहिए थी लेकिन इस पंचायत भवन में निजी कोचिंग खोल दिया गया है कोचिंग संचालक से पूछताछ पर उन्होने बताया कि साहब व ग्राम प्रधान के आदेश से वे कोचिंग चला रहे हैं पंचायत भवन की चाबी उन्होंने दी है मीडिया में इसकी खबर आने पर कमीशनखोर अधिकारियो ने कोचिंग को शिफ्ट में चलाने की सलाह कोचिंग संचालक को दे दी।
इन सरकारी भवनों को भी चाहिए अवैध कब्जेदारो से मुक्ति-
शुकुल बाजार विकासखण्ड के उंचगाव में स्थित विवाह भवन, इसी गाँव का ए एन एम सेन्टर,जगदीशपुर के उतेलवा का ए एन एम सेन्टर,मोहनगंज के संग्रामपुर की सरकारी जमीन की तरह ही जनपद के अन्य कई सरकारी भवन व जमीन,अधिकारियों के सुस्त रवैये के कारण आजतक अपनी बदहाली आंसू बहे रहे है पंचायतवासियो ने हमे बताया कि ऐसा नहीं है कि इस संबंध में अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं है हम लोगों ने कई बार इस संबंध में अधिकारियों को सूचना देकर इस संबंध में कार्रवाई करने की गुहार लगाई लेकिन अधिकारी अब तक आंख मूंदे बैठे हुए हैं ।
जहाँ एक ओर न्याय पंचायत, जिला शिक्षा विभाग, राजस्व एवं वन विभाग की भवनों व जमीन पर अतिक्रमण करने की होड़ लगी हुई है वही दूसरी ओर जिम्मेदार विभागों के अधिकारियों को इतनी फुर्सत भी नहीं मौके पर पहुंच कर सरकारी भवनों को खाली व जमीन का सीमांकन करा सकें ।अगर सरकारी जमीन के हड़पने की यही रफ्तार रही तो एक समय ऐसा भी आ सकता है जब शासन को किसी विभाग का भवन या जमीन बचाना और बनाना दोनों ही मुश्किल होगा ।
रिपोर्ट-@राम मिश्रा