अमेठी- आए दिन स्कूली नौनिहालों के साथ हो रहे सड़क और ट्रेन हादसों के बाद भी अमेठी में ओवरलोड स्कूली वाहनों पर लगाम नहीं लग पा रही है। अभी हाल ही में उत्तर प्रदेश के एटा में दर्दनाक हादसा हो गया था जिसमे स्कूल बस और ट्रक की टक्कर हो गयी थी। ये हादसा इतना भयानक था कि इसमें 25 बच्चो की मौत हो गयी। हादसे की तस्वीरें इतनी खौफनाक थी कि किसी का दिल भी दहल जाये।
वही इसके बाद भी अमेठी में नानिहालो के प्रति स्कूल प्रशासन से लेकर, अभिभावक और प्रशासन भी गंभीर नहीं है। अमेठी जनपद की सड़कों पर मानकों की धज्जियां उड़ाते हुए स्कूल वाहन चल रहे हैं। जबकि स्कूल वाहन के लिए केवल बसें ही अनुमन्य हैं, बावजूद इसके तीनपहिया टेंपो, मानवचालित रिक्शा,मैजिक वैन और तमाम छोटी-बड़ी गाड़ियां स्कूल वैन के नाम पर बच्चों को ढो रही हैं, वह भी क्षमता से अधिक। इन ओवरलोड स्कूल वाहनों के चलते नौनिहालों की जान हमेशा खतरे में बनी रहती है।
एटा जिले में हुए हादसे की गहराई में जायें तो पता चलता है कि इस हादसे के लिए कई स्तर की खामियां जिम्मेदार हैं। सबसे बड़ी खामी यह रही कि जो ट्रक स्कूल वैन से टकराया उसे उस रास्ते पर चलने की दिन में अनुमति ही नहीं थी अगली और सबसे आम खामी यह रही कि स्कूल वैन में क्षमता से ज्यादा संख्या में बच्चों को बिठाया गया था।
जरा-सी चूक या गड्ढा दे सकता है हादसे को अंजाम-
स्कूली बच्चों को क्षमता से अधिक भरकर ऑटो रिक्शा व अन्य वाहन शहर से गुजर रहे एनएच-57 सहित मुसाफिरखाना, वारिसगंज, जामो, जगदीशपुर, शुकुल बाजार की सड़कों पर सरपट दौड़ते देखे जा सकते हैं इस बीच मार्ग पर कोई गड्ढा न दिखने पर या चालक के जरा-सी चूक में नियंत्रण खो देने पर बड़ा हादसा हो सकता है सबसे ज्यादा ऑटो रिक्शा के पलटने की संभावना रहती है ।
मोटर व्हीकल एक्ट में ऑटो से स्कूली सफर नहीं मान्य-
बता दें कि मोटर व्हीकल एक्ट में ऑटो से स्कूली सफर मान्य नहीं है। एक्ट व कोर्ट की गाइडलाइन को पूरा करने वाली स्कूल बस व वैन में ही बच्चों को घर से स्कूल व स्कूल से घर ले जाया जा सकता हैं।
इनकी होती है जांच-
फिटनेस के नाम पर वाहन का इंजन, हार्न, आगे और पीछे की लाइट, फाग लाइट, रिफलेक्टर व इंडीकेटर, सीट, फस्र्ट एड बाक्स, सफाई, डेंट-पेंट तथा नंबर प्लेट आदि की जांच होती है।
कहने का तात्पर्य यह है कि एटा सड़क हादसे के पीछे जो खामियां थी, वह बहुत ही आम किस्म की थी इस घटना के पीछे वो सुरक्षा मानक जिम्मेदार थे जिनका पालन करना बुनियादी दायरे में आता है।
हर घटना के बाद प्रशासन नींद से जाग जाता है लेकिन सबसे बड़ा सवाल तो यह है कि अगर पहले ही प्रशासन मुस्तैदी दिखाएं तो शायद इस तरह की एटा जैसी बड़ी घटना से बचा जा सकता है, अब देखने वाली बात यह होगी कि अमेठी में भी कुछ दिनों तक या प्रशासन की तरफ से जांच की खानापूर्ति ही की जायेगी या फिर सचमुच इस पर अमल करके आगे भी वाहनों की जांच होगी ।
रिपोर्ट- @राम मिश्रा