लखनऊ: उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुए कांड को लेकर प्रशासन और किसानों में समझौते की खबर सामने आ रही है। 8 दिनों के अंदर आरोपियों की गिरफ्तारी का भरोसा, किसानों के परिजन को 45 लाख का मुआवजा देने के साथ ही न्यायिक जांच को लेकर सहमति बन गई है। किसान नेता राकेश टिकैत और एडीजी (लॉ ऐंड ऑर्डर) ने संयुक्त रूप से प्रेस को जानकारी दी।
लखीमपुर में हिंसा की घटना में जान गंवाने वाले मृतकों के परिजन को 45-45 लाख रुपये दिए जाने पर सहमति बन गई है। किसान यूनियन की तरफ से 50-50 लाख रुपये की मांग रखी गई थी। इसके साथ ही मृतकों के आश्रितों को नौकरी का आश्वासन भी दिया गया है। वहीं घायलों के परिजन को 10-10 लाख का मुआवजा मिलेगा।
प्रशासन ने घटना की न्यायिक जांच का भरोसा भी दिया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में पूरे मामले की जांच की जाएगी। किसानों और प्रशासन की साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में समझौते का ऐलान किया गया। इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेता राकेश टिकैत और यूपी के एडीजी लॉ ऐंड ऑर्डर प्रशांत कुमार भी मौजूद थे।
एडीजी (कानून-व्यवस्था) प्रशांत कुमार ने बताया कि किसानों की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की जाएगी। हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज इस केस की जांच करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि धारा 144 की वजह से किसी भी राजनीतिक दल के नेता को यहां आने की अनुमति नहीं है। हालांकि किसान यूनियन के लोग यहां पर आ सकते हैं।
Govt will give Rs 45 lakhs & a govt job to the families of 4 farmers who died in Lakhimpur Kheri yesterday. The injured will be given Rs 10 lakhs. FIR will be registered based on farmers’ complaint. Retired high court judge will probe the matter: ADG (Law & Order) Prashant Kumar pic.twitter.com/Yoc8pcU0sP
— ANI UP (@ANINewsUP) October 4, 2021
लखीमपुर खीरी में रविवार को जमकर खूनी संघर्ष हुआ और फायरिंग और आगजनी में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई। किसानों का आरोप है कि विरोध प्रदर्शन के दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष उर्फ मोनू और उसके समर्थकों ने किसानों पर गाड़ियां चढ़ा दीं। इसमें चार किसानों की मौत हो गई, जबकि कई घायल हैं। इससे गुस्साए किसानों ने मोनू और उनके समर्थकों की तीन गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया और बाकी वाहनों को पलटा दिया।
लखीमपुर जाने की कोशिश कर रहे कई नेताओं को अलग-अलग जगहों पर हिरासत में लिया गया। इसमें यूपी के पूर्व सीएम अखिलेश यादव, कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी, शिवपाल सिंह यादव और AAP सांसद संजय सिंह भी शामिल हैं। बसपा के सतीश चंद्र मिश्र और कांग्रेस के प्रमोत तिवारी के घर के बाहर पुलिस का पहरा लगा दिया गया है।