गुजरात हाई कोर्ट के सामने एक पारिवारिक विवाद ऐसा पहुंचा है जिसके दूरगामी परिणाम हो सकते हैं। गुजरात हाई कोर्ट विचार करेगा कि कोई पति अपनी पत्नी को जबरदस्ती मुखमैथुन (ओरल सेक्स) के लिए मजबूर करता है तो क्या वो गुदा मैथुन, बलात्कार या वैवाहिक क्रूरता की श्रेणी में आएगा या नहीं और क्या पति पर इसके लिए कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
गुजरात हाई कोर्ट के जज जेबी पर्दीवाला एक व्यक्ति की याचिका पर विचार करेंगे जिसने अपनी पत्नी द्वारा दर्ज करायी गयी पुलिस शिकायत रद्द करने का आदेश देने की अपील की है।
सोमवार (छह नवंबर) को इस मामले में हुई सुनवाई में अदालत ने सरकारी वकील ने इस मामले में लागू होने वाली भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की जानकारी मांगी। हाई कोर्ट ने याची की पत्नी को नोटिस भेजा है। याची का कहना है कि वो शादीशुदा है इसलिए उसके द्वारा मुखमैथुन करने को बलात्कार या गुदा मैथुन नहीं माना जा सकता। वैवाहिक जीवन में बलात्कार को न्यायाधीश पर्दीवाला ने एक “शर्मनाक अपराध” बताया।
इसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट में एक अहम फैसले में व्यवस्था दी थी कि 18 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ शारीरिक संबंध बनाना बलात्कार माना जाएगा। इसके अलावा अदालत में वैवाहिक बलात्कार का मामला भी विचार के लिए आ चुका है।
ऐसे ही एक मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार से पति द्वारा पत्नी के बलात्कार के मसले पर उसकी राय मांगी थी। केंद्र सरकार ने अपने जवाब में कहा था कि अगर इससे वैवाहिक संस्था खतरे में पड़ सकती है और इसका इस्तेमाल पतियों को तंग करने के लिए किया जा सकता है।