सहारनपुर : सहारनपुर की रहने वाली हर्षिता अरोड़ा ने अपने कारनामों की वजह से पूरी दुनिया में धूम मचा रखी है। सहारनपुर ही नहीं पूरे देश-विदेश में हर्षिता की चर्चा हो रही है। कक्षा आठ की पढ़ाई छोड़कर बैठी हर्षिता ने एप्पल स्टोर के लिए एक ऐसी यूजफुल ऐप बनाई है जो अमेरिका और कनाडा में तेजी से पॉपुलर हो रही है। हर्षिता ने आईओएस सिस्टम पर क्रिप्टो करेंसी प्राइस टैकर एप्लीकेशन बनाई है जो पेड ऐप है। ये ऐप दुनियाभर की क्रिप्टोकरेंसी के मूल्यों में हो रहे उतार-चढ़ाव का रियल टाइम स्टेटस बताती है। अमेरिका और कनाडा में इस ऐप को शीर्ष स्थान दिया गया है। बता दें कि सहारनपुर की बेटी हर्षिता की उम्र सिर्फ 16 साल है।
जिस उम्र में बच्चे स्कूल पढ़ाई और एग्जाम के चक्करों में उलझे रह जाते हैं। उस उम्र में चंद्र नगर निवासी रविंद सिंह की पुत्री हर्षिता अरोड़ा ने आठवीं के बाद पढ़ाई छोड़कर तकनीक की पढ़ाई कर महज 16 वर्ष की उम्र में एक विशेष एप्लीकेशन बनाकर विश्व पटल में अपनी पहचान बनाई। हर्षिता अरोड़ा के पिता रविंद्र सिंह अरोड़ा ऑटो फाइनेंसर व माता जसविंद्र कौर गृहिणी व दादा पीएस अरोड़ा व दादी हरबंस कौर है। हर्षिता अरोड़ा ने एप्पल आईओएस सिस्टम पर क्रिप्टो करेंसी प्राइस टैकर एप्लीकेशन बनाई है। ये ऐप विदेश में काफी पॉपुलर है और अभी तक इसके 1800 से ज्यादा पेड डाउनलोड हो चुके हैं।
पत्रकारों से बातचीत में हर्षिता ने कहा कि फंडामेंटल उन्हें पहले ही क्लियर हो चुके हैं। वह कहती हैं, ‘मैं भारत में शिक्षा को कमतर नहीं आंकती लेकिन ये कॉमन कोर्सेज मेरे लिए नहीं हैं। मेरे कम्प्यूटर टीचर ने मुझे तकनीक की एक नई दुनिया से रूबरू कराया। मैं जो करना चाहती हूं वह मुझे वर्तमान शिक्षण व्यवस्था में नहीं मिलेगा। स्कूलों में कम्प्यूटर को भी महत्व देना चाहिए।’
हर्षिता की सोच बाकी बच्चों से अलग रही है। उन्होंने प्राइमरी एथेनिया, उसके बाद पाइनहॉल व आठवीं तक पाइनवुड तक पढ़ाई की। हर्षिता ने ऐप डेवलपर बनने के लिए 15 वर्ष से ही हार्डवर्क शुरू कर दिया था। 2016 में, उन्होंने मैंगलुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से एमआईटी लॉन्च में भाग लिया। हर्षिता ने बताया, एक दिन फेसबुक पर उसे सेल्सफोर्स के बारे में जानकारी मिली, जिसके बाद वह सेल्सफोर्स में इंटर्नशिप करने बैंगलुरु चली गई। सेल्सफोर्स की इंटर्नशिप पूरी करने के बाद उसने अमेरिका के मशहूर तकनीकी संस्थान से एमआईटी लांच का समर प्रोग्राम किया। अमेरिका से लौटने के बाद वो सीधे सहारनपुर पहुंची। यहां उसने फाइनेंस कैटेगरी के लिए ऐप तैयार किया।