नई दिल्ली– सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (15 दिसंबर) को कहा है कि वायु सेना कर्मी धार्मिक कारणों का हवाला देकर लंबी दाढ़ी नहीं रख सकते। सर्वोच्च अदालत ने कहा कि आर्म्ड फोर्सेज रेगुलेशन सेना में अनुशासन और एकरूपता लाने के उद्देश्य से बनाए गए हैं। भारत के मुख्य न्यायाधीश टीएस ठाकुर के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि आर्म्ड फोर्सेज के नियम किसी के धार्मिक अधिकार में हस्तक्षेप नहीं करते हैं और इनसे अनुशासन सुनिश्चित होता है। सुप्रीम कोर्ट अंसारी आफताब अहमद की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। अंसारी ने धार्मिक स्वतंत्रता का हवाला देते हुए सिखों की तरह लंबी दाढ़ी रखने के अधिकार की मांग की थी।
आफताब को 2008 में वायु सेना से डिस्चार्ज किया जा चुका है। अदालत ने अपने फैसले में आफताब को सेना से निकाले जाने को सही ठहराया। आफताब ने अपनी याचिका में कहा था कि संविधान में दिए गए धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार के तहत दाढ़ी रखना उनका मौलिक अधिकार है। आफताब ने याचिका में दलील दी थी कि जिस तरह वायु सेना में शामिल सिखों को दाढ़ी और पगड़ी रखने की इजाजत है उसी तरह उन्हें भी इसकी अनुमति मिलनी चाहिए।
आफताब की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए वकील इरशाद हनीफ ने सर्वोच्च अदालत से कई मुस्लिम सैन्य कर्मियों द्वारा दायर कई गई याचिकाओं पर आखिरी सुनवाई के लिए अंतिम तारीख देने का आग्रह किया। सभी याचिकाकर्ताओं को दाढ़ी रखने की वजह से अनुशासनात्मक कार्रवाई करते सेना से डिस्चार्ज कर दिया गया है।
आफताब को भारतीय वायु सेना से अक्टूबर 2008 में दाढ़ी रखने की वजह से निकाल दिया गया था। उन्होंने उसी साल सुप्रीम कोर्ट में अपने निकाले जाने को चुनौती दी थी। साल 2008 में ही वायु सेना के एक अन्य कर्मी और महाराष्ट्र पुलिस के एक कर्मी ने भी अदालत में ऐसी याचिका दायर की थी। अदालत को दिए अपने जवाब में वायु सेना ने कहा, “सारे मुसलमान दाढ़ी नहीं रखते। दाढ़ी रखना या न रखना वैकल्पिक है। इस्लाम में सभी लोग दाढ़ी नहीं रखते। इसलिए ये नहीं कहा जा सकता कि इस्लाम दाढ़ी कटवाने या बनवाने से रोकता है।” [एजेंसी]