अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने एक बार फिर से भारत की वित्त वर्ष 2019-20 में रहने वाली विकास दर के लिए अनुमान घटा दिया है।
आईएमएफ के ताजा अनुमान के मुताबिक भारत की जीडीपी इस साल 6.1 फीसदी की रफ्तार से ग्रोथ करेगी। इससे पहले अप्रैल में इसके 7.3 फीसदी रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था।
इससे पहले सितंबर में आईएमएफ ने वित्त वर्ष 2019-20 में आर्थिक विकास दर सात फीसदी रहने की उम्मीद जताई थी। इसमें 0.30 फीसदी की कटौती की गई थी।
इस संदर्भ में आईएमएफ ने कहा है कि कॉरपोरेट और रेग्युलेटरी अनिश्चितताओं और कुछ गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं की कमजोरी के कारण भारत की आर्थिक विकास दर अनुमान से अधिक कमजोर हुई।
सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, अप्रैल-जून की तिमाही में भारत की आर्थिक विकास दर छह साल के सबसे निचले स्तर पर पांच फीसदी पर पहुंच गई। पिछले साल की समान तिमाही में यह आंकड़ा आठ फीसदी था।
आईएमएफ के प्रवक्ता गेरी राईस ने कहा कि, ‘अमेरिका-चीन के बीच व्यापार युद्ध ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को झटका दिया है। इससे ग्लोबल जीडीपी ग्रोथ अगले साल 0.8 फीसदी घटने की आशंका है।’
विकास दर को घटाने के अनुमान से केंद्र सरकार की देश को पांच ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने की कवायद को भी झटका लग सकता है। अगर अर्थव्यवस्था में मंदी का दौर देखने को या फिर धीमी रफ्तार रहेगी तो इसका असर भविष्य में भी देखने को मिलेगा।
फिलहाल देश में कई सेक्टरों में उत्पादन लगभग ठप हो गया है। ऐसा इसलिए क्योंकि लोग पुराने स्टॉक को भी नहीं खरीद रहे हैं। पांच ट्रिलियन इकोनॉमी बनाने के लिए विकास दर में तेजी रखने के लिए कोशिशों को जारी रखना होगा।
आईएमएफ से पहले विश्व बैंक ने भी रविवार को जीडीपी का अनुमान घटाकर के छह फीसदी कर दिया था। इससे केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को झटका लग सकता है।
विश्व बैंक के अनुसार, भारत की विकास दर छह फीसदी रह सकती है। जबकि साल 2018-19 में वृद्धि दर 6.9 फीसदी थी। विश्व बैंक का कहना है कि साल 2021 में वृद्धि दर दोबारा 6.9 फीसदी पर आ सकती है।
वहीं 2022 में इसमें और भी सुधार हो सकता है। साल 2022 में भारत की विकास दर 7.2 फीसदी पर रहने का अनुमान है।