श्रीनगर [ TNN ] कश्मीरी अलगाववादियों का विकृत चेहरा और घिनौना स्वार्थ एक बार फिर खुलकर सामने आया है। सेना के उत्तरी कमान के सूत्रों का कहना है कि ये अलगाववादी अब सेना के बचाव और राहत कार्यो में बाधा पहुंचाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं। एक तरफ देश और दुनियाभर से राज्य में प्राकृतिक आपदा से प्रभावित लोगों के लिए मदद और दुआ को हाथ उठ रहे हैं, दूसरी तरफ ये अलगाववादी नेता उन्हीं हाथों को नीचे खींचने के कुत्सित प्रयास में जुट गए हैं।
पिछले सप्ताह शनिवार को जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) के प्रमुख यासीन मलिक ने अपने कुछ विवेकहीन गुर्गो के साथ मिलकर भारतीय सेना द्वारा जम्मू-कश्मीर के बाढ़ प्रभावित इलाकों में चलाए जा रहे राहत अभियान “ऑपरेशन मेघ राहत” में बाधा पहुंचाने की कोशिश की। सूत्रों ने कहा कि मलिक और उसके समर्थकों ने सेना की एक नाव से बीमार महिला को उतारने की कोशिश की। हालांकि उसकी इस कोशिश का नाव पर मौजूद और अन्य स्थानीय महिलाओं ने जम कर विरोध किया। लेकिन मलिक के मीर नाम के एक गुर्गे ने उन कश्मीरी महिलाओं को डांटा और उन्हें चुप रहने की हिदायत दी। मलिक ने सेना के जवानों को राहत कार्य बंद करने और वह इलाका छोड़ देने को भी कहा।
पिछले दिनों अलगाववादियों के उकसाए गुर्गो ने ही सेना के हेलीकॉप्टरों और नावों पर पत्थर भी फेंके, लेकिन सेना ने कोई जवाब नहीं दिया और धैर्यपूर्वक अपने काम में जुटी रही। एक अन्य घटना में हुर्रियत कान्फ्रेस के अध्यक्ष सैयद अली शाह गिलानी ने पाकिस्तान से कश्मीरी लोगों की मदद के लिए आगे आने का आग्रह किया। असल में उनका मकसद राहत और बचाव कार्यो में लगी सेना को बाधा पहुंचाने का था।