1947 में देश की पहली कैबिनेट में सरदार वल्लभ भाई पटेल को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा शामिल न किए जाने के दावे पर अब पूर्व विदेश मंत्री नटवर लाल ने भी सहमति जताई है।
बता दें कि हाल में ही विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नारायणी बसु की किताब ‘वीपी मेनन: दि अनसंग आर्किटेक्ट ऑफ मॉडर्न इंडिया’ का हवाला देकर यही दावा किया था।
नटवर सिंह ने संडे गार्जियन अखबार में लिखे एक आर्टिकल में यह दावा किया है कि नेहरू ने सरदार पटेल का नाम शुरुआत में उन लोगों की सूची में शामिल नहीं किया था, जिन्हें वह अपनी कैबिनेट में मंत्री बनाना चाहते थे।
नटवर सिंह ने अपने इस दावे को लेकर एच वी होडसन की किताब, द ग्रेट डिवाइड का हवाला भी दिया।
उन्होंने लिखा कि मैंने 1969 में प्रकाशित द ग्रेट डिवाइड में पढ़ा कि पंडित नेहरू ने स्वतंत्रता के बाद पहली कैबिनेट लिस्ट में सरदार पटेल का नाम नहीं रखा था। इस पर वीपी मेनन ने आपत्ति जताते हुए लार्ड माउंटबेटेन से मुलाकात की थी।
वीपी मेनन ने वायसराय के पास जाकर उन्हें चेतावनी दी कि कांग्रेस में उत्तराधिकार की लड़ाई शुरू होगी और देश को विभाजित करेगी। सरदार पटेल कोषाध्यक्ष और संसदीय उम्मीदवारों की चयन समिति के अध्यक्ष थे।
विदेश मंत्री जयशंकर ने कई ट्वीट करते हुए कहा था कि उन्हें वीपी मेनन की जीवनी से पता चला है कि साल 1947 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू साल नहीं चाहते थे कि सरदार पटेल उनकी कैबिनेट में रहें।