राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के आरक्षण पर दिए गए बयान के बाद बिहार में राजनीति गरमा गई है।
इस मुद्दे को लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर आई बीजेपी जहां बैकफुट पर है, वहीं जेडीयू और आरजेडी के नेता आरएसएस पर हमलावर है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी माने जाने वाले जेडीयू नेता और बिहार सरकार में मंत्री श्याम रजक ने इस मसले पर कहा है कि अगर आरक्षण के साथ कोई छेड़छाड़ होती है तो सड़कों पर खून बहेगा।
जेडीयू नेता ने कहा कि अगर कोई आरक्षण के साथ खिलवाड़ करते है तो इससे दिल टूटेगा। अगर दिल टूटेगा तो देश टूटेगा। मजबूरी में दलित वर्ग क्या करेगा। सड़क पर खून बहेगा। दलित और शोषित वर्ग अपना खून बहा देगा।
बता दें कि अपने इस बयान से चंद घंटे पहले ही सीएम नीतीश के करीबी जेडीयू नेता ने आरएसएस को आरक्षण पर चर्चा बंद करने की नसीहत दी थी।
उन्होंने कहा था आरक्षण पर जब भी चर्चा की बात होती है देश का दलित शंका में आ जाता है। इसलिए इस पर लोगों को किसी भी तरह की चर्चा बंद कर देनी चाहिए।
श्याम रजक ने सवाल उठाते हुए कहा कि आरक्षण दलितों के लिए था, लेकिन फायदा किन्हें मिल रहा है? श्याम रजक ने कहा कि जो संगठन के लोग आरक्षण की बात करते हैं, उस संगठन में कितने लोग आरक्षित (वर्ग से) हैं? यह भी तो साफ़ कीजिए। जब नीयत ही साफ नहीं है तो इस तरह की चर्चा बंद कीजिए।
हालांकि बीजेपी ने श्याम रजक के बयान पर सधी प्रतिक्रिया दी है। बिहार सरकार में मंत्री और बीजेपी नेता सुरेश शर्मा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बात को दोहराया है कि आरक्षण रहेगा।
उन्होंने कहा कि आरएसएस प्रवक्ता ने भी स्पष्ट कर दिया है फिर भी इसे लोग इसे राजनीतिक मुद्दा बना रहे हैं। इस बात में कोई दम नहीं है।
बता दें कि मोहन भागवत के बयान पर जेडीयू और आरजेडी के सुर एक जैसे हैं और दोनों ही दल मोहन भागवत पर हमलावर हैं।
मंगलवार को पटना लौटने के बाद आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने मोहन भागवत के बयान पर कहा कि देश में आरक्षण खत्म करने की साजिश की जा रही है।
तेजस्वी यादव ने कहा कि हमने पहले भी आरएसएस के एजेंडे का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि आरक्षण के साथ जो खेलेगा उसके लिए खतरा होगा।
गौरतलब है कि आरक्षण वही मुद्दा है, जिसने वर्ष 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में बड़ा असर डाला था और इसी आधार पर आरजेडी की सत्ता में वापसी हुई थी।