रांची- झारखंड के कई जिलों के गांवों में दहशत है। लोग अपने बच्चों को काफी संभाल कर रख रहे हैं। एक अभियान के तहत कुछ हथियारबंद लोगों का ग्रुप गांवों में आता है और सरपंच-मुखिया से कहता है कि चुनाव जीतने में हमने आपकी मदद की है। अब आप भी अपने गांव से दस बच्चे दिलाएं।
बच्चों की मांग
बात हो रही है नक्सलियों की। बाल दस्ता बनाने के लिए अब गांवों के सरपंचों से बच्चों की मांग की जा रही है। गुमला, लोहरदगा व लातेहार जिले की कई पंचायतों के प्रतिनिधियों को उनके क्षेत्र के 10 बच्चे उन्हें देने को कहा गया है। खबर है कि भाकपा माओवादियों ने कहा है कि पंचायत चुनाव में किये गये उनके सहयोग का बदला संगठन की मदद कर चुकाएं।
ग्रामीणों ने किया इंकार तो अपनाया ये तरीका
पहले नक्सली डरा-धमकाकर ग्रामीणों पर बच्चा देने का दवाब बनाते थे, जिससे डरकर कई लोगों ने अपने बच्चे नक्सलियों को सौंपे भी थे। बाद में ग्रामीणों ने ऐसा करने से साफ इंकार कर दिया था। बच्चों को हासिल करने के लिए नक्सलियों ने अपनी ओर से काफी दवाब भी बनाया। यही नहीं आदिवासियों को जंगलों के उपज को भी लेने से मना कर दिया था। अब बदले हालात में ग्रामीणों को झुकता नहीं देख अब गांवों के जनप्रतिनिधियों को टारगेट बनाया गया है।
सेफ जोन में छिपे हैं नक्सली
पुलिस ने बीती 29 मई से तीन जून तक जंगलों में रुद्र वन ऑपरेशन चलाया था। इसके बाद माओवादियों ने कुमाड़ी इलाका छोड़ दिया था। सूचना है कि माओवादी फिलहाल बिशुनपुर प्रखंड के करचा गांव के समीप डेरा डाले हुए हैं। बगल में लोहरदगा जिले का बुलबुल व केराल गांव हैं। यही तीनों गांव अभी नक्सलियों के सेफ जोन बने हुए हैं।
पुलिस 250 बच्चों को करा चुकी है रिहा
खबर है कि बिशुनपुर प्रखंड की तीन पंचायत के मुखिया पर नक्सलियों का खासा दबाव है। नक्सली दबाव से सभी डरे हुए हैं। बिशुनपुर प्रखंड के कुमाड़ी, जमटी, कटिया, निरासी, करचा सहित आसपास के कई गांव से प्रशासन 250 बच्चों को सुरक्षित निकाल चुका है। इन बच्चों को नक्सलियों ने बाल दस्ते के लिए मांगा था। [एजेंसी]