जूना अखाड़ा के स्वामी अवधेशानंद गिरि ने ट्वीट कर लिखा कि, पालघर में ‘साधुओं’ की हत्या पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। न्याय नहीं होने के कारण गुस्सा है। सुशांत सिंह राजपूत केस की तरह सीबीआई को इसकी जांच करनी चाहिए। यही धार्मिक समूह और भक्त चाहते हैं। जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए।
मुंबई: पालघर में दो साधुओं की भीड़ द्वारा हत्या मामले में सुशांत सिंह राजपूत केस की तरह सीबीआई जांच करावाने की मांग उठने लगी है। जूना अखाड़ा के स्वामी अवधेशानंद गिरि और योग गुरु स्वामी रामदेव में इस के सीबीआई जांच करवाने की मांग की है। न्याय में हो रही देरी का मामला उठाते हुए साधुओं की हत्या की निष्पक्ष जांच का मामला उठाया है। बता दें कि फिलहाल इस मामले को महाराष्ट्र पुलिस देख रही है।
गुरुवार को जूना अखाड़ा के स्वामी अवधेशानंद गिरि ने ट्वीट कर लिखा कि, पालघर में ‘साधुओं’ की हत्या पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। न्याय नहीं होने के कारण गुस्सा है। सुशांत सिंह राजपूत केस की तरह सीबीआई को इसकी जांच करनी चाहिए। यही धार्मिक समूह और भक्त चाहते हैं। जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए।
लाखों साधु सन्यासियों और देश की धर्म-प्राण जनता का आह्वान है की पालघर में बर्बरतापूर्वक हुई साधुओं की हत्या की निष्पक्ष जांच सीबीआई द्वारा होनी चाहिए ! देश न्याय चाहता है ! वहीं स्वामी अवधेशानंद गिरि का समर्थन करते हुए योग गुरु स्वामी रामदेव ने कहा कि, संत समाज चाहता है अविलंब सीबीआई की जांच होनी चाहिए, निर्दोष निरपराध संतों की बर्बरता पूर्ण हत्याकांड पर पूरे देश की जनता तत्काल न्याय चाहती है। बता दें कि, पिछले हफ्ते पालघर हिंसा मामले में 90 दिनों तक कोई आरोपपत्र दाखिल नहीं किए जाने के कारण एक स्थानीय अदालत ने 28 आरोपियों को जमानत दे दी। 16 अप्रैल को पालघर में भीड़ ने चोरी के शक में दो साधुओं और उनके ड्राइवर पर हमला बोल दिया था। भीड़ ने तीनों को पीट पीटकर मार डाला था।
दहानू के प्रथम श्रेणी न्यायिक मजिस्ट्रेट एमवी जावले ने आरोप पत्र दाखिल नहीं होने के चलते मामले के 28 आरोपियों की रिहाई का आदेश दिया। सरकारी वकील अमृत अधिकारी ने बताया कि पहली दो एफआईआर के आधार पर पुलिस ने इन 28 लोगों को गिरफ्तार किया था। इससे पहले याचिकाकर्ता शशांक शेखर झा ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर सीबीआई जांच की मांग की थी।
इस मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से मामले में दाखिल दोनों चार्जशीट अदालत के सामने रखने को कहा था। साथ ही कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से यह भी पूछा था कि इस मामले में पुलिस अफसरों की भूमिका पर क्या जांच हुई है और उन पर क्या कार्रवाई हुई है? वहीं इस मामले में जूना अखाड़ा की ओर से कहा गया था महाराष्ट्र ने एक ही घटना में दो एफआईआर दर्ज की हैं। यदि चार्जशीट दायर की जाती है, तब भी वे बरी हो जाएंगे। सबूतों को भी संरक्षित करने के लिए कुछ निगरानी की आवश्यकता है।