भाजपा ने बड़े नेताओं को रोजाना अपने क्षेत्र के विधायकों से फोन पर बात करने की जिम्मेदारी दी है। संगठन मंत्री और जिलाध्यक्षों से कहा गया है कि सभी की अप्रत्यक्ष रूप से निगरानी की जाए। यदि किसी का फोन बंद होता है या कहीं आने-जाने की खबर मिलती है तो उसकी जानकारी नरोत्तम मिश्रा और शिवराज चौहान को दी जाए।
भोपाल : मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी ड्रामे ने मुख्यमंत्री कमलनाथ सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। अब उन विधायकों की मान-मनौव्वल की जा रही है जिनकी पिछले एक साल से मंत्री और अधिकारी तक नहीं सुन रहे थे। कमलनाथ और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने शुक्रवार को सभी विधायकों से बातचीत की।
दो विधायकों बिसाहूलाल सिंह और रघुराज कंसाना से बात नहीं हुई। कांग्रेस से इस्तीफा देने वाले विधायक हरदीप डंग से संपर्क हो गया है। बंगलूरू में मौजूद चार विधायकों में से निर्दलीय सुरेंद्र सिंह शेरा की वापसी होने वाली है। वहीं तीन अन्य विधायक बिसाहूलाल, रघुराज और डंग के भोपाल लौटने की खबरे हैं।
जानकारी के अनुसार भाजपा विधायक अरविंद भदौरिया भी बंगलूरू में इन चारों के संपर्क में हैं। भाजपा ने अपने सभी विधायकों के फोन सर्विलांस पर लगा दिए हैं। दूसरी तरफ शुक्रवार को दिल्ली में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के घर पर शुक्रवार को भाजपा नेता जुटे।
जिसमें पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के प्रतिनिधि के तौर पर धर्मेंद्र प्रधान, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, पूर्व प्रदेश संगठन महामंत्री अरविंद मेनन, प्रहलाद पटेल और नरोत्तम मिश्रा शामिल हुए। माना जा रहा है कि भाजपा बजट सत्र से पहले कांग्रेस विधायकों की नाराजगी का फायदा उठाना चाहती है।
संकट से उबरने के लिए कमलनाथ और दिग्विजय ने मंत्रिमंडल में नाराज विधायकों को जगह देने के लिए फॉर्मूला तैयार किया है। जिसके लिए कुछ भरोसेमंद मंत्रियों के इस्तीफे लिए जा सकते हैं। मुख्यमंत्री ने सांसद और वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा के साथ वैधानिक पहलुओं को लेकर चर्चा की। दिग्विजय पहले ही बजट सत्र के बाद कैबिनेट विस्तार के संकेत दे चुके हैं।
नारायण त्रिपाठी और शरद कोल के कांग्रेस का साथ देने की अटकलों को लेकर भाजपा केंद्रीय संगठन के निर्देश पर किलेबंदी पर ध्यान दे रही है। इसके मद्देनजर भाजपा ने बड़े नेताओं को रोजाना अपने क्षेत्र के विधायकों से फोन पर बात करने की जिम्मेदारी दी है। संगठन मंत्री और जिलाध्यक्षों से कहा गया है कि सभी की अप्रत्यक्ष रूप से निगरानी की जाए। यदि किसी का फोन बंद होता है या कहीं आने-जाने की खबर मिलती है तो उसकी जानकारी नरोत्तम मिश्रा और शिवराज चौहान को दी जाए।
सीएम कमलनाथ ने कहा, ‘यहां जो नेता हैं, वो बिकाऊ नहीं हैं। ये सिद्धांतों और सेवा की राजनीति करते हैं। हमें अपनी राजनीति की भी ऐसी पहचान बनानी हैं कि हमें गर्व हो, ऐसी पहचान बनाएं कि हम छाती ठोक के कह सकें कि हम मध्यप्रदेश से हैं।’