खंडवा ( निशात सिद्दीकी ) नोटबंदी के बाद आम लोग बुरी तरह परेशान है। लेकिन कुछ खबरे ऐसी भी है जो इन परेशानियों पर मलहम का काम करती है। ऐसी ही एक खबर मध्यप्रदेश खंडवा से मिल रही है जहाँ बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र के मैनेजर ने नर्सिंगहोम में जा कर स्ट्रेचर पर ही मरीज को उसके खाते से रकम विड्रा कर के दे दी। मरीज को यह रकम अपने ऑपरेशन के लिए चाहिए थी और डॉक्टर पुराने नोट नहीं ले रहा था।
खंडवा के रहने वाले रिटायर रेलकर्मी छगनलाल की अपने ही घर में गिरने से कूल्हे की हड्डी टूट गई। छगनलाल को जब खंडवा के एक निजी नर्सिंग होम में भर्ती कराया गया तो डॉक्टर ने उसे तुरंत ऑपरेशन करने का कह दिया। छगनलाल की पत्नी निर्मला बाई ने बताया की डॉक्टर ने कहा है की तुरंत ऑपरेशन में लगभग 25 हजार रूपये का खर्चा आएगा और एटीएम से भी इतने पैसे एक साथ नहीं निकल सकते। वह छगनलाल की पासबुक लेकर बैंक में गया वहां मैनेजर से अपनी समस्या बताई। बैंक मैनेजर ने तुरंत 24 हजार रूपये साथ लेकर मरीज के पास नर्सिंग होम पहुँच गए। ऑपरेशन थेयटर में लेजाने के पहले ही बैंक मैनेजर ने छगनलाल से विड्रॉल पर हस्ताक्षर करवाए और केवाईसी वेरिफाई कर के नर्सिंगहोम में स्ट्रेचर पर ही मरीज को उसके खाते से रकम विड्रा कर दी। बैंक से मदद मिलने के छगनलाल की पत्नी निर्मला ने राहत की साँस ली वहां अब बैंक से मदद करने आए लोगों का शुक्रिया कर रही है। निर्मला का कहना है ऐसी दुःख की घड़ी में बैंक वाले उस के लिए किसी फरिस्ते से काम नहीं है।
बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र खंडवा के बैंक मैनेजर प्रदीप यादव ने तेज़ न्यूज़ से कहा कि छगनलाल हमारे यहाँ खातेदार है उसके परिवार के लोग बैंक आय थे समस्या को देखते हुए मानवता के नाते वह खुद नर्सिंगहोम गए और वहां छगनलाल से विड्रॉल पर हस्ताक्षर करवाए और केवाईसी वेरिफाई कर के उन्हें उन्ही के खाते से रकम अदा कर दी ताकि उनके इलाज़ में कोई दिक्कत न आ पाए।
इधर जैन नर्सिंगहोम संचालक डॉक्टर दिलीप जैन ने भी अपनी फ़ीस मिलने पर रहत की साँस ली। हालांकि डॉक्टर का कहना है कि उन्होंने पैसे नगद नहीं मांगे थे पर बैंक वालों ने मरीज को यहीँ पैसे ला कर दे दिए इस से उन्हें भी अब मरीज का फ्री इलाज़ करने से निजात मिल जायँगी हालांकि जब से नोटबंदी हुई है कई मरीजों का इलाज़ फ्री में किया है ।