खंडवा: सरकारी सिस्टम में गरीबों के सर पर छत और मकान की योजना होने के बावजूद एक गरीब परिवार के दो लोगों को मौत सस्ते में उठा ले गई l खंडवा जिले के किल्लौद विकासखंड के ग्राम नांदिया रैयत में कच्चे मकान की दीवार गिरने से यह हादसा हुआ l एक मृतिका गर्भवती बताई गई है l ऐसे में देखा जाए तो दो नहीं तीन मौतें हुई हैं l
नींद में ही उठा ले गई मौत – ग्राम नांदिया में सुबह 7:00 बजे की घटना है जब हसीब खान का परिवार सो रहा था l उसी वक्त कच्ची दीवार गिर गई l दीवार गिरने से हसीब खान की पुत्री गुलाबसा पुत्र आशिक उम्र 15 वर्ष की मौत हो गई है l
उन्हें किल्लौद के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया, जहां बीएमओ डॉ धर्मेंद्र शर्मा ने उन्हें मृत घोषित किया l थाना प्रभारी किल्लौद ने मौका मुआयना किया l पटवारी ने पंचनामा बनाया l
हकदार को क्यों नसीब नहीं हुई छत – दिल दहलाने वाली घटना से गांव में मातम है l ग्रामीणों का गुस्सा सरपंच और सचिव पर फूट रहा है l ग्रामीणों का कहना है कि 4 साल से गरीब हसीब सरपंच सचिव के चक्कर माथे पर सरकारी मदद से छत के लिए लगा रहा था l उसे पक्की पीएम आवास नहीं दी गई l नतीजा यह हुआ कि इतना बड़ा हादसे का शिकार उसके परिवार के लोग हुए l
तो क्या 3 मौतें हुई – बताया यह भी जा रहा है कि हसीब खान की पुत्री गुलाब शाह गर्भवती थी l देखा जाए तो एक परिवार में तीन मौतें हुई हैं l किल्लौद थाना प्रभारी अंजलि जाट सबसे पहले घटनास्थल पर पहुंची l पटवारी भूपेंद्र सिंह एवं बाद में तहसीलदार व एसडीओपी ने भी निरीक्षण किया ।
शव दफनाने दूसरे जिले जाना मजबूरी – घटना से सवाल कई उठ खड़े हुए हैं, जिसमें साफ लग रहा है कि बड़े लोगों ने भी प्रधानमंत्री आवास योजना का फायदा उठाया, लेकिन इस वास्तविक गरीब को यह सुविधा क्यों नहीं मिली? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे ही निर्धन लोगों के लिए योजना लागू की थी l नांदियाखेड़ा गांव सुदूर और काफी पिछड़ा है l यहां तक की करीब ढाई सौ की आबादी वाले इस गांव के लोगों को कफन-दफन के लिए दूसरे जिले के कब्रिस्तान का मुंह झांकना पड़ता है l
पंचायती व्यवस्था कब सुधरेगी – नांदिया गांव की पंचायत ने भी इनकी तरफ कभी ध्यान नहीं दिया l न ही कोई जमीन इस तरह की एलॉट की गई है l कुछ क्रेशर वालों की भी अति यहां हो रही है l लोग डस्ट से संक्रमित होकर सीने में बड़ी बीमारियां पाल बैठे हैं l इनकी सुनने वाला कोई नहीं है l न ही किसी तरह का अवसर ध्यान देते हैं l पेयजल का भी संकट बना रहता है l पंचायत व्यवस्था का सिस्टम मुरैना स्टाइल का हो गया है l
रिपोर्ट – राजेंद्र पाराशर