नई दिल्लीः दिल्ली-जयपुर हाईवे स्थित खेड़ा बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन में शनिवार को भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत पहुंचे। उन्होंने कहा कि सरकार अपने हठ पर अड़ी हुई है इसलिए अभी किसानों का आंदोलन अगले 35 महीने और चलेगा। सरकार शर्तों के साथ बात करना चाहती है लेकिन किसान तीनों कानूनों को रद्द करवाने से कम नहीं मानेंगे।
हरियाणा सरकार की सख्ती के सवाल पर टिकैत ने कहा कि किसान हरियाणा सरकार की सख्ती का इंतजार कर रहे हैं। किसान किसी भी कीमत पर डरने वाले नहीं हैं। बॉर्डर पर किसानों की संख्या कम होने के सवाल पर टिकैत ने कहा कि रणनीति के मुताबिक ऐसा किया जा रहा है यदि सरकार हमारी शक्ति देखनी चाहती है तो एक बार बताए। दोबारा दिल्ली में 5 लाख ट्रैक्टर पहुंच जाएंगे।
गुरनाम चढ़ूनी के अलग होने के सवाल पर टिकैत ने कहा कि विचार अलग होने के चलते ऐसा किया गया है। किसान मोर्चा चुनाव लड़ने के पक्ष में नहीं है, लेकिन चढ़ूनी चुनाव लड़ना चाह रहे थे। वह भी जल्दी ही साथ आ जाएंगे और उनका विचार भी बदलेगा।
भाजपा सांसद मीनाक्षी लेखी द्वारा किसानों को मवाली बताने के सवाल पर कहा कि किसान महिलाओं का सम्मान करते हैं, लेकिन कुछ लोगों द्वारा ऐसा करवाया जा रहा है। किसान अपने हक की लड़ाई के लिए लड़ता रहेगा।
दिल्ली में जंतर-मंतर पर 200 किसान प्रतिनिधियों की संसद में जमकर हंगामा हुआ। सरकार के पैरोकार के तौर पर बतौर कृषि मंत्री चुने गए किसान नेता रवनीत सिंह बराड़ विपक्ष के सवालों से घिरे रहे। जवाब देने में नाकाम रहने पर आखिर में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उधर, लगातार दूसरे दिन किसान संसद में मंडी कानून पर चर्चा जारी रही।
इस दौरान किसान प्रतिनिधियों ने केंद्र सरकार के कानून को सिरे से खारिज कर दिया। किसानों ने केंद्रीय मंत्री मीनाक्षी लेखी के बयान की भी आलोचना की है। आखिर में शाम को किसान संसद का सत्र सोमवार सुबह तक के लिए स्थगित कर दिया गया। सोमवार की किसान संसद में सिर्फ महिलाएं हिस्सा बनेंगी। 200 महिला किसान प्रतिनिधियों पर सत्र के संचालन से लेकर हर गतिविधि तक की जिम्मेेदारी होगी।