बेंगलुरु : स्पेस साइंस की दुनिया में भारत एक ऐतिहासिक सफलता हासिल करने से कुछ ही कदम दूर है। भारत का महत्वाकांक्षी स्पेस मिशन चंद्रयान 2 के चांद पर कदम रखने में कुछ घंटे बाकी हैं। पूरे देश के साथ ही दुनिया की नजर भी भारत के स्पेसक्राफ्ट पर टिकी हैं। शुक्रवार देर रात अगर चंद्रयान 2 का लैंडर विक्रम चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में कामयाब रहा तो ऐसा करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
बीते बुधवार विक्रम चांद की सतह पर उतरने की ओर बढ़ने के लिए जरूरी ऑर्बिट में दाखिल हो गया था। अब शुक्रवार देर रात 1 से 2 बजे के बीच यह सतह की ओर बढ़ने लगेगा। चांद के आखिरी ऑर्बिट से निकलने के बाद सतह से 35 किमी दूर से विक्रम लैंडिंग के लिए बढ़ना शुरू कर देगा। पहले 10 मिनट में यह 7.7 किमी की ऊंचाई तक आएगा और उसके अगले 38 सेकंड में 5 किमी ऊंचाई पर पहुंच जाएगा। इसके 89 सेकंड बाद 400 मीटर और फिर 66 सेकंड में 100 मीटर की ऊंचाई पर पहुंच जाएगा।
सतह से 100 मीटर की दूरी से ही विक्रम लैंडिंग साइट को लेकर आखिरी फैसला करेगा। इसरो ने पहले ही साउथ पोल पर एक प्राइमरी और एक सेकंडरी साइट चुन रखी हैं। इसरो ने जो साइट्स चुनी हैं वह ऐसी जगह पर हैं जहां से लैंडिंग के वक्त सूरज सही ऐंगल पर हो। इससे रोवर को बेहतर तस्वीरें लेने में मदद मिलेगी। लैंडिंग के लिए मैन्जीनियस और सिंपीलियस नाम के क्रेटर्स के बीच दक्षिण पोल से करीब 350 किमी दूर उतरना विक्रम की प्राथमिकता रहेगी।
लैंडर के पास प्राइमरी साइट के भी दो विकल्प हैं और उस वक्त की स्थिति के हिसाब से वह फैसला करेगा कि लैंडिंग कहां करनी है। इसके 78 सेकंड्स के अंदर कुछ चक्कर काटने के बाद लैंडर करीब 1:30-2:30 के बीच सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। मिशन से जुड़े एक साइंटिस्ट ने बताया है कि अगर विक्रम प्राइमरी साइट के पहले जोन में उतरने का फैसला करता है, तो 65 सेकंड में यह सतह से 10 मीटर की दूरी पर पहुंच जाएगा।
अगर इसे दूसरी लैंडिंग साइट चुननी पड़ी तो पहले 40 सेकंड यह 60 मीटर की दूरी तक जाएगा और उसके अगले 25 सेकंड में 10 मीटर तर पहुंच जाएगा। एक बार विक्रम सतह से 10 मीटर की दूरी पर पहुंच जाता है तो इसे नीचे जाने में 13 सेकंड लगेंगे। सॉफ्ट लैंडिंग ऐसी प्रक्रिया होगी जिसे लेकर सबसे ज्यादा सतर्कता बरती जानी है।
सॉफ्ट लैंडिंग सफलता से करना इसलिए जरूरी है क्योंकि चंद्रयान 2 के रोवर के अंदर रीसर्च से जुड़े जरूरी उपकरण मौजूद हैं। इतिहास पर नजर डालें तो सॉफ्ट लैंडिंग के सिर्फ 37% प्रयास अभी तक सफल हुए हैं। हालांकि, इसरो को अपनी अडवांस्ड टेक्नॉलजी और लॉन्च करने से पहले रोवर, ऑर्बिटर और लैंडर के सबसिस्टम, सेंसर और थ्रस्टर पर किए गए टेस्ट्स की वजह से पूरा भरोसा है कि वह सफलतापूर्वक लैंडिंग कर लेगा।
एक बार सॉफ्ट लैंडिंग होने के बाद शनिवार तड़के 5:30- 6:30 बजे के बीच रोवर प्रज्ञान 1 सेंटीमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से लैंडर से बाहर निकलेगा और शुरू हो जाएंगे चांद पर वैज्ञानिक प्रयोग। ऑर्बिटर इस दौरान चांद की कक्षा में घूमता रहेगा और विक्रम अपनी जगह साउथ पोल पर ही बना रहेगा।