नई दिल्ली- अपने अजीबोगरीब कारनामों के कारण चर्चा में रहने वाले जेडीयू के दबंग विधायक अनंत सिंह पर छेड़छाड़ के आरोपी एक युवक की सरेबाजार अपहरण कर हत्या का आरोप करवाने का आरोप लगा है। वहीं मामला सामने आने के बाद बिहार की राजनीति में भी भूचाल आ गया है।
मामले का खुलासा करने वाले पटना के तत्कालीन एसएसपी का भी रातोरात तबादला कर दिया गया। बताया जा रहा है कि विधायक को बचाने के लिए ही एसएसपी को बदला गया है। वहीं विधायक ने भी अपना पक्ष रखते हुए एसएसपी पर निजी रंजिश रखने और फर्जी मामले में फंसाने का आरोप लगाया।
वहीं विपक्ष ने भी इस मुद्दे को हाथों हाथ उठाते हुए जेडीयू पर अपने दागी विधायक को बचाने का आरोप लगाते हुए उसे हटाने की मांग कर दी है। वहीं सांसद पप्पू यादव ने मामले को ब्रह्मेश्वर मुखिया की हत्या से जोड़ते हुए इसकी सीबीआई जांच कराने की मांग की है, जिससे विधायक की पुरानी करतूतों से भी पर्दा उठ सके।
असल में सारा घटनाक्रम उस समय शुरू हुआ जब बीती 17 जून को पटना के बाढ़ बाजार क्षेत्र में चार युवकों ने एक महिला से छेड़छाड़ कर दी। इसको लेकर काफी हंगामा हुआ। बताया जाता है कि बाद में इन चार युवकों का अपहरण कर लिया गया था।
जिनमें से एक युवक की दर्दनाक तरीके से हत्या कर दी गई थी। उसका शव जंगल में पड़ा मिला था। मामले में पुलिस ने कई आरोपियों को गिरफ्तार किया था। जबकि बाकी तीनों अपहृत युवकों को भी बरामद कर लिया गया था।
पकड़े गए आरोपियो से पूछताछ के बाद पटना के तत्कालीन एसएसपी जितेन्द्र राणा ने खुलासा किया गया था, कि चारों युवकों का अपहरण मुकामा के जेडीयू विधायक अनंत के इशारे पर हुई थी, उन्होंने ही अपने गुर्गों को यह आदेश दिया था कि छेड़छाड़ के चारों आरोपियों को ऐसा सबक सिखाओ की हर कोई देखे।
इसके बाद पटना के कई हॉस्टल और विधायक आवास से चार गाड़ियों में भरकर बदमाश युवकों की तलाश में निकले थे। यहां से विधायक के खास गुर्गे भूषण सिंह की निशानदेही पर अलग अलग जगहों से चारों युवकों का अपहरण किया गया।
आरोपियों का प्लान चारों को मारने का था लेकिन वे एक ही युवक की हत्या कर पाए। इस बीच पुलिस उन तक पहुंच गई। वहीं अपहरण और हत्या के मामले में सत्तारूढ़ पार्टी के विधायक का नाम आने के बाद बिहार की राजनीति में हड़कंप मच गया। मामले में उनके खिलाफ मुकदमा भी हुआ था।
इसी बीच एसएसपी जितेन्द्र राणा का तबादला कर उन्हें मोतिहारी भेज दिया गया। जबकि पटना का चार्ज विकास वैभव को सौंप दिया गया। वहीं वारदात में नाम आने के बाद विधायक अनंत सिंह भी बुधवार सुबह मीडिया के सामने आए और खुद को निर्दोष बताया।
उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन एसएसपी ने व्यक्तिगत रंजिश के चलते उनका नाम इस घटना से जोड़ा था। उनका इस घटना से कोई लेना देना नहीं है और जांच में यह बात साफ हो जाएगी।
हत्याकांड में विधाकय का नाम आने के साथ ही विपक्ष ने भी सत्ताधारी पार्टी जेडीयू पर आरोपों की बौछार कर दी है। भाजपा प्रवक्ता रामेश्वर चौरसिया ने कहा कि विधायक अनंत सिंह की दबंगई से सभी वाकिफ हैं। इस वारदात में उनका नाम शामिल होने के बाद ही पटना के एसएसपी को अनंत सिंह के कहने पर हटाया गया है।
वहीं सांसद पप्पू यादव ने अनंत सिंह का नाम पूर्व की कई गंभीर वारदातों से जोड़ते हुए कहा कि अनंत सिंह शुरू से ही इस तरह की घटनाओं के लिए कुख्यात रहे हैं। पप्पू यादव ने कहा कि प्रदेश सरकार मामले में निष्पक्ष जांच नहीं करवा सकती इसलिए इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए।
अनंत सिंह अपनी दबंगई के कारण पूर्व में भी चर्चित रहे हैं। पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी ने भी उन पर धमकी देने का आरोप लगाया था। साल 2006 में एके 47 के साथ उनकी फोटो ने काफी बवाल गचा था। एक बार उन पर दस करोड़ की फिरौती मांगने का आरोप भी लगा था।
वहीं मामले में एक नया मोड़ ये भी आ गया है कि छेड़छाड़ के तीनों आरोपियों के परिजनों ने आरोपी विधायक अनंत सिंह का पक्ष लेते हुए कहा कि उनके बेटों को बदमाशों से विधायक ने छुड़वाया। उन्होंने छेड़छाड़ की किसी घटना से भी इंकार किया है।
परिजनों ने साफ कहा कि हमने पुलिस से कोई मदद नहीं मांगी थी, हमने सीधे विधायकजी से ही गुहार लगाई थी। हालांकि वे ये नहीं बता सके कि पुलिस को छोड़कर वो विधायक के पास क्यों गए। वहीं उन तीनों युवकों ने मामले में चुप्पी साध ली है। एजेंसी