श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को लेकर महबूबा मुफ्ती द्वारा दिए गए बयान के बाद अब राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला का बयान आया है। उन्होंने साफ कहा है कि अगर राज्य में धारा 35ए से छेड़छाड़ हुई तो यह कश्मीर में आग लगाने जैसा होगा और इसके बाद जो आंदोलन होगा वो अमरनाथ भूमि आंदोलन से भी बड़ा होगा।
सोमवार को मुख्यधारा के राजनीतिक दलों (गैर सत्ताधारी दलों) के नेताओं और प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद फारूक ने कहा कि केंद्र सरकार सुनियोजित तरीके से धारा 35ए को भंग करने में लगी हुई है। भाजपा और आरएसएस का एक ही एजेंडा है कि धारा 370 व जम्मू-कश्मीर की स्वायत्तता को किसी तरह खत्म करना। इसी एजेंडे के तहत धारा 35ए को समाप्त किया जा रहा है।
जम्मू-कश्मीर के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा, केंद्र को नहीं मालूम इस धारा से खिलवाड़ का मतलब राज्य में आग लगाना है-अगर यह धारा भंग हुई तो कश्मीर, लद्दाख व जम्मू पर होगा नकारात्मक असर।
धारा 35ए पर नेकां 14 से जागरूकता अभियान छेड़ेगी जम्मू
राज्य के नागरिकों के विशेष दर्जे संबंधी अनुच्छेद 35ए के मुद्दे पर नेशनल कांफ्रेंस 14 अगस्त से जागरूकता अभियान छेड़ेगी। पूर्व मुख्यमंत्री व नेशनल कांफ्रेंस के कार्यवाहक प्रधान उमर अब्दुल्ला ने सोमवार को ट्विटर पर लिखा कि हम राज्य के लोगों को बताएंगे कि अगर धारा ३५ए समाप्त हो जाती है तो इससे उन्हें क्या नुकसान होगा। इसका असर जम्मू व लद्दाख के लोगों पर होगा। महाराजा के कार्यकाल का हवाला देते हुए उमर ने लिखा कि उन्होंने स्टेट सब्जेक्ट जम्मू की नौकरियों और जमीन को बचाने के लिए बनाया था। डोगरा संस्कृति और विरासत की बातें करने वाले भूल चुके हैं कि यह महाराजा का फैसला है।
यह है धारा 35 ए
14 मई 1954 को तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद द्वारा पारित आदेश के जरिये भारत के संविधान में एक नया अनुच्छेद 35ए जोड़ा गया। अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर की विधान सभा को यह अधिकार देता है कि वह स्थायी नागरिक की परिभाषा तय करके उन्हें चिह्नित कर व उन्हें विभिन्न विशेषाधिकार भी दे सके। अनुच्छेद के मुताबिक जम्मू-कश्मीर से बाहर का कोई भी व्यक्ति न तो जम्मू कश्मीर में सरकारी नौकरी कर सकता है, न ही भूमि, मकान आदि जैसी संपत्ति खरीद सकता है। बाहरी व्यक्ति राज्य सरकार द्वारा संचालित व्यावसायिक पाठयक्रमों वाला शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई भी नहीं कर सकता है। इस नियम के कारण यदि जम्मू-कश्मीर की कोई लड़की दूसरे राज्य में विवाह करेगी, तो उसकी जम्मू-कश्मीर की नागरिकता खत्म हो जाएगी।