नई दिल्लीः लोकसभा चुनाव में अब केवल दो चरण शेष हैं। इन छठे चरण में सात राज्यों की 57 लोकसभा सीट और अंतिम चरण में आठ राज्यों की 59 लोकसभा सीटों पर वोटिंग होनी है। इसके बाद 23 मई को चुनाव के परिणामों पर सभी की नजर होगी। हालांकि जहां चुनाव हो चुके हैं वहां पर प्रत्याशियों के लिए अभी से 23 मई का इंतजार हो रहा है। 23 मई को जब ईवीएम के जरिए परिणाम आने शुरू होंगे तभी कहीं जाकर राजनीतिक धड़कनें शांत हो सकेंगी। लेकिन इस बार परिणाम आने की व्याकुलता और इसका इंतजार कुछ लंबा होगा। इसकी कुछ खास वजह हैं।
इनमें सबसे पहली और बड़ी वजह यही है कि इस बार वोटों की गणना का काम कुछ लंबा हो गया है। लंबा इसलिए हुआ है क्योंकि इस बार वीवीपैट से निकली पांच फीसद पर्चियों का मिलान वोटों से किया जाएगा। यही मतगणना का एक ऐसा तकनीकी पक्ष है जिसकी वजह से परिणामों में इस बार विलंब हो सकता है। यदि आपने इस लोकसभा चुनाव में वोट डाला है तो आपको याद होगा कि ईवीएम में प्रत्याशी के सामने का बटन दबाते ही इसके साथ में रखी वीवीपैट यानी वोटर वेरीफाइबल पेपर ऑडिट ट्रेल की स्क्रीन पर एक पर्ची दिखाई दी होगी। इस पर प्रत्याशी का फोटो और पार्टी का नाम आदि जानकारी अंकित होती है। सात सेकेंड तक यह पर्ची आपको दिखाई देती है। इसके बाद यह उसी में जमा हो जाती है। इसके पीछे मकसद सिर्फ यही है कि चुनाव में किसी भी तरह की धांधली और विवादों को खत्म किया जा सके। परिणाम को लेकर हुए विवाद के समय ईवीएम और इससे जुड़ी वीवीपैट मशीन की पर्चियों का मिलान किया जाएगा, जिससे सही परिणाम आ सके और विवाद को खत्म किया जा सके।
वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो उस वक्त मतदान के लिए ईवीएम का ही इस्तेमाल किया गया था। मतगणना के दौरान ईवीएम पर एक बटन दबाने से ही इसका रिजल्ट मिल जाता था। लेकिन अब इसके साथ वीवीपैट मशीन जोड़े जाने और पांच प्रतिशत पर्चियों के मिलान की वजह से इस बार की मतगणना में पांच से छह घंटे की देरी हो सकती है। लिहाजा प्रत्याशियों को कुछ ज्यादा देर अपने परिणाम के लिए इंतजार करना पड़ सकता है।
आपको बता दें कि भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक कॉरपोरेशन ऑफ़ इंडिया लिमिटेड द्वारा बनाई गई इस मशीन का इस्तेमाल पहली बार नागालैंड के विधानसभा चुनाव में वर्ष 2013 में हुआ था। 2017 में इसका इस्तेमाल गोवा में भी किया गया था। जून 2014 में ही यह तय हो गया था कि इस बार के लोकसभा चुनाव में इसका इस्तेमाल किया जाएगा। आपको यहां पर ये भी बता दें कि ये पहला लोकसभा चुनाव है जिसमें वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल किया जा रहा है। बीते वर्ष हुए पाच राज्यों के विधानसभा चुनावों में चुनाव आयोग ने 52,000 वीवीपैट का इस्तेमाल किया था।