मुंबई : महाराष्ट्र में रोज नए राजनीतिक समीकरण बन रहे हैं। माना जा रहा है कि शनिवार को शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और कांग्रेस सरकार बनाने के लिए राज्यपाल के पास जाएंगे। विधानसभा की अवधि खत्म होने के बाद भी जब कोई पार्टी सरकार बनाने में अक्षम रही तो राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया। इसी बीच शिवसेना ने भाजपा पर अपने मुखपत्र सामना के जरिए दोबारा निशाना साधा है। सामना में राष्ट्रपति शासन की आड़ में घोड़ाबाजार शीर्षक से संपादकीय लिखा गया है।
संपादकीय में शिवसेना का कहना है कि नए समीकरण से कुछ लोगों के पेट में दर्द हो रहा है। पार्टी ने लिखा, कौन कैसे सरकार बनाता है देखता हूं, अपरोक्ष रूप से इस तरह की भाषा और कृत्य किए जा रहे हैं। ऐसे श्राप भी दिए जा रहे हैं कि अगर सरकार बन भी गई तो कितने दिन टिकेगी देखते हैं।
ऐसा ‘भविष्य’ भी बताया जा रहा है कि छह महीने से ज्यादा सरकार नहीं टिकेगी। ये नया धंधा लाभदायक भले हो लेकिन ये अंधश्रद्धा कानून का उल्लंघन है। अपनी कमजोरी को छुपाने के लिए ये हरकत महाराष्ट्र के सामने आ रही है।
सामना में लिखा है, ‘हम महाराष्ट्र के मालिक हैं और देश के बाप हैं, ऐसा किसी को लगता होगा तो वे इस मानसिकता से बाहर आएं। ये मानसिक अवस्था 105 वालों के स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।
ऐसी स्थिति ज्यादा समय रही तो मानसिक संतुलन बिगड़ जाएगा और पागलपन की ओर यात्रा शुरू हो जाएगी। एक तो नरेंद्र मोदी जैसे नेता के नाम पर उनका खेल शुरू है और इसमें मोदी का ही नाम खराब हो रहा है।’
सामना में पूछा गया है कि फडणवीस कैसे कह रहे हैं कि अब केवल हमारी सरकार है। शिवसेना ने लिखा, ‘पूर्व मुख्यमंत्री फडणवीस ने अपने विधायकों को बड़ी विनम्रता से कहा कि बिंदास रहो, राज्य में फिर से भाजपा की ही सरकार आ रही है।
जो ऐसा कह रहे हैं कि अब भाजपा की सरकार आएगी वे 105 वाले पहले ही राज्यपाल से मिलकर साफ कह चुके हैं कि हमारे पास बहुमत नहीं है। इसलिए सरकार बनाने में हम असमर्थ हैं, ऐसा कहनेवाले राष्ट्रपति शासन लगते ही ‘अब सिर्फ हमारी सरकार है!’ ये किस मुंह से कह रहे हैं?’