दिवानी कचहरी की एक अदालत में भूमि विवाद के मामले में करनैलगंज के राम संजीवन की पुकार हुई, जब तक वो हाजिर होते देर हो चुकी थी। जज ने केस खारिज का फैसला सुना दिया। वजह सिर्फ इतनी कि गलियारे में डेरा जमा कर बैठे बंदरों ने उनका रास्ता रोक रखा था।
जी हां, दिवानी कचहरी में आजकल हालात कुछ ऐसे ही हैं। अकेले राम संजीवन ही क्यों, ऐसे कई वादकारियों को संकट झेलना पड़ रहा है। यहां की अदालतों के गलियारों में बैठे बंदरों की वजह से वादकारी समय से अपने केस में हाजिर नहीं हो पा रहे हैं।
मोतीगंज के गोले बताते हैं कि मारपीट के उनके मुकदमे में समय से नहीं पहुचने के कारण उनके विरुद्ध वारंट जारी हो गया। जबकि सुनवाई के दिन अदालत में बंदरों के रास्ते में होने की वजह से वह नहीं पहुंच पाए।
कोतवाली नगर के रामपति भी विचाराधीन एक मामले में सुनवाई पर इसी कारण नहीं पहुंच सके तो उनके साक्ष्य का अवसर समाप्त कर दिया गया। राजाराम हो या फिर शिवकुमार, गफ्फार अथवा राजित राम सब इसी संकट के शिकार हुए हैं।
बंदरों से अकेले वादकारियों को ही नहीं बल्कि वकीलों को भी परेशान होना पड़ता है। बंदर कई अधिवक्ताओं और वादकारियों को काट कर घायल कर चुके हैं। कुछ दिन पहले वन विभाग की ओर से अभियान चलाया गया था, लेकिन अब फिर दिवानी कचहरी में बंदरों का आंतक है।