डिंडोरी : शिक्षा, गुणवत्ता और रिजल्ट की सुधार की सारी बातें और कवायद किवाड़ के स्कूल में बेमानी साबित होती हैं। विकासखण्ड समनापुर से लगे इस इलाके में स्कूल शिक्षा की हालत देखकर दूरस्थ पहुंच विहीन ग्रामीण क्षेत्रों का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। ग्राम पंचायत किवाड़ में प्राथमिक एवं माध्यमिक विद्यालय संचालित है। अफसरों के सारे दावों को झुठलाते हुए यहां दो स्कूलों के लिए महज़ 1 शिक्षक (विभागीय रिकार्ड के मुताबिक) पदस्थ हैं। इनमें प्रायमरी स्कूल में पढ़ाने के लिए एक भी शिक्षक नहीं है। प्रायमरी में 64 बच्चे तथा नवीन माध्यमिक शाला में 88 बच्चे अध्ययन करते हैं जिन्हें मध्यान्ह भोजन बनाने वाला रसोइया अशोक दास ही पढ़ा रहा है।
इसके अलावा आठवीं का छात्र माताराम जो कि शाला के बच्चों को शिक्षित करने में लगा हुआ है।
समनापुर विकासखंड के ग्राम पंचायत किवाड़ में स्कूल शिक्षा की हालत देखकर यह कतई नहीं माना जा सकता कि शासन के आदेश-निर्देश के मुताबिक अफसर यहां कोई कवायद कर रहे हैं। गांव के लोग परेशान हैं,
9 सितंबर दिन शनिवार को मीडिया कर्मी ने स्कूल का निरीक्षण किया तो पाया कि स्कूल में पदस्थ एक इकलौते शिक्षक एस उईके सहायक अध्यापक भी शाला में उपस्थित नहीं थे,
प्राइमरी व मीडिल स्कूल की कक्षाएं एक शिक्षक के भरोसे चल रही है। ऐसे में शिक्षा का स्तर क्या होगा?
गांव में 8वीं के बच्चे ही 5वीं के बच्चों को पढ़ा रहे हैं। शिक्षक नहीं होने पर एवं खाली पीरियड में सीनियर बच्चों को जूनियर बच्चों को सम्हालने का जिम्मा दे दिया जाता है।
यहां कक्षा 6वीं के एक कमरे में सारे बच्चे बैठे थे। शिक्षक के स्थान पर एक रसोइया पढ़ा रहा था। बच्चों ने बताया कि शिक्षक अभी नहीं है। इसलिए एक रसोइया द्वारा ही छात्रों को पढ़ाने का जिम्मा एक शिक्षक ने उन्हें दिया है। यह ढर्रा रोज यहां चलता है।
पढ़ाई में बेहद कमजोर
जब कक्षा 8वीं के एक छात्र से बातचीत की गई तो और भी आश्चर्य हुआ। बच्चे को 3 का पहाड़ा ही नहीं आता। यहां के अधिकांश बच्चों को 2 तक ही पहाड़ा आता है। 3 के बाद का पहाड़ा कुछ बच्चे अटक-अटक कर बता तो देते हैं लेकिन पूरी तरह नहीं बता पाते।
कमजोर है सारे बच्चे
वहां पदस्थ शिक्षक से फोन में जवाब तलब करने पर उन्होंने बताया कि में जनशिक्षा केंद्र गौराकन्हारी गया था।
उन्होंने बताया कि में किवाड़ स्कूल में एक अकेला शिक्षक हूँ इतने सारे बच्चों को पढ़ाने में बेहद कठिनाई हो रही है। पहली से लेकर आठवीं तक के बच्चों को पढ़ाना काफी मुश्किल काम है।
गांव की भोली भाली जनता शिक्षकों की मांग को लेकर जनप्रतिनिधियों व अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं। लेकिन कोई असर नहीं दिख रहा। आखिर में गांव के सरपंच व अभिभावकों ने बताया कि प्राथमिक स्कूल का संचालन माध्यमिक स्कूल के भवन में एक साथ ही कराया जा रहा है जिससे विद्यार्थियों की संख्या कुल मिलाकर 152 हो गई है जिन्हें पढ़ाने के लिए केवल 1 शिक्षक हैं।
देखना यह होगा कि इस पूरे मामले में क्या कहते और क्या कार्यवाही करते हैं जिम्मेदार अधिकारी।
@दीपक नामदेव