नई दिल्ली – रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर के ‘[highlight]कुछ पूर्व प्रधानमंत्रियों द्वारा देश की सुरक्षा से समझौता किए जाने[/highlight]’ के बयान पर मचे हंगामे के बीच यह बात सामने आ रही है कि वह इंद्र कुमार गुजराल के कार्यकाल की ओर इशारा कर रहे थे। पर्रिकर ने मुंबई में गुरुवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि उन्होंने पाकिस्तान से आई संदिग्ध आतंकी नाव पर ज्यादा जानकारी इसलिए नहीं दी क्योंकि इससे सूचना के स्रोत जाहिर होने की आशंका थी। उन्होंने किसी का नाम लिए बिना कहा था कि कुछ पूर्व प्रधानमंत्रियों ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर डीप असेट्स (संपदा) को खतरे में डाल दिया था।
सूत्रों के मुताबिक, पर्रिकर ने यह बयान पूर्व प्रधानमंत्री गुजराल के संबंध में दिया था। इंद्र कुमार गुजराल साल 1997-98 में एक साल से थोड़े कम समय तक भारत के प्रधानमंत्री रहे थे। तब उनकी अगुवाई वाली संयुक्त मोर्चा सरकार को कांग्रेस का समर्थन प्राप्त था। गुजराल का साल 2012 में निधन हो चुका है। पर्रिकर के बयान पर कांग्रेस ने शुक्रवार को कड़ी प्रतिक्रिया दी थी। कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला समेत कई वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पर्रिकर या तो इस संबंध में सबूत पेश करें या फिर माफी मांगें। कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा कि था कि रक्षा मंत्री ने बहुत ही गंभीर आरोप लगाए हैं।
पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने पर्रिकर के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने मंत्री द्वारा दिए गए बयान को स्पष्ट करना चाहिए। क्या ऐसी टिप्पणी करने की जरूरत थी?’ उन्होंने कहा, ‘अब अपने कार्यकाल को लेकर दो ही प्रधानमंत्री (उनके अलावा मनमोहन सिंह) बोलने की स्थिति में हैं। अटल बिहारी वाजपेयी बीमार हैं, मैं अपने कार्यकाल को लेकर किसी भी तरह की जांच का सामना करने को तैयार हूं।’ मनमोहन सिंह ने इस मुद्दे पर अभी तक कुछ भी नहीं कहा है।
गौरतलब है कि कथित आतंकी पाकिस्तानी नाव को खुद को जलाने की घटना के बाद कांग्रेस ने तटरक्षक बल के ऑपरेशन पर सवाल उठाए थे और इस बात के सबूत मांगे थे कि उस पर सवार चार लोग आतंकी ही थे। कांग्रेस की इस मांग पर व्यंग्य करते हुए पर्रिकर ने कहा, ‘अगली बार इस तरह के ऑपरेशन में हम कैमरामैन और कांग्रेस के प्रवक्ता को साथ लेकर जाएंगे।’