नई दिल्ली : नए कृषि कानूनों के विरोध में सड़क से संसद तक जारी संग्राम के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान उठे सवालों के जवाब दे रहे हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति का अभिभाषण देशवासियों की संकल्पशक्ति का परिचायक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे लिए संतोष और गर्व का विषय है कि कोरोना के कारण कितनी बड़ी मुसीबत आएगी इसके जो अनुमान लगाए गए थे कि भारत कैसे इस स्थिति से निपटेगा। ऐसे मैं ये 130 करोड़ देशवासियों के अनुशासन और समर्पण ने हमें आज बचा कर रखा है। इसका गौरवगान हमें करना चाहिए। भारत की पहचान बनाने के लिए ये भी एक अवसर है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि जिन संस्कारों को लेकर हम पले-बढ़े हैं, वो हैं- सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया। कोरोना कालखंड में भारत ने ये करके दिखाया है। भारत ने इस आपदा में दुनिया के कई मुल्कों की मदद की है।
- पीएम मोदी ने कहा कि हमारे लिए जरूरी है कि हम आत्मनिर्भर भारत के विचार को बल दें। ये किसी शासन व्यवस्था या किसी राजनेता का विचार नहीं है। आज हिंदुस्तान के हर कोने में वोकल फ़ॉर लोकल सुनाई दे रहा है। ये आत्मगौरव का भाव आत्मनिर्भर भारत के लिए बहुत काम आ रहा है।
- पीएम मोदी ने कहा कि आज जब हम भारत की बात करते हैं तो मैं स्वामी विवेकानंद जी की बात का स्मरण करना चाहूंगा। हर राष्ट्र के पास एक संदेश होता है, जो उसे पहुंचाना होता है, हर राष्ट्र का एक मिशन होता है, जो उसे हासिल करना होता है, हर राष्ट्र की एक नियति होती है, जिसे वो प्राप्त करता है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ लोग ये कहते थे कि भारत एक चमत्कारिक लोकतंत्र है। हमने इस भ्रम को हमने तोड़ा है। लोकतंत्र हमारी रगों और सांस में बुना हुआ है, हमारी हर सोच, हर पहल, हर प्रयास लोकतंत्र की भावना से भरा हुआ रहता है।
- पीएम मोदी ने कहा कि देश जब आजाद हुआ, जो आखिरी ब्रिटिश कमांडर थे, वो आखिरी तक यही कहते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है और कोई भी इसे एक राष्ट्र नहीं बना पाएगा। लेकिन भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा। विश्व के लिए आज हम आशा की किरण बनकर खड़े हुए हैं।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि कोरोना संकट काल में देश ने अपना रास्ता चुना और आज हम दुनिया के सामने मजबूती से खड़े हैं। इस दौरान भारत सभी भ्रमों को तोड़कर आगे बढ़ा है। आत्मनिर्भर भारत ने एक के बाद एक कदम उठाए हैं। यही नहीं भारत ने दुनिया के बाकी देशों की भी मदद की है।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि आत्मनिर्भर भारत ने एक के बाद एक कदम उठाए हैं। यही नहीं भारत ने दुनिया के बाकी देशों की भी मदद की है। देश जब आजाद हुआ, जो आखिरी ब्रिटिश कमांडर थे, वो आखिरी तक यही कहते थे कि भारत कई देशों का महाद्वीप है और कोई भी इसे एक राष्ट्र नहीं बना पाएगा। लेकिन भारतवासियों ने इस आशंका को तोड़ा। विश्व के लिए आज हम आशा की किरण बनकर खड़े हुए हैं।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्रपति जी का भाषण भारत के 130 करोड़ भारतीयों की संकल्प शक्ति को प्रदर्शित करता है। विकट और विपरीत काल में भी ये देश किस प्रकार से अपना रास्ता चुनता है, रास्ता तय करता है और रास्ते पर चलते हुए सफलता प्राप्त करता है, ये सब राष्ट्रपति जी ने अपने अभिभाषण में कही।
- प्रधानमंत्री ने कहा कि देश ने संकट काल में अपना रास्ता चुना। हम जल्द आजादी के 75 साल पूरे करने वाले हैं। 75 वर्ष का पड़ाव गर्व करने और आगे बढ़ने का मौका होगा। आजादी के 75वें साल में हमें नए संकल्पों के साथ आगे बढ़ना है।
आंदोलनजीवियों से बचें
बीते दिनों प्रधानमंत्री मोदी ने राज्यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर अपने संबोधन में कृषि कानूनों के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के पीछे हित साध रहे कुछ कथित आंदोलनकारियों और अपनी सियायत चमकाने में लगे राजनीतिक दलों पर करारा हमला बोला था। प्रधानमंत्री मोदी ने निहित स्वार्थ के कारण आंदोलन में शामिल नेताओं को ‘आंदोलनजीवी’ करार देते हुए इनसे बचने की सलाह दी। साथ ही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बयानों का उल्लेख करते हुए कृषि कानूनों को लेकर कांग्रेस पर यूटर्न का आरोप भी लगाया था।
एमएसपी थी, है और रहेगी
प्रधानमंत्री ने सोमवार को किसान आंदोलन के जरिये देश के अंदर और बाहर सरकार विरोधी हवा बनाने वाले लोगों की भूमिका को कठघरे में खड़ा किया। साथ ही किसानों को भरोसा दिया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) था, है और रहेगा। लिहाजा किसान भाइयों को आंदोलन खत्म कर उन सभी मुद्दों के साथ आना चाहिए, जिन्हें लेकर आशंका है। सरकार उन्हें दुरुस्त करेगी। प्रधानमंत्री की बातों का एक संकेत यह भी है कि कानूनों को लेकर सरकार कदम पीछे नहीं खींचेगी।
‘मोदी है तो मौका लीजिए’
राज्यसभा में अपने संबोधन के अंत में विपक्ष के हमलों पर भी प्रधानमंत्री मोदी ने चुटकी ली। उन्होंने कहा, ‘कोरोना के कारण ज्यादा आना-जाना होता नहीं होगा। घर में भी खींचतान चलती होगी। इतना गुस्सा यहां निकाल दिया तो आपका मन कितना हल्का हो गया। ये आनंद आपको जो मिला है, इसके लिए मैं काम आया, ये भी मैं अपना सौभाग्य मानता हूं। मैं चाहता हूं कि ये आनंद लेते रहिए। चर्चा करते रहिए। सदन को जीवंत बनाकर रखिए। मोदी है तो मौका लीजिए।’
गुलाम नबी की तारीफ, कांग्रेस पर निशाना
अपने संबोधन के दौरान जम्मू-कश्मीर में चुनाव की सराहना करने पर प्रधानमंत्री ने कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद की प्रशंसा भी की। मोदी ने कहा, ‘गुलाम नबी ने पंचायत और ब्लॉक चुनावों की सराहना की। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर उन्हें बहुत प्रिय है, जैसे हर भारतीय को है। हमारा प्रयास है कि जम्मू-कश्मीर को आत्मनिर्भर बनाया जाए।’ मोदी यहीं नहीं रुके। गुलाम नबी की तारीफ के बहाने उन्होंने कांग्रेस पर भी निशाना साधा था।
हरित क्रांति को लेकर भी फैलाई गई थीं भ्रांतियां
पीएम ने कहा कि हरित क्रांति के समय भी ऐसी ही आशंकाएं व भ्रांतियां फैलाई गई थीं। पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के समय कोई कृषि मंत्री बनने को तैयार नहीं था। वामपंथी दल उस समय भी इसी तरह विरोध कर रहे थे। कांग्रेस को अमेरिका का एजेंट कहा जा रहा था। लेकिन उसी हरित क्रांति का फल है कि पीएल-480 योजना के विलायती अनाज से पेट भरने वाला भारत खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर हो गया।