नई दिल्ली : राजधानी में प्रदूषण के बढ़ते स्तर पर दिल्ली सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 40 लाख ‘ओवरएज’ गाड़ियों का पंजीकरण रद्द किया जा चुका है जिनमें 15 साल पुरानी पेट्रोल और 10 साल पुरानी डीजल चालित गाड़ियां शामिल हैं। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में पेट्रोल-डीजल के पुराने वाहनों के संचालन पर रोक लगाने के लिए कहा था। इसी आदेश पर दिल्ली सरकार ने गुरुवार को अपना जवाब कोर्ट में दाखिल किया।
गाड़ियों के पंजीकरण को रद्द करने में सुस्ती दिखाने के लिए कोर्ट ने दिल्ली सरकार को फटकार भी लगाई। कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील वसीम ए कादरी से कहा कि एनजीटी ने ओवरएज वाहनों पर रोक लगाने का आदेश 7 अप्रैल, 2015 को जारी किया था। जिसके बाद इस आदेश के खिलाफ अपील 15 मई, 2015 को खारिज कर दी गई थी। सरकार ने साढ़े 3 साल बाद भी इस आदेश का पालन क्यों नहीं किया।
दिल्ली सरकार ने कोर्ट को बताया कि इस वक्त दिल्ली-एनसीआर में 1.10 करोड़ वाहन पंजीकृत हैं और सरकार ने कोर्ट के आदेश के अनुसार 40 लाख ओवरएज वाहनों का पंजीकरण रद्द कर दिया है। इसके पहले, दिल्ली के हालात को देखते हुए पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण ने ऑड-इवन लागू करने पर भी विचार करने को कहा था। जबकि प्रतिबंधित वाहनों पर नजर रखने के लिए परिवहन विभाग की इनफोर्समेंट टीम के अलावा ट्रैफिक पुलिस को भी निर्देश दिए गए हैं।
सरकार अब सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद कार्रवाई करती दिखाई दिखाई दे रही है। सरकार ने दिल्ली के कई इलाकों में निर्माण कार्यों पर अगले 10 दिनों तक रोक लगा दी है। जबकि इसकी निगरानी के लिए टीम का गठन भी किया गया है। वहीं, प्रदूषण के कारण बिगड़ते हालात पर दिल्ली परिवहन विभाग ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार को नोटिस जारी कर प्रतिबंधित वाहनों के सड़क पर उतरने पर कार्रवाई करने की बात कही थी, जिसकी जानकारी गुरुवार को कोर्ट को दी गई।