शासकीय और निजी विश्वविद्यालय सामुदायिक सेवा के लिए हर वर्ष 5-5 गाँव गोद लें : राज्यपाल श्री पटेल
विश्वविद्यालय अधिनियमों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति अनुरूप संशोधन करें
राज्यपाल श्री पटेल ने समन्वय समिति की बैठक ली
राज्यपाल श्री मंगुभाई पटेल ने कहा है कि सभी निजी और शासकीय विश्वविद्यालय अधिक से अधिक रोजगारमूलक पाठ्यक्रम संचालित करें। पाठ्यक्रमों की उच्च गुणवत्ता के मानकों का कड़ाई से पालन किया जाए। उन्होंने कहा कि दीक्षांत समारोह में निजी कंपनी और उद्योगों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाए। कुलपति का नाम कुलगुरू किए जाने के संबंध में आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। राज्यपाल श्री पटेल राजभवन के सांदीपनि सभागार में समन्वय समिति की 100 वीं बैठक को संबोधित कर रहे थे।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि शासकीय और निजी विश्वविद्यालय हर वर्ष 5-5 गाँव गोद लेकर स्वास्थ्य, स्वच्छता और सामुदायिक सेवा के कार्यों का संचालन करें। राष्ट्रीय सेवा योजना और सामुदायिक सेवा के कार्यों के समान ही रेडक्रॉस सोसायटी के साथ समन्वय कर, मानवता की सेवा के कार्यों में योगदान दें। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने नयी राष्ट्रीय शिक्षा नीति के द्वारा युवाओं को जमीन से जुड़े रहते हुए अन्तर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धा के लिए सक्षम बनने का अवसर दिया है। नीति के प्रभावी और एकीकृत क्रियान्वयन के लिए विश्वविद्यालय अधिनियमों में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप संशोधन का कार्य समय-सीमा में पूरा किया जाए। निजी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति, कुलपति और गवर्निंग कॉउन्सिल में अधिकारियों के समय-सीमा में नामांकन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। आवश्यक होने पर प्रक्रिया और नियमों में संशोधन किया जाए।
राज्यपाल श्री पटेल ने कहा कि प्रदेश के विश्वविद्यालयों का देश-दुनिया में नाम हो। सभी विश्वविद्यालयों की उत्कृष्ट शिक्षा केन्द्र के रूप में पहचान बने। इसके लिए एकजुट और एकरूपता के साथ प्रयास किये जायें। निर्धारित कैलेंडर के अनुसार प्रवेश, परीक्षा और परिणाम घोषित हों।
उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि विश्वविद्यालय काम के आधार पर पहचान बनायें। विश्वविद्यालय क्षेत्रीय संसाधन और संभावनाओं से सम्बद्ध जैसे वनांचल में वन, दर्शनीय क्षेत्रों में पर्यटन संबंधी और औद्यौगिक क्षेत्र में उद्योगों के अनुरूप पाठ्यक्रम संचालित करें। विश्वविद्यालय में किए जा रहे उत्कृष्ट कार्य, नवाचार और बौद्धिक सम्पदा से समाज को परिचित कराये। अपने संसाधन और सुविधाओं के आधार पर गुणात्मक सुधार के प्रयास करें। इन्क्यूबेशन सेंटर, नेक ग्रेडिंग आदि की पहल करें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति को जमीनी स्तर पर प्रभावी बनाने के लिए पाठ्यक्रम संशोधन आदि विभिन्न विषयों पर चर्चा और सेमीनार करें। उन्होंने बताया कि शोध ज्ञान फाउन्डेशन और प्रत्येक जिला मुख्यालय में स्नातकोत्तर महाविद्यालय की स्थापना आदि के प्रयास किए गए हैं। सहायक कुल सचिव की नियुक्ति के लिए लोक सेवा आयोग से भर्ती की पहल की गई है। विवेकानंद कैरियर योजना के अच्छे परिणाम मिल रहे हैं।
बैठक में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशानुसार कुलपति की नियुक्ति संबंधी प्रावधान किये जाने का निर्णय लिया गया और आवश्यक होने पर विश्वविद्यालय के अधिनियमों में संशोधन किया जाएगा। यह भी तय किया गया कि विश्वविद्यालय में स्व-वित्तीय पाठ्यक्रम संचालित करने के संबंध में मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति में विचार किया जाये। बताया गया कि एकीकृत केन्द्रीय अध्ययन मंडल गठित कर स्नातक स्तर पर 84 विषय के पाठ्यक्रम विभागीय वेबसाइट पर प्रदर्शित कर दिए गए हैं। शिक्षा सत्र 2022-23 के लिए मध्यप्रदेश के शासकीय, अनुदान प्राप्त और निजी अशासकीय महाविद्यालयों में स्नातक एवं स्नातकोत्तर कक्षाओं के लिए अकादमिक कैलेन्डर मार्गदर्शी सिद्धांत के साथ जारी किया गया है। शासकीय विश्वविद्यालयों ने बताया कि वर्ष 2021-22 की सभी परीक्षाएँ पूरी हो गई हैं। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा की पूरक परीक्षाएँ शीघ्र हो जाएंगी।
अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा श्री शैलेन्द्र सिंह, राज्यपाल के प्रमुख सचिव श्री डी.पी. आहूजा, वित्त आयुक्त श्री ज्ञानेश्वर पाटिल, आयुक्त उच्च शिक्षा श्री कर्मवीर शर्मा, प्रदेश के सभी शासकीय और निजी विश्वविद्यालयों के कुलपति, राजभवन और उच्च शिक्षा विभाग के अधिकारी मौजूद रहे।