कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों की कड़ी में पंजाब सरकार राज्य की जेलों में बंद ऐसे कैदियों को रिहा करने पर विचार कर रही है, जो साधारण अपराध में सजायाफ्ता हैं और उन्हें रिहा करने से कानून-व्यवस्था की कोई गंभीर समस्या खड़ी नहीं हो सकती। सूबे के जेलों में ऐसे कैदियों की संख्या करीब 6000 है
चंडीगढ़: पंजाब सरकार 5800 कैदियों को रिहा करेगी। प्रदेश के जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने एक बयान में यह बात कही। उन्होंने बताया कि मैंने सरकार को एक प्रस्ताव भेजा है। इस प्रस्ताव में उन्होंने प्रदेश की जेलों में कैद करीब 5800 कैदियों को रिहा करने की सिफारिश की है।
इनमें 2800 कैदी वे हैं, जो स्नैचिंग जैसी छोटी-मोटी वारदातों के लिए बंद हैं। 3000 कैदी वे हैं, जो कुछ ग्राम नशे के साथ पकड़े गए हैं। सभी डीजीपी, एडीजीपी और एसपी से इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया जा रहा है। सभी की सहमति से ही किसी नतीजे पर पहुंचा जाएगा। वैसे कोरोना वायरस फैलने के मद्देनजर यह प्रस्ताव भेजा गया है।
Punjab Jail Minister SS Randhawa: I have sent a proposal to Punjab government for release for 2800 inmates who are lodged in jails for petty crimes like snatching and 3000 criminals who were caught with small quantity drugs. Final decision yet to be taken. #Coronavirus (1/2) pic.twitter.com/xJnrUNPn2T
— ANI (@ANI) March 18, 2020
Punjab Jail Minister: There are concerns that crime rate may go up after the release of these prisoners. State DGP&ADGP(jails) have discussed the issue with SPs & a decision will be taken accordingly. Also, we are sanitizing the jails as a preventive measure against #Coronavirus https://t.co/LQ4VXN5kW0
— ANI (@ANI) March 18, 2020
कोरोना वायरस के खतरे से निपटने के लिए उठाए जा रहे कदमों की कड़ी में पंजाब सरकार राज्य की जेलों में बंद ऐसे कैदियों को रिहा करने पर विचार कर रही है, जो साधारण अपराध में सजायाफ्ता हैं और उन्हें रिहा करने से कानून-व्यवस्था की कोई गंभीर समस्या खड़ी नहीं हो सकती। सूबे के जेलों में ऐसे कैदियों की संख्या करीब 6000 है।
राज्य सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट द्वारा देशभर की जेलों में बंद कैदियों के बारे में लिए स्वत: संज्ञान के बाद इस मुद्दे पर विचार शुरु किया है। इस संबंध में सरकार को सुप्रीम कोर्ट में जवाब भी दाखिल करना है। पंजाब के जेल मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने इस मुद्दे पर सहमति जताई है कि मामूली अपराधों में सजा पाए लोगों को रिहा करने पर विचार किया जा सकता है।
ऐसे कैदियों के बारे में उदाहरण देते हुए जेल मंत्री ने कहा कि दो-ढाई ग्राम हेरोइन या अन्य ड्रग रखने के दोषी कैदियों को रिहा किया जा सकता है। लेकिन ऐसे कैदी जिन्हें रिहा किए जाने से कानून-व्यवसथा की स्थिति पर बुरा असर पड़ सकता है, उन जेलों में ही बंद रखा जाएगा। उनका कहना है कि पंजाब की जेलों में कैदियों को रखने की कुल क्षमता लगभग 23000 कैदी हैं, लेकिन इस समय जेलों में 24600 कैदी बंद हैं।
उन्होंने कहा कि कोरोना वायरस के खतरे को देखते हुए जेलों में भीड़ जैसी स्थिति से निपटने के लिए ही इस उपाय पर विचार किया जा रहा है। जेल मंत्री ने कहा कि इस संबंध में मुख्यमंत्री को भी जानकारी दे दी गई है कि जल्द ही कोरोना की रोकथाम संबंधी मंत्री समूह की बैठक में इस मुद्दे पर विचार होगा।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि जेलों में बंद कैदियों को सजा अदालतों द्वारा सुनाई गई है और राज्य सरकार उन्हें रिहा करने के मुद्दे पर अदालती अनुमति को ज्यादा अहमियत देगी। अन्य कैदियों का जिक्र करते हुए जेल मंत्री ने कहा कि स्नेचिंग और जेब काटने के दोष में सजा काट रहे कैदियों को इस आधार पर रिहा किया जा सकता कि वे सुबह-शाम जेल में पहुंचकर हाजिरी दें।
जेल मंत्री ने कहा कि जेलों में बंद नशेड़ी जिन्हें नशीले पदार्थों के साथ पकड़े जाने के कारण सजा हुई है, उन्हें मौजूदा हालात में जेलों से रिहा करना बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि देखा गया है कि नशे के आदी लोग शारीरिक तौर पर बहुत कमजोर होते हैं और इन्हें रोग भी जल्दी पकड़ते हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे कैदियों को जेलों से रिहा कर दिया जाना जरूरी है ताकि अन्य कैदियों को कोई नुकसान न हो।