जयपुर: राजस्थान की राजधानी जयपुर के ग्रेटर नगर निगम में सियासत गरमा रही है। दरअसल, नगर आयुक्त से हाथापाई के मामले में गहलोत सरकार ने जयपुर ग्रेटर मेयर सौम्या गुर्जर और भाजपा के तीन पार्षदों को निलंबित कर दिया। मेयर ने सरकार पर काम नहीं करने देने का आरोप लगाया। साथ ही, मामले को अदालत में ले जाने की धमकी दी।
यह है पूरा मामला
जानकारी के मुताबिक, डोर टु डोर कूड़ा उठाने के मुद्दे पर मेयर सौम्या गुर्जर और नगर आयुक्त यज्ञमित्र देव सिंह के बीच शुक्रवार (4 जून) को बैठक हुई थी। उस दौरान भुगतान के मुद्दे पर दोनों में तकरार हो गई। नगर आयुक्त का आरोप है कि जब वह बैठक छोड़कर जाने लगे तो भाजपा के तीन पार्षदों ने उनसे अभद्र व्यवहार किया। साथ ही, मारपीट भी की। बताया जा रहा है कि नगर आयुक्त ने तीनों पार्षदों के खिलाफ थाने में शिकायत दी, जिसके आधार पर एफआईआर दर्ज हुई।
इस मामले में गहलोत सरकार ने जांच कराई, जिसके बाद रविवार (6 जून) देर रात स्वायत्त शासन विभाग ने मेयर सौम्या गुर्जर, भाजपा पार्षद अजय सिंह चौहान, पारस जैन और शंकर शर्मा को निलंबित कर दिया विभाग की ओर से जारी निलंबन आदेश में लिखा है कि मेयर सौम्या गुर्जर की मौजूदगी में आयुक्त नगर निगम जयपुर ग्रेटर से अभद्र भाषा का इस्तेमाल हुआ। सरकारी काम में बाधा डाली गई। मेयर की मौजूदगी में सरकार काम में बाधा डाली गई। पार्षदों ने मारपीट और धक्का-मुक्की की। साथ ही, अभद्र भाषा का इस्तेमाल भी किया जांच अधिकारी ने इस मामले में सौम्या गुर्जर को जिम्मेदार और दोषी माना।
बताया जा रहा है कि सरकार ने सौम्या गुर्जर के खिलाफ राजस्थान नगर पालिका अधिनियम 2009 की धारा 39 (3) के तहत न्यायिक जांच कराने का फैसला किया। आदेश में लिखा है कि सौम्या गुर्जर अगर मेयर पद रहती हैं तो न्यायिक जांच प्रभावित हो सकती है। मेयर को वॉर्ड संख्या 87 के पार्षद पद से भी निलंबित कर दिया गया।
गौरतलब है कि भाजपा मेयर सौम्या गुर्जर और जयपुर नगर निगम आयुक्त के बीच पहले भी कई बार तकरार हो चुकी है। दरअसल, मेयर सौम्या गुर्जर ने कमिश्नर यज्ञमित्र देव सिंह पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। सौम्या गुर्जर ने कहा था कि आयुक्त अपनी पत्नी के साथ मिलकर जेबें भर रहे हैं। अब बैठक में भुगतान को लेकर बहस हुई तो कमिश्नर ने मेयर के खिलाफ केस दर्ज करा दिया।