रामनवमी को लेकर एक बार फिर ममता सरकार और बीजेपी-वीएचपी (विश्व हिंदू परिषद) आमने-सामने हैं। बीजेपी और वीएचपी का कहना है कि वे हथियार लेकर रामनवमी का जुलूस निकालेंगे।
वहीं, पश्चिम बंगाल सरकार का कहना है कि इसकी इजाजत नहीं जाएगी। राज्य सरकार ने रामनवमी उत्सव के दौरान हथियारों के सार्वजनिक प्रदर्शन पर रोक लगाने की घोषणा कर दी है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार (20 मार्च) को रामनवमी के जुलूस में हथियार ले जाने की अनुमति न देने की बात कही थी। हुगली में एक आधिकारिक बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने पुलिस को सतर्कता बढ़ाने और शांति-व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश दिया था।
ममता ने प्रशासनिक अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, ‘सांप्रदायिक घटना को कतई नजरअंदाज न करें। इसका तत्काल संज्ञान लें।’ ममता ने कहा कि पूर्व अनुमति के बाद ही जुलूस निकाला जा सकता है, वह भी बिना हथियार के।
दूसरी तरफ, बीजेपी और वीएचपी ने कहा कि वे लंबे समय से चली आ रही परंपरा को निभाएंगे और उस दिन जुलूस जरूर निकालेंगे। देश भर में 25 मार्च को रामनवमी का उत्सव मनाया जाएगा।
भाजपा नेता बोले- हथियार लेकर जुलूस में हों शामिल
बीजेपी के पश्चिम बंगाल अध्यक्ष दिलिप घोष ने ममता सरकार के फैसले का खुलेआम विरोध किया है। हावड़ा में पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ‘रामनवमी के जुलूस में शामिल होने वाले लोग परंपरा के अनुसार अपने साथ हथियार लाएं। मैं ऐसे ही एक जुलूस में गदा लेकर जाऊंगा।’
कोलकाता पुलिस ने जनवरी में रामनवमी के दौरान हथियार पर पाबंदी लगाने की बात कही थी। उस वक्त भी दिलिप घोष ने हथियार के साथ जुलूस में शामिल होने की बात कही थी। दिलचस्प है कि कुछ दिनों पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की पश्चिम बंगाल इकाई ने रामनवमी के जुलूस में हथियार के साथ शामिल न होने की बात कही थी।
हालांकि, कई दक्षिणपंथी संगठनों का कहना है कि रामनवमी में शस्त्र रैली निकलाने की लंबे समय से परंपरा रही है। बता दें कि सीएम ममता भाजपा और आरएसएस पर सांप्रदायिक तनाव पैदा करने का आरोप लगाती रहती हैं।
पिछले साल भी रामनवमी के जुलूस में स्थिति तनावपूर्ण हो गई थी। हालात सामान्य करने के लिए पुलिस और प्रशासन को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी।