राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सलाह दी है कि बीजेपी को दिल्ली में संगठन का पुनर्गठन करना चाहिए क्योंकि राज्यों के चुनावों में पीएम नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हमेशा जीत नहीं दिला सकते हैं।
संघ के अंग्रेजी मुखपत्र ऑर्गेनाइजर में छपे संपादकीय में दिल्ली विधानसभा चुनाव 2020 में बीजेपी की रणनीति को दोषपूर्ण बताया गया है। दिल्ली में 8 फरवरी को मतदान हुआ और 11 फरवरी को मतगणना में आम आदमी पार्टी ने 62 सीटों पर जीत दर्ज की।
वहीं, ध्रुवीकरण और आक्रामक प्रचार के बाद भी बीजेपी को 70 सदस्यीय विधानसभा में महज 8 सीटों से संतोष करना पड़ा।
ऑर्गेनाइजर के संपादक प्रफुल्ल केतकर ने लेख में लिखा है कि दिल्ली में विचारधारा और नजरिये की लड़ाई थी। पूरे चुनाव में सीएम अरविंद केजरीवाल और उनकी सरकार के खिलाफ कोई माहौल नहीं था। उनकी सरकार को बिजली और पानी बिल में कटौती का बड़ा फायदा मिला। इस पर बीजेपी ने दिल्ली की 1,700 अवैध कॉलोनियों को वैध घोषित कर करीब 40 लाख लोगों को फायदा पहुंचाया।
लेख में बीजेपी की हार के दो प्रमुख कारण बताए गए हैं। पहला, 2015 के बाद दिल्ली में बीजेपी ने जमीनी स्तर पर मेहनत नहीं की और दूसरा प्रचार अभियान आखिरी समय में शुरू किया गया। इसीलिए बीजेपी चुनाव में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाई।
केतकर ने लेख में कई सवाल भी उठाए हैं। उन्होंने पूछा है कि अन्य राज्यों के मुकाबले दिल्ली में अलग-अलग चुनावों में मत-प्रतिशत अलग क्यों रहता है?
उन्होंने खुद ही इसका जवाब भी दिया है कि दिल्ली में लोगों का नजरिया बदल रहा है। लोगों की सरकार से अपेक्षाएं बदल रही हैं। पारंपरिक तौर पर जनसंघ के दौर से दिल्ली में बीजेपी का आधार काफी मजबूत रहा है, जो अब भी पार्टी के समर्थक हैं। दूसरे राज्यों से आए और झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोग छूट योजनाओं के चलते पहले कांग्रेस के वोट बैंक में तब्दील हो गए।
लेख में जोर देकर कहा गया है कि आप के उभार के साथ कांग्रेस के पारंपरिक मध्य वर्गीय वोट बैंक को छोड़कर झुग्गी बस्तियों में रहने वाले ज्यादातर मतदाता नई पार्टी के साथ जुड़ गए।
आर्गेनाइजर ने केजरीवाल पर उठाए कई सवाल आर्गेनाइजर के संपादकीय के मुताबिक, आप ने शाहीन बाग का बहुत ही शानदार तरीके से फायदा उठाया।
लेख में शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन को मुस्लिम कट्टरवाद करार दिया गया है।
इसमें कहा गया है कि अरविंद केजरीवाल के लिए ये नया टेस्टिंग ग्राउंड बन गया। इसमें अरविंद केजरीवाल के सॉफ्ट हिंदुत्व की तरफ बढ़ते रुझान के उद्देश्य पर भी सवाल उठाया गया है।
साथ ही पूछा गया है कि क्या भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन से उभरी पार्टी अब भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठा पाएगी। लेख में कहा गया है कि ऐसे ही कई सवाल हैं, जो अब दिल्ली के लोग केजरीवाल से पूछेंगे।