यूं तो गत अनेक वर्षों से विश्व के अधिकांश देशों की भांति भारत में भी 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योगदिवस के अवसर पर नागरिकों का उत्साह देखते ही बनता है परन्तु इस वर्ष देश की जनता योगदिवस की अधीरता से प्रतीक्षा कर रही थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कुछ दिन पूर्व ही राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में अंतर्राष्ट्रीय योगदिवस की शुभ तिथि से देश में कोरोना टीकाकरण के महाअभियान के शुभारंभ की घोषणा की थी।कोरोना की दूसरी लहर की भयावहता से त्रस्त लोगों को प्रधानमंत्री के उस संबोधन से उम्मीद की एक नई किरण दिखने की अनुभूति हुई थी यद्यपि कहीं न कहीं उनके मन में यह संशय भी बना हुआ था कि कोरोना टीकाकरण का यह महाअभियान क्या सच्चे अर्थों में एक महा अभियान साबित हो सकेगा किंतु महा अभियान के पहले दिन ही 78 लाख से अधिक लोगों के टीकाकरण की खुशखबरी ने लोगों के मन में अब यह भरोसा पैदा कर दिया है कि प्रधानमंत्री मोदी की पहल पर संपूर्ण देश में एक साथ प्नारंभ हुआ कोरोना टीकाकरण का महाअभियान अपने लक्ष्य और उद्देश्य को निश्चित समय सीमा के अंदर अर्जित करने में निःसंदेह सफल होगा। जब देश के वैज्ञानिक बार बार एकमत से कोरोना की तीसरी लहर कोअवश्यंभावी बता रहे हों तब कोरोना टीकाकरण के इस महाअभियान ने निश्चित रूप से लोगों को न केवल राहत की सांस लेने का सुखद अवसर प्रदान किया है बल्कि इससे अब उन्हें कोरोना की तीसरी लहर में अपने पास एक विशिष्ट सुरक्षा कवच होने का अहसास भी हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी निःसंदेह इस महाअभियान के लिए साधुवाद के पात्र हैं।
प्रधानमंत्री ने सातवें अंतर्राष्ट्रीय योगदिवस के अवसर पर अपने संदेश में कोरोना संकट से निपटने में योग की महत्ता प्रतिपादित करते हुए कहा है कि जब दुनिया में अदृश्य वायरस ने दस्तक दी तब कोई इसके प्रकोप का सामना करने के लिए किसी भी देश के पास न तो पर्याप्त संसाधन थे और न ही इतनी भयावह विपदा का सामना करने की सामर्थ्य थी तब योग ने उन्हें आत्म बल प्रदान किया। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री मोदी की पहली पर ही संयुक्त राष्ट्र ने प्रति वर्ष 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योगदिवस मनाए जाने का प्रस्ताव पारित किया था । देश में 7वें योग दिवस के अवसर पर कोरोना टीकाकरण महाअभियान की शुरुआत करके प्रधानमंत्री मोदी ने दुनिया के दूसरे देशों को यहां संदेश दिया है कि कोरोना संकट की भयावहता से उपजी निराशा पर काबू पाने में योग महत्वपूर्ण भूमिका निभाने में समर्थ है। प्रधानमंत्री की इस घोषणा से भी कोरोना संकट से जूझती दुनिया को राहत की अनुभूति होगी कि निकट भविष्य में संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन के सहयोग से भारत अंतर्राष्ट्रीय जगत को एम योगा एप की सौगात देने जा रहा है । दुनिया की अनेक भाषाओं में तैयार इस एप के माध्यम से दूसरे देशों को कामन योग प्रोटोकॉल के तहत योग प्रशिक्षण की सुविधा उपलब्ध कराने की भारत की यह महत्वाकांक्षी योजना दुनिया भर में योग को और लोकप्रिय बनाएगी। इस एप के माध्यम से दुनिया यह जान सकेगी कि महामारी के दौर में आत्म बल को अक्षुण्ण बनाए रखने में योग कितना महत्वपूर्ण है।
कोरोना टीकाकरण महाअभियान के पहले दिन देश भर में 85 लाख लोगों का टीकाकरण अपने आप में एक रिकार्ड है। कोरोना का टीका लगवाने के लिए जिस तरह पहले दिन ही बड़ी संख्या में लोगों ने स्वयं ही टीकाकरण केंद्रों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई वह उनकी जागरूकता की परिचायक थी । अतीत में लोगों के मन में टीके के काल्पनिक पार्श्व प्रभावों को लेकर जो भय बना हुआ था वह भी अब दूर होने लगा है । लोगों की गलतफहमियां दूर कर उन्हें टीका लगवाने के लिए प्रेरित करने में निश्चित रूप से प्रशासन,स्वयंसेवी संगठनों , धर्म गुरुओं और समाज के प्रतिनिधियों की पहल निश्चित रूप से सराहनीय है और यह टीकाकरण के लक्ष्य को समय सीमा के अंदर पूरा करने में सहायक सिद्ध होगी । देश में जब पहली बार सरकार ने टीका उत्सव की शुरुआत की थी तब टीकों की पर्याप्त उपलब्धता के अभाव की खबरों ने सरकार को आलोचना सहने के लिए विवश कर दिया था। क ई राज्यों में टीकाकरण केंद्रों पर टीकों की व्यवस्थित आपूर्ति न होने से कुछ टीकाकरण केंद्र बंद करने की नौबत भी आ गई थी। उन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ही केंद्र सरकार ने यह फैसला किया कि अब टीका निर्माता कंपनियों से 75 प्रतिशत टीके खरीद कर वह राज्य सरकारों को उनकी मांग के अनुसार उपलब्ध कराएगी। इसमें कोई संदेह की गुंजाइश नहीं है कि यदि राज्य सरकारों की मांग और केंद्र सरकार द्वारा उन्हें की जाने वाली आपूर्ति में संतुलन बना रहता है तो भारत का यह टीकाकरण महाअभियान सारी दुनिया के सामने एक मिसाल पेश करने में समर्थ होगा।
कोरोना टीकाकरण महाअभियान के पहले दिन मध्यप्रदेश में सर्वाधिक 16 लाख चौहत्तर हजार के लगभग टीके लगाए गए हैं जो देश में पहले दिन हुए कुल टीकाकरण का 20 प्रतिशत से भी अधिक है और इसका मुख्य श्रेय पाने के अधिकारी राज्य के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान हैं जो कोरोना की दूसरी लहर के दौरान निरंतर राज्य की जनता के संपर्क में रहे और समय समय पर अपने संदेशों के माध्यम से उन्हें कोविड प्रोटोकॉल का पालन करने के लिए प्रेरित करते रहे। कोरोना की दूसरी लहर के दौरान जब मध्यप्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे थे तब मुख्यमंत्री के सक्रिय प्रयासों से ही राज्य में स्थिति को काबू में लाने में सफलता मिली और संक्रमण के मामलों में मध्यप्रदेश 5 से 15 वें स्थान पर पहुंच गया। मध्यप्रदेश में जिस तरह कोरोना संक्रमण से निपटने की शिवराज सरकार की रणनीति दूसरे राज्यों के लिए एक मिसाल बन गई थी उसी तरह कोरोना टीकाकरण महाअभियान को मध्यप्रदेश में सफल बनाने के लिए कृत-संकल्प मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की रणनीति भी अन्य प्रदेशों के लिए मिसाल बन चुकी है।
अतीत में विकास के शिवराज माडल को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की दूसरी राज्य सरकारों के अनुकरणीय बताया था और आज टीकाकरण की शत-प्रतिशत सफलता सुनिश्चित करने वाली मध्य प्रदेश सरकार की रणनीति दूसरे राज्यों के आदर्श बन गई है। दरअसल मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की कार्यशैली ही कुछ ऐसी है जो हर अभियान में उनकी सफलता पहले ही सुनिश्चित कर देती है कोरोना टीकाकरण महाअभियान के पहले दिन प्रदेश के तीन स्थानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और लोगों टीके लगवाने के लिए प्रेरित और प्रोत्साहित किया। उनका पहला मुकाम दतिया था जहां उन्होंने मां पीतांबरा के मंदिर में पूजा अर्चना कर राज्य में टीकाकरण अभियान की सफलता के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया । इसके बाद वे एक समीपस्थ ग्राम में लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित करने हेतु आयोजन में शामिल हुए। दोपहर में उन्होंने भोपाल के अन्ना नगर तथा शाम को अपने निर्वाचन क्षेत्र बुधनी का दौरा भी किया। हर जगह मुख्यमंत्री की अपील का लोगों पर विशेष प्रभाव परिलक्षित किया गया और उसके बाद समीपस्थ टीकाकरण केंद्रों पर लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। टीकाकरण महाअभियान को सफल बनाने के लिए पहले दिन ही मध्यप्रदेश की जनता ने जो उत्साह प्रदर्शित किया है उससे मुख्यमंत्री का अभिभूत होना स्वाभाविक है और उन्होंने इसे जन भागीदारी का अद्भुत माडल बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी के प्रति आभार व्यक्त किया है।
देश में दो तीन महीनों के अंदर कोरोना की तीसरी लहर के दस्तक देने की जो आशंकाएं व्यक्त की जा रही हैं उसने भी लोगों को टीका लगवाने के लिए प्रेरित किया है । यह इस बात का भी परिचायक है कि लोगों में कोरोना संकट को लेकर जागरूकता बढ़ी है और वे अब दूसरों को भी टीका लगवाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। यह सिलसिला निरंतर जारी रहना चाहिए। सबसे बड़ी बात यह है कि टीका लगवाने के बाद कोविड प्रोटोकॉल की अनदेखी करने से बचना होगा। कोरोना का टीका हमें संक्रमण के विरुद्ध सुरक्षा कवच अवश्य प्रदान करता है परंतु इसका यह अर्थ कतई नहीं है कि हम कोरोना संकट से पूरी तरह मुक्त हो गए हैं। जब तक दुनिया से कोरोना का नामोनिशान ही नहीं मिट जाता तब तक हमें सतर्क रहना होगा।
कृष्णमोहन झा/
(लेखक IFWJ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और डिज़ियाना मीडिया समूह के सलाहकार है)