अपने ही स्टेडियम में खेलेगा भारतीय खिलाड़ी, अबतक टीम इंडिया ने नहीं दिया है मौका
बंगाल के रणजी कप्तान अभिमन्यु ईश्वरन देहरादून में अपने ही नाम के स्टेडियम में खेलने उतरेंगे. पिता ने 2006 में बनवाया था स्टेडियम, मंगलवार से उत्तराखंड-बंगाल का रणजी मैच.
भारतीय क्रिकेटर अभिमन्यु ईश्वरन भले ही अबतक टीम इंडिया के लिए डेब्यू नहीं कर पाए हैं लेकिन मंगलवार को रणजी ट्रॉफी में वो एक बहुत ही खास लम्हे को अनुभव करने वाले हैं. रणजी ट्रॉफी में बंगाल की कप्तानी कर रहे अभिमन्यु ईश्वरन देहरादून में उत्तराखंड के खिलाफ मैच खेलने उतरेंगे. दिलचस्प बात ये है कि जिस मैदान पर ये मुकाबला होगा वो उनके ही नाम पर है. मैच देहरादून स्थित अभिमन्यु क्रिकेट अकादमी स्टेडियम में होगा जो कि उनके पिता रंगनाथन परमेश्वरन ईश्वरन ने साल 2006 में बनवाया था.
अभिमन्यु के पिता ने साल 2005 में देहरादून में एक बड़ी जमीन खरीदी और प्रथम श्रेणी क्रिकेट स्टेडियम बनाने के लिए अपनी जेब से काफी पैसा खर्च किया. अब उनका बेटा अपने ही मैदान पर रणजी ट्रॉफी खेलता नजर आएगा. अभिमन्यु ईश्वरन ने इस लम्हे को बेहद ही खास बताया.
डेब्यू से पहले ही अभिमन्यु ईश्वरन के नाम पर स्टेडियम
ईश्वरन ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘ मेरे लिए एक ऐसे मैदान पर रणजी मैच खेलना गर्व का क्षण है जहां मैंने एक युवा खिलाड़ी के रूप में क्रिकेट का ककहरा सीखा है. ये स्टेडियम मेरे पिता के जज्बे और कड़ी मेहनत का नतीजा है. घर आकर हमेशा अच्छा एहसास होता है लेकिन एक बार जब आप मैदान पर होते हो तो ध्यान बंगाल के लिए मैच जीतने पर होता है.’ संन्यास के बाद दिग्गज क्रिकेटरों के नाम पर स्टेडियम का नामकरण कोई नई बात नहीं है लेकिन ऐसे ज्यादा उदाहरण नहीं हैं जहां नेशनल टीम में डेब्यू से पहले ही किसी सक्रिय फर्स्ट क्लास क्रिकेटर के नाम पर क्रिकेट स्टेडियम हो.
अभिमन्यु को देश के लिए 100 टेस्ट खेलते देखना चाहते हैं पिता
विव रिचर्ड्स, ब्रायन लारा, एलेन बॉर्डर जैसे दिग्गजों के नाम पर स्टेडियम बने हुए हैं लेकिन करियर खत्म होने के बाद इन खिलाड़ियों के नाम पर ये स्टेडियम बने. ईश्वरन के नाम तो इंटरनेशनल करियर शुरू होने से पहले ही स्टेडियम है. बता दें इस स्टेडियम में बहुत सारे घरेलू मैच आयोजित किए जा रहे हैं, लेकिन इससे पहले कभी भी स्टेडियम के मालिक ने खुद फर्स्ट क्लास का कोई मैच नहीं खेला है.
आरपी ईश्वरन ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘हां, मुझे नहीं लगता कि ऐसे कई उदाहरण हैं, लेकिन मेरे लिए यह कोई उपलब्धि नहीं है. हां, यह अच्छा लगता है लेकिन असली उपलब्धि तब होगी जब मेरा बेटा भारत के लिए 100 टेस्ट खेल सके. मैंने यह स्टेडियम सिर्फ अपने बेटे के लिए नहीं बल्कि खेल के प्रति अपने जुनून के लिए बनाया है.’पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट आरपी ईश्वरन ने 1988 में भी अभिमन्यु क्रिकेट अकादमी की शुरुआत की थी जबकि उनके बेटे का जन्म 1995 में हुआ था. उन्होंने कहा, ‘मैंने 2006 में इसे बनवाना शुरू किया था और मैं अभी भी इसे लगातार अपग्रेड करने के लिए अपनी जेब से खर्च कर रहा हूं. इससे मुझे कोई आर्थिक फायदा नहीं है लेकिन यह खेल के प्रति मेरे जूनून के लिए है.’