नई दिल्ली : महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सूबे में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ 2014 के चुनावी हलफनामे में कथित तौर पर गलत जानकारी देने के लिए मुकदमा चलाने की मंजूरी दे दी है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 23 जुलाई को फैसला सुरक्षित रख लिया था।
फडणवीस पर आरोप है कि उन्होंने 2014 के विधानसभा चुनाव के दौरान दिए गए हलफनामे में अपने खिलाफ चल रहे 2 आपराधिक मामलों की जानकारी नहीं दी थी। इस मामले में फडणवीस को ट्रायल कोर्ट और बॉम्बे हाई कोर्ट से राहत मिल चुकी थी लेकिन सीजेआई रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और अनिरूद्ध बोस की बेंच ने उन्हें मिली क्लीन चिट को रद्द कर दिया। फडणवीस ने अपने हलफनामे में उन मामलों का जिक्र किया था जिनमें निचली अदालत आरोप तय कर चुकी थी।
क्या है मामला
वकील सतीश उके ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि 2014 के विधानसभा चुनाव में अपना नामांकन दाखिल करते समय फडणवीस ने जानकारियां छिपाई थीं। उन्होंने याचिका में आरोप लगाया था कि फडणवीस ने नागपुर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में अपने खिलाफ दो आपराधिक मामलों के लंबित होने की जानकारी छिपाई थी।
याचिकाकर्ता की दलील थी कि ऐसा करके फडणवीस ने जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 125 ए का उल्लंघन किया है। इस संबंध में निचली अदालत और हाई कोर्ट ने कहा था कि पहली नजर में फडणवीस के खिलाफ कोई मामला नहीं बनता है। उके की दलील थी कि प्रत्याशी के लिए सभी आपराधिक मामलों की जानकारी देना कानूनी रूप से अनिवार्य है।
फडणवीस को यह झटका महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से ठीक पहले लगा है। 288 सदस्यों वाली महाराष्ट्र विधानसभा के लिए 21 अक्टूबर को वोटिंग होगी। चुनाव के लिए सभी दल कमर कस चुके हैं और अपने-अपने उम्मीदवारों के नामों को तय करने और लिस्ट जारी करने में लगे हैं। महाराष्ट्र में मुख्य मुकाबला बीजेपी-शिवसेना गठबंधन और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन के बीच है।