खंडवा : खालवा के राजपुरा बखार गाँव में खेत किनारे मिली नवजात के स्वास्थ्य में सुधार हो रहा है। शिशु विशेषज्ञ व नर्सें उपचार में लगे हुए हैं। उसे आक्सीजन पर रखा गया है। पेट व शरीर पर कीड़ों के काटने से बने घावों पर डाक्टरों का ज्यादा फोकस है। नवजात को किसी तरह का खतरा नहीं है। समाजसेवियों द्वारा इंदौर तक उपचार कराने की मांग पर विशेषज्ञ डा. कृष्णा वास्कले ने कहा कि इंदौर जैसी उपचार सुविधाएँ खंडवा में भी उपलब्ध हैं। उसे इस परिस्थिति में आक्सीजन से नहीं हटाया जा सकता।
आपको बता दें, शुक्रवार को डायल-100 ने खालवा अस्पताल नवजात को भिजवाया था। वहां से खंडवा के नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती करते ही उच्च स्तरीय उपचार शुरू हो गया। वह रात भर खेत में पड़ी रही। घटना बखार (खालवा) की है। विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात को किसी तरह की समस्या नहीं है।
निर्दयी माँ का वीभत्स चेहरा उजागर होना जरूरी
चिकित्सक व नर्सों की टीम नवजात के जख्म भरने में दिन-रात एक कर रही है। सैकड़ों हाथ नवजात को इसी हालात में एडाप्ट करने के लिए तरस रहे हैं। दुनिया भी इतनी बुरी नहीं है,जैसे नवजात की निर्दयी माँ और परिजन सोच रहे होंगे। फीमेल के प्रति अब वह सोच समाज में नहीं है। फिर क्यों नवजात को आँख खोलते ही खेत में खतरनाक कीड़ों के हवाले कर दिया? सवाल यह भी उठता है कि यह बच्ची अवैध संतान का संताप मां के पेट में भी नौ महीने झेलती रही होगी। समाज के डर से मां और परिजनों ने इस वीभत्स कांड को अंजाम दे डाला होगा। माँ की सजा नवजात भला क्यों भुगते? इस कांड का खालवा पुलिस को पता लगाना होगा, ताकि निर्दयी और वीभत्स चेहरे उजागर हो सकें। उन्हें ऐसी सजा मिले, जो सजा बेकसूर नवजात ने भुगती होगी।
समाजसेवी सुनील जैन ने मामले की सूचना मिलते ही खंडवा अस्पताल पहुंचकर डाक्टरों चर्चा कर दोनों बच्चियों के स्वास्थ्य की जानकारी ली। सुनील जैन ने बताया कि नवजात स्वस्थ्य व सुंदर है। कई दंपत्तियों के फोन लगातार आ रहे हैं। वे इसे गोद लेना चाहते हैं। एक ओर जहां ऐसी निर्दयी मां जो नौ महीने अपने कोख में रखकर बच्चियों को जन्म तो देती है लेकिन जन्म के बाद उसे मरने के लिए झाडिय़ों व नाले में फेंक देती है। वहीं कई ऐसे दंपत्ति है जिन्हें औलाद का सुख नसीब नहीं हो रहा है वे ऐसी बच्चियों को पालने के लिए बैचेन है। लेकिन कानूनी पेचीदगियों के चलते यह संभव नहीं है। बच्ची को स्वस्थ्य होने पर उचित स्थान पर भेजा जाएगा। आन लाइन आवेदन के बाद ही अदालत उसे गोद देने का निर्णय ले सकती है।
एसएनसीयू में अब दो नवजात हो गए हैं। एक सप्ताह पहले भी अस्पताल में एक महिला चीराखदान का पता लिखवाकर बच्ची को भर्ती करने के बाद फरार हो गई थी। महिला नर्सों से कहकर गई थी कि बच्ची की मां को लेकर आती हूं। इसके बाद वह लौटी नहीं। न ही समाजसेवियों ने उसे खोजने की कोशिश की। कारण बताया जा रहा है कि महिला को खोजकर जबरदस्ती नवजात सौंपी गई, तो इसके और भी दुष्परिणाम हो सकते हैं। फिलहाल दोनों नवजात का उपचार डाक्टर व नर्सें कर रहे हैं। समाजसेवी समय समय पर बाहरी सुविधाएं उपलब्ध करवा रहे हैं। फिलहाल खालवा पुलिस को भी बखार में नवजात के निर्दयी परिजनों का सुराग नहीं मिला है।