सरकार प्रदेश में बेहतर चिकित्सा सुविधाओं का दावा भले ही कर ले, लेकिन हकीकत कुछ और नजर आती है। अब इलाज के अभाव में एक मासूम की मौत का ताजा मामला सामने आया है।
राजस्थान के बारां जिले में उपचार के अभाव में एक मासूम बच्चे ने आज दम तोड़ दिया। इस दौरान बच्चे को अस्पताल तक पहुंचाने और मौत होने के बाद उसे घर तक पहुंचाने की व्यवस्था करने से डॉक्टरों ने हाथ खड़े कर दिए। आखिर परिजन उसे कांधे पर लेकर कई किलोमीटर तक पैदल भटकते रहे।
बारां जिले के चौराखाडी निवासी राजेश के सात महीने के बेटे सन्नी की आज सुबह तबियत बिगड़ गई। परिजन के अनुसार उसे सर्दी-जुकाम की शिकायत थी। जब वे उसे लेकर शाहबाद अस्पताल पहुंचे तो वहां तैनात डॉक्टर की ड्यूटी खत्म हो चुकी थी। इसके बाद परिजन उसे चिकित्सक के सरकारी आवास पहुंचे, लेकिन वहां देखने से डॉक्टर ने मना कर दिया। कई बार मिन्नतें करने के बाद भी डॉक्टर का दिल नहीं पसीजा। ज्यादा करने पर उसे बारां ले जाने या फिर शाम को पांच बजे आने की कहकर टरका दिया।
इस भगवान न आई दया
परिजन इसके बाद वे अस्पताल में डिस्चार्ज टिकट के लिए इंतजार करते रहे ताकि एंबुलैंस की सुविधा मिल सके। वह व्यवस्था भी नहीं हुई तो परिजन बीमार बालक को लेकर बारां के लिए रवाना हो गए।
बताया जा रहा है कि बारां पहुंचने से पहले ही बालक की सांसे थम गई। इस पर बीच रास्ते से पिता बच्चे के शव को कांधे पर लेकर घर के लिए रवाना हो गया। पीछे—पीछे उसकी मां और अन्य पूरे रास्ते परिजन विलाप करते हुए चल रहे थे। करीब 6 किमी. पैदल चलने के बाद एक राहगीर की उन पर नजर पड़ी। उसका दिल पसीज गया और उसने अपनी कार से इस परिवार को घर तक छोड़ा।