विजयादशमी पर रावण का पुतला जलाया जाता है। ये तो आपने भी सुना, देखा होगा। लेकिन देशभर में सिर्फ भगवान राम की ही पूजा नहीं होती है। भारत में ऐसी कई जगहें हैं, जहां रावण की पूजा की जाती है। जानिए देश की उन जगहों के बारे में।
मध्यप्रदेश के विदिशा जिले के गांव में राक्षसराज रावण का मंदिर है। मध्यप्रदेश के ही मंदसौर नगर के खानपुरा क्षेत्र में रावण रूण्डी नाम के स्थान पर रावण की विशाल मूर्ति है।
कहा जाता है रावण मंदसौर (दशपुर) का दामाद था। रावण की पत्नी मंदोदरी की वजह से ही दशपुर मंदसौर के नाम से जाना जाता है।
कर्नाटक के कोलार जिले में भी रावण की पूजा की जाती है। यहां के लोग रावण की पूजा इसलिए करते हैं क्योंकि वह भगवान शिव का भक्त था। यहां के मंडया जिले के मालवल्ली तहसील में रावण का मंदिर है।
उत्तर प्रदेश के कानपुर के शिवाला में रावण का दशानन मंदिर है। दशानन मंदिर में रावण की पूजा शक्ति के प्रतीक के रूप में होती है। ये मंदिर 1890 में बनाया गया था।
इसके द्वार साल में एक बार सिर्फ दशहरे की सुबह खोले जाते हैं। शाम को मंदिर के दरवाजे एक साल के लिए बंद हो जाते हैं।
राजस्थान के जोधपुर को रावण का विवाह स्थल माना जाता है। यहां रावण और मंदोदरी के विवाह स्थल पर रावण की चवरी नाम से एक छतरी मौजूद है।
हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में बैजनाथ कस्बा शिवनगरी के नाम से मशहूर है। यहां के लोग रावण का पुतला जलाने को महापाप मानते हैं।
मान्यता है कि रावण ने कुछ साल बैजनाथ में भगवान शिव की तपस्या की थी। जिससे मोक्ष का वरदान पाया था।
ग्रेटर नोएडा के बिसरख गांव में दशहरे के दिन माहौल खुशहाल नहीं बल्कि गमगीन रहता है। यहां के लोगों का मानना है कि रावण का जन्म इसी गांव में हुआ था। ऐसे में यहां दशहरे के दिन लोग न तो पूजन करते हैं और ना इस गांव में रामलीला का मंचन।
यहां रावण का पुतला भी नहीं जलाया जाता। बिसरख गांव में रहने वाले लोग प्राचीन समय से ही दशहरा नहीं मनाते हैं। कहा जाता है कि इस गांव में लंकापति राजा रावण के पिता ऋषि विश्रवा रहते थे।