लॉस एंजिल्स- इस्लामिक स्टेट के आतंकियों की कैद में बलात्कार और प्रताडऩाएं झेलने के बाद वहां से बच निकलने में सफल रही एक इराकी युवती को मानव तस्करी के चंगुल से बचने वाले लोगों के सम्मान में संयुक्त राष्ट्र का सद्भावना दूत बनाया गया है।
नादिया मुराद बसी ताहा नामक 23 वर्षीय यजीदी युवती ने जिहादी समूह के पीडि़तों के लिए इंसाफ का आव्हान किया और कहा कि 2014 में यजीदी लोगों पर किए गए हमले को जनसंहार करार दिया जाना चाहिए।
नादिया को इराक के उत्तरी शहर सिंजर के पास स्थित उनके गांव कोचो से अगस्त 2014 में उठा कर आईएस के नियंत्रण वाले मोसुल में ले आया गया था। वहां उसके साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और उसे कई बार खरीदा-बेचा गया।
नादिया ने संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय पर आयोजित एक समारोह में कहा कि वह जिस तरह चाहते थे, उस तरह से मेरा इस्तेमाल करते थे। मैं अकेली नहीं थी। उन्होंने कहा कि मैं शायद सौभाग्यशाली थी। समय बीतने के साथ, मैंने भाग निकलने का रास्ता खोज लिया जबकि हजारों अन्य ऐसा नहीं कर पाईं।
वे अब भी बंधक हैं। कांपती आवाज में नादिया ने उन लगभग 3200 यजीदी महिलाओं और लड़कियों की रिहाई का आह्वान किया, जो अब भी आईएस के आतंकियों की यौन दासियों के रूप में कैद हैं। नादिया ने यह भी आव्हान किया कि उन्हें बंदी बनाने वाले आतंकियों को न्याय के कटघरे में लाया जाए।
सुनाया अपना दर्द
घर से अगवा होने के बाद सालों तक आईएस की घोर यातनाएं सहने को मजबूर हुईं नादिया मुराद ने जो दर्द बयान किया है वह रूह कंपाने वाला है। कुख्यात आतंकी संगठन आईएस की सेक्स स्लेव रहीं नादिया मुराद ने संयुक्त राष्ट्र की सद्भावना दूत बनने के बाद पहली बार अपना दर्द बयान किया है।
नादिया मुराद का अभी जर्मनी के एक शरणार्थी कैंप में इलाज चल रहा है। उन्होंने अपने साथ हुए घोर अत्याचार का दर्द बयान करते हुए कहा है कि सेक्स स्लेव रहने के दौरान कितनी बार उनका रेप हुआ इसकी गिनती नहीं की जा सकती। वह जिस हालत में वक्त गुजार चुकीं हैं उसकी कल्पना करना भी मुश्किल है। उनका जब बार-बार रेप होता तो खुद को दुनिया से अलग मानती। उन्होंने इस अत्याचार के सामने हार मान ली थी।
उन्हें जब अगवा किया गया था तब वह महज आठ साल की थीं। इस दौरान ब्रिटेन सरकार ने इराक के खिलाफ युद्ध छेड़ा हुआ था। इस युद्ध से इराक का शासन लड़खड़ा गया और परिणाम स्वरूप आतंकी संगठन आईएस का उदय हुआ। आईएस ने अगवा करने के 13 साल बाद उनके परिवार को ऐसे मौत के घाट उतार दिया जैसे कोई कसाई जानवरों को काटता है। नादिया के अनुसार, जब से उन्हें अगवा किया गया तब से उनका बलात्कार किया जा रहा था।
ब्रिटेन की ओर से इरान में किए जा रहे हमलों की पूरी दुनिया में निंदा हुई जिसके बाद ब्रिटेन ने अपने पांव वापस खींचे। इस पर उस वक्त के ब्रिटेन के प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने कहा कि उन्होंने सिर्फ वही किया जो उनके देश के लिए उचित था। लेकिन इस हमले से नादिया को जो यातनाएं सहनी पड़ी उसकी कल्पना नहीं की जा सकती।
[एजेंसी]